देहरादून: उत्तराखंड शासन और आयुर्वेद विश्वविद्यालय (Uttarakhand Ayurved University) के बीच वर्चस्व की लड़ाई अब सीधे तौर पर दिखाई देने लगी है. उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की तरफ से शासन के आदेशों पर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है. वहीं, शासन की तरफ से विश्वविद्यालय पर दबाव बनाने के प्रयास करने जैसी स्थितियां भी दिखाई दे रही है. जाहिर है कि विश्वविद्यालय और शासन के अधिकारियों के बीच कुछ ऐसा चल रहा है, जो इन दोनों ही शक्तियों को आपस में टकराने की स्थितियां पैदा कर रहा है.
बहरहाल ताजा खबर यह है कि उत्तराखंड शासन में पिछले 5 सालों के दौरान उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय देहरादून में हुई नियुक्तियों और वित्तीय अनियमितताओं की जांच (financial irregularities in Uttarakhand) के आदेश दे दिए हैं. यही नहीं शासन की तरफ से दिए गए इन आदेशों में 4 सदस्य कमेटी का भी गठन कर दिया गया है. ऐसे में जांच समिति को 15 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी है. वहीं, जांच के आदेशों के बाद यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार अचानक पिछले 5 सालों की नियुक्तियों और कार्यों की जांच के आदेश क्यों दिए गए हैं.
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एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इसके लिए मुख्यमंत्री से शासन के अधिकारियों की तरफ से इजाजत ली गई थी. बहरहाल यह तो सवाल है, लेकिन बताया जा रहा है कि पिछले दिनों उत्तराखंड के विवादित अधिकारी मृत्युंजय मिश्रा के वेतन को विश्वविद्यालय से रिलीज करने को लेकर शासन की तरफ से एक आदेश दिया गया था, जिसका अनुपालन विश्वविद्यालय की तरफ से नहीं किया जा रहा है. लिहाजा इस मामले को लेकर शासन और विश्वविद्यालय आमने सामने आ गए हैं.
सूत्र बताते हैं कि अब विश्वविद्यालय पर जांच के जरिए दबाव बढ़ाने की भी कोशिशें की जा रही हैं. उधर शासन की तरफ से की जा रही तमाम कार्रवाई और एक के बाद एक दिए जा रहे पत्रों को राजभवन तक भी पहुंचाया जा रहा है. यानी अब यह पूरा मामला राजभवन तक भी पहुंच चुका है. कहा जा रहा है कि इस पूरे विवाद के पीछे विवादित अधिकारी मृत्युंजय मिश्रा की भी बड़ी भूमिका है. हालांकि यह तो जांच का विषय है, लेकिन इतना तय है कि इस पूरे विवाद के कारण विश्वविद्यालय और शासन के अधिकारियों में टकराव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है.
इस जांच को हरक सिंह रावत से जोड़कर भी देखा जा रहा है. दरअसल, 2017 से 5 साल के लिए आयुष विभाग की जिम्मेदारी भाजपा सरकार में हरक सिंह रावत के पास ही थी. इससे पहले हरक सिंह रावत के श्रम विभाग में एक के बाद एक जांच के आदेश भाजपा सरकार की तरफ से दिए गए थे. लिहाजा माना यह भी जा रहा है कि हरक सिंह रावत से जुड़े इस विभाग में भी तमाम नियुक्तियों और कार्यों को लेकर जांच करवाई जा रही है, जिससे तमाम सत्य सामने आ सके.
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