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उत्तराखंड में मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी एजेंसियों की मदद लेगी सरकार, 4 दिन का येलो अलर्ट जारी - उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र

उत्तराखंड में मौसम की सटीक जानकारी के लिए सरकार निजी एजेंसियों की मदद लेगी. मौसम की सटीक जानकारी ना मिलने के कारण आपदा प्रबंधन विभाग को कई बार रेस्क्यू में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वर्ल्ड बैंक के एक प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही एमओयू साइन किया जा सकता है.

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उत्तराखंड मौसम
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Published : Jul 3, 2023, 4:35 PM IST

Updated : Jul 3, 2023, 8:42 PM IST

मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी एजेंसियों की मदद लेगी सरकार.

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. मॉनसून की दस्तक से पहले सरकारी सिस्टम का व्यवस्थाओं को बेहतर करने का दावा फेल साबित होता नजर आ रहा है. आपदा विभाग ने ऐसी तकनीकी का दावा किया है जो बादल फटने, अत्यधिक बारिश समेत अन्य जरूरी जानकारियों का पूर्वानुमान लगाएगा. लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जो भी पूर्वानुमान जारी किए जा रहे हैं, वह सटीक साबित नहीं हो रहे हैं.

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण मॉनसून में अक्सर आपदा जैसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं. मॉनसून के दौरान प्रदेश में न सिर्फ आपदा जैसी स्थिति बनती है, बल्कि स्थितियां बद से बदतर हो जाती हैं. इस परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा विभाग इन दिनों आपदा स्थिति के बीच बचाव कार्यों में तेजी लाने की तैयारी कर रहा है, ताकि किसी भी आपदा के दौरान क्विक रिस्पॉन्स करते हुए प्राथमिकता के आधार पर लोगों को बचाया जा सके. लेकिन पूर्वानुमान पर अभी भी कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई है, ना ही ऐसा इक्विपमेंट डेवलप हो पाया है जिससे सटीक जानकारी मिल सके.
ये भी पढ़ेंः मानसून सीजन शुरू होने से धीमी पड़ी केदारनाथ यात्रा की रफ्तार, अभी तक 11 लाख श्रद्धालु कर चुके दर्शन

दरअसल, मौसम की सटीक जानकारी ना मिलने के कारण आपदा प्रबंधन विभाग को कई बार रेस्क्यू में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा भारी बारिश, बदल फटने समेत अन्य घटनाओं से पहले लोगों को सतर्क भी नहीं किया जा सकता है और ना ही उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा पाते हैं. इस कारण जान और माल का काफी नुकसान होता है. ऐसे में अगर आपदाओं से पहले मौसम की सटीक जानकारी होगी तो जान-माल को बचाया जा सकता है. अक्सर आपदा प्रबंधन विभाग, मौसम विभाग से मिलने वाले पूर्वानुमान पर निर्भर रहता है. लेकिन कई बार ये जानकारियां सटीक साबित नहीं होने के कारण, सारी तैयारियां धरी की धरी रह जाती हैं.

निजी संस्थानों की मदद: इस तमाम समस्याओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी संस्थाओं की मदद ली जाएगी. ताकि, आपदा से पहले पिन प्वाइंट स्तर तक अलर्ट जारी किया जा सके. दरअसल, उत्तराखंड में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), एफएसआई और डीजीआरआई चंडीगढ़ की ओर से मौसम की जानकारी जारी की जाती है. लेकिन इन संस्थानों से सटीक पिन प्वाइंट डाटा नहीं मिल पा रहा है. इस कारण उत्तराखंड सरकार प्राइवेट एजेंसियों से मदद लेने जा रही है. वर्ल्ड बैंक के एक प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही एमओयू साइन किया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः नैनीताल पर मंडरा रहा खतरा, भूस्खलन से दरक रही चाइना पीक की पहाड़ी, दहशत में लोग

टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन से पूर्वानुमान हो रहा सटीक: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि मौसम के पूर्वानुमान की एक लिमिटेशन है. लेकिन पिछले 5 सालों की तुलना में मौसम की सटीक जानकारी के लिए तमाम कामियों को दूर किया गया है. ऐसे में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी अपग्रेड हो रही है, उसी क्रम में पूर्वानुमान भी सटीक हो रहा है. हालांकि, मौसम की सटीक जानकारी के लिए आईएमडी की ओर से तीन डॉप्लर रडार लगाए गए हैं. इसके अलावा दो लाइटिंग रडार और 200 से ज्यादा सेंसर लगाए गए हैं. साथ ही कहा कि मौसम अभी फ्लक्चुएट कर रहा है, जिसके चलते पूर्वानुमान में भी बदलाव देखा जा रहा है.

