देहरादून: उत्तराखंड में वृक्षों को काटने के लिए आम लोगों को अब वन विभाग के चक्कर नहीं काटने होंगे. जी हां वृक्ष संरक्षण नीति में संशोधन के जरिए वन विभाग आम लोगों को बड़ी राहत देने जा रहा है. निजी भूमि पर वृक्षारोपण के बाद वन विभाग उक्त शख्स को ही वृक्षों का स्वामित्व देने पर विचार कर रहा है.
प्रदेश में हरेला पर्व पर वृक्षारोपण को लेकर वन विभाग तैयारियों में जुटा हुआ है. इस साल वन विभाग ने राज्य में 15 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य तय किया है. पहली बार वन विभाग कुल वृक्षारोपण में से 50 प्रतिशत फलदार पेड़ लगाने का भी फैसला लिया गया है. इस दौरान वन विभाग सभी विभागों को वृक्षारोपण के कार्यक्रम से जोड़ेगा और तकनीकी मदद देगा, जिसमें स्कूली बच्चों और तमाम संस्थानों को भी वृक्षारोपण से जोड़ा जाएगा.
दरअसल, वन विभाग इस बार वृक्षारोपण के बाद सक्सेस रेट को बेहतर करने के प्रयास कर रहा है. यही नहीं महिलाओं के माध्यम से पौधे खरीदे जाने और बेहतर क्वालिटी के पौधों को वृक्षारोपण में रखने का भी निर्णय लिया गया. इस दौरान निर्णय लिया गया कि आजादी का अमृत महोत्सव बनाए जाने के चलते 75 पेड़ हर वन पंचायत में लगाए जाएंगे और लोगों की आजीविका भी इससे जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे.
वन विभाग ने इस बैठक के दौरान सबसे महत्वपूर्ण निर्णय वृक्ष संरक्षण एक्ट में संशोधन का फैसला लिया. इसके तहत अब एक समिति बनाकर वृक्ष संरक्षण एक्ट में संशोधन की कोशिश की जाएगी, जिसमें देवदार जैसे वृक्षों को छोड़कर बाकी वृक्षों के लिए नियमों में शिथिलता दी जाएगी.
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बताया जा रहा है कि इसके तहत अपने निजी भूमि में वृक्षारोपण करने वाले लोगों को वृक्षों को लेकर अधिकार दिया जाएगा. यानी अपने निजी क्षेत्र में वृक्षारोपण करने वाले लोगों को इन वृक्षों को काटने का अधिकार होगा और उन्हें किसी भी वन कार्यालय के चक्कर नहीं काटने होंगे. ऐसे लोगों को पेड़ काटने का अधिकार दिया जाएगा.