इन दो जगह से मॉनिटरिंग: मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि जरूरत के मुताबिक, आईएमडी अपना नेटवर्क बढ़ाता रहता है. वर्तमान समय में टिहरी के सुरकंडा और नैनीताल के मुक्तेश्वर में डॉप्लर रडार से मॉनिटरिंग की जाती है. इसके अलावा सेटेलाइट से भी मॉनिटरिंग की जाती है. साथ ही सरफेस ऑब्जर्वेशन के लिए आईएमडी के ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और करीब 7 स्टेट गवर्नमेंट के भी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगे हुए हैं. इससे लगभग हर ब्लॉक कवर हो जाता है. हालांकि, ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, आपदा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि ये हर 15 मिनट में अपडेट देता है.

सभी देशों के पास सरकारी एजेंसी: मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी एजेंसियों से मदद लेने के सवाल पर मौसम निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि लगभग सभी देशों के पास मौसम की जानकारी के लिए सरकारी एजेंसी ही हैं. वर्ल्ड लेवल पर भी सरकारी एजेंसी ही आपस में कोऑर्डिनेट करती है. ऑब्जर्वेशन, मॉनिटरिंग और प्रीडक्शन सिस्टम के लिए हर देश के पास सेटअप है. हालांकि, निजी एजेंसी, सरकारी डाटा को ही उठाकर अच्छी तरह से दिखाते हैं. कुल मिलाकर एक तरह से इसे निजी एजेंसियां बेच रही हैं. निजी एजेंसियों के पास इतनी सुविधा और सेटअप नहीं हैं.
ये भी पढ़ेंः चारधाम यात्रा में कैसे होगी मौसम की सटीक भविष्यवाणी? डॉप्लर रडार की खराबी बनी 'मुसीबत'

उत्तराखंड में 4 दिन का येलो अलर्ट: उत्तराखंड में मौसम विभाग ने 3 जुलाई से अगले 4 दिनों के लिए 7 जिलों में भारी बारिश की आशंका का पूर्वानुमान जारी किया है. मौसम विभाग ने इसके लिए येलो अलर्ट भी जारी किया है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, कुमाऊं मंडल के बागेश्वर, नैनीताल और चंपावत जिलों में बारिश का अनुमान जताया गया है. गढ़वाल मंडल के देहरादून, टिहरी, पौड़ी, चमोली जिलों में बारिश की संभावना है. मौसम विभाग के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने कहा कि पर्वतीय इलाकों में भारी बारिश हो सकती है. मैदानी इलाकों में भी कुछ जगह बारिश के आसार हैं. साथ ही 6 जुलाई तक प्रदेशभर में बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है.

126 सड़कें बंद: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने चेतावनी जारी कि है कि बारिश के दौरान संवेदनशील इलाकों में भूस्खलन और चट्टान गिरने से सड़क और राजमार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं. नालों नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है. उन्होंने हिदायत दी है कि बारिश के दौरान नदी-नालों के आसपास जाने से बचें और मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा करें. वर्तमान में प्रदेश में 11 राज्यमार्ग समेत कुल 126 सड़कें बंद हैं. इससे चारधाम यात्रा भी प्रभावित हुई है. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने जिलों को अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी किए हैं.

अभी तक 883 सड़कें हुई बंद: रविवार को कुल 119 मशीनों को सड़कों को खोलने के काम में लगाया गया था. इनमें स्टेट हाईवे पर नौ, मुख्य जिला मार्गों पर 12, अन्य जिला मार्गों पर पांच, ग्रामीण सड़कों पर 51 और पीएमजीएसवाई की सड़कों को खोलने के लिए 47 मशीनों ने काम किया. सड़कों को खोलने के काम में अभी तक 1259.48 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जबकि सड़कों को पूर्ववत स्थिति में लाने के लिए 1374.68 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इस मॉनसून सीजन में अभी तक 883 सड़कें बंद हुईं हैं, इनमें से 757 सड़कों को खोल दिया गया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में उमड़-घुमड़कर कर बरस सकते हैं बदरा, येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी

मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी एजेंसियों की मदद लेगी सरकार.

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. मॉनसून की दस्तक से पहले सरकारी सिस्टम का व्यवस्थाओं को बेहतर करने का दावा फेल साबित होता नजर आ रहा है. आपदा विभाग ने ऐसी तकनीकी का दावा किया है जो बादल फटने, अत्यधिक बारिश समेत अन्य जरूरी जानकारियों का पूर्वानुमान लगाएगा. लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जो भी पूर्वानुमान जारी किए जा रहे हैं, वह सटीक साबित नहीं हो रहे हैं.

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण मॉनसून में अक्सर आपदा जैसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं. मॉनसून के दौरान प्रदेश में न सिर्फ आपदा जैसी स्थिति बनती है, बल्कि स्थितियां बद से बदतर हो जाती हैं. इस परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा विभाग इन दिनों आपदा स्थिति के बीच बचाव कार्यों में तेजी लाने की तैयारी कर रहा है, ताकि किसी भी आपदा के दौरान क्विक रिस्पॉन्स करते हुए प्राथमिकता के आधार पर लोगों को बचाया जा सके. लेकिन पूर्वानुमान पर अभी भी कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई है, ना ही ऐसा इक्विपमेंट डेवलप हो पाया है जिससे सटीक जानकारी मिल सके.
ये भी पढ़ेंः मानसून सीजन शुरू होने से धीमी पड़ी केदारनाथ यात्रा की रफ्तार, अभी तक 11 लाख श्रद्धालु कर चुके दर्शन

दरअसल, मौसम की सटीक जानकारी ना मिलने के कारण आपदा प्रबंधन विभाग को कई बार रेस्क्यू में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा भारी बारिश, बदल फटने समेत अन्य घटनाओं से पहले लोगों को सतर्क भी नहीं किया जा सकता है और ना ही उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा पाते हैं. इस कारण जान और माल का काफी नुकसान होता है. ऐसे में अगर आपदाओं से पहले मौसम की सटीक जानकारी होगी तो जान-माल को बचाया जा सकता है. अक्सर आपदा प्रबंधन विभाग, मौसम विभाग से मिलने वाले पूर्वानुमान पर निर्भर रहता है. लेकिन कई बार ये जानकारियां सटीक साबित नहीं होने के कारण, सारी तैयारियां धरी की धरी रह जाती हैं.

निजी संस्थानों की मदद: इस तमाम समस्याओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी संस्थाओं की मदद ली जाएगी. ताकि, आपदा से पहले पिन प्वाइंट स्तर तक अलर्ट जारी किया जा सके. दरअसल, उत्तराखंड में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), एफएसआई और डीजीआरआई चंडीगढ़ की ओर से मौसम की जानकारी जारी की जाती है. लेकिन इन संस्थानों से सटीक पिन प्वाइंट डाटा नहीं मिल पा रहा है. इस कारण उत्तराखंड सरकार प्राइवेट एजेंसियों से मदद लेने जा रही है. वर्ल्ड बैंक के एक प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही एमओयू साइन किया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः नैनीताल पर मंडरा रहा खतरा, भूस्खलन से दरक रही चाइना पीक की पहाड़ी, दहशत में लोग

टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन से पूर्वानुमान हो रहा सटीक: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि मौसम के पूर्वानुमान की एक लिमिटेशन है. लेकिन पिछले 5 सालों की तुलना में मौसम की सटीक जानकारी के लिए तमाम कामियों को दूर किया गया है. ऐसे में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी अपग्रेड हो रही है, उसी क्रम में पूर्वानुमान भी सटीक हो रहा है. हालांकि, मौसम की सटीक जानकारी के लिए आईएमडी की ओर से तीन डॉप्लर रडार लगाए गए हैं. इसके अलावा दो लाइटिंग रडार और 200 से ज्यादा सेंसर लगाए गए हैं. साथ ही कहा कि मौसम अभी फ्लक्चुएट कर रहा है, जिसके चलते पूर्वानुमान में भी बदलाव देखा जा रहा है.

इन दो जगह से मॉनिटरिंग: मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि जरूरत के मुताबिक, आईएमडी अपना नेटवर्क बढ़ाता रहता है. वर्तमान समय में टिहरी के सुरकंडा और नैनीताल के मुक्तेश्वर में डॉप्लर रडार से मॉनिटरिंग की जाती है. इसके अलावा सेटेलाइट से भी मॉनिटरिंग की जाती है. साथ ही सरफेस ऑब्जर्वेशन के लिए आईएमडी के ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और करीब 7 स्टेट गवर्नमेंट के भी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगे हुए हैं. इससे लगभग हर ब्लॉक कवर हो जाता है. हालांकि, ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, आपदा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि ये हर 15 मिनट में अपडेट देता है.

सभी देशों के पास सरकारी एजेंसी: मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी एजेंसियों से मदद लेने के सवाल पर मौसम निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि लगभग सभी देशों के पास मौसम की जानकारी के लिए सरकारी एजेंसी ही हैं. वर्ल्ड लेवल पर भी सरकारी एजेंसी ही आपस में कोऑर्डिनेट करती है. ऑब्जर्वेशन, मॉनिटरिंग और प्रीडक्शन सिस्टम के लिए हर देश के पास सेटअप है. हालांकि, निजी एजेंसी, सरकारी डाटा को ही उठाकर अच्छी तरह से दिखाते हैं. कुल मिलाकर एक तरह से इसे निजी एजेंसियां बेच रही हैं. निजी एजेंसियों के पास इतनी सुविधा और सेटअप नहीं हैं.
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उत्तराखंड में 4 दिन का येलो अलर्ट: उत्तराखंड में मौसम विभाग ने 3 जुलाई से अगले 4 दिनों के लिए 7 जिलों में भारी बारिश की आशंका का पूर्वानुमान जारी किया है. मौसम विभाग ने इसके लिए येलो अलर्ट भी जारी किया है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, कुमाऊं मंडल के बागेश्वर, नैनीताल और चंपावत जिलों में बारिश का अनुमान जताया गया है. गढ़वाल मंडल के देहरादून, टिहरी, पौड़ी, चमोली जिलों में बारिश की संभावना है. मौसम विभाग के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने कहा कि पर्वतीय इलाकों में भारी बारिश हो सकती है. मैदानी इलाकों में भी कुछ जगह बारिश के आसार हैं. साथ ही 6 जुलाई तक प्रदेशभर में बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है.

126 सड़कें बंद: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने चेतावनी जारी कि है कि बारिश के दौरान संवेदनशील इलाकों में भूस्खलन और चट्टान गिरने से सड़क और राजमार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं. नालों नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है. उन्होंने हिदायत दी है कि बारिश के दौरान नदी-नालों के आसपास जाने से बचें और मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा करें. वर्तमान में प्रदेश में 11 राज्यमार्ग समेत कुल 126 सड़कें बंद हैं. इससे चारधाम यात्रा भी प्रभावित हुई है. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने जिलों को अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी किए हैं.

अभी तक 883 सड़कें हुई बंद: रविवार को कुल 119 मशीनों को सड़कों को खोलने के काम में लगाया गया था. इनमें स्टेट हाईवे पर नौ, मुख्य जिला मार्गों पर 12, अन्य जिला मार्गों पर पांच, ग्रामीण सड़कों पर 51 और पीएमजीएसवाई की सड़कों को खोलने के लिए 47 मशीनों ने काम किया. सड़कों को खोलने के काम में अभी तक 1259.48 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जबकि सड़कों को पूर्ववत स्थिति में लाने के लिए 1374.68 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इस मॉनसून सीजन में अभी तक 883 सड़कें बंद हुईं हैं, इनमें से 757 सड़कों को खोल दिया गया है.
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Last Updated : Jul 3, 2023, 8:42 PM IST
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