देहरादून: प्रदेश में वनकर्मियों के ड्यूटी के दौरान घायल होने या जान गंवाने पर 15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की मांग जल्द पूरी हो सकती है. खबर है कि मुख्यमंत्री के स्तर पर भी इसको लेकर विचार किया जा रहा है, लेकिन चिंता की बात यह है कि वन कर्मियों द्वारा इस मांग को काफी लंबे समय से रखा जा रहा था और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस मांग को पूरा करने के लिए घोषणा कर चुके थे. इतना ही नहीं पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने भी इस मांग को जायज ठहराकर इसे पूरा करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन लंबे समय बाद भी वन कर्मियों की आर्थिक सहायता से जुड़ी यह मांग पूरी नहीं हो पाई है.
हाल ही में चीला में हुई वाहन दुर्घटना के कारण पांच लोगों ने अपनी जान गंवाई है और पांच लोग अब भी घायल हैं. इनमें वन विभाग के रेंजर और डिप्टी रेंजर के साथ ही वन महकमें में ही पशु चिकित्सक पद पर तैनात अधिकारी भी शामिल हैं. बड़ी बात यह है कि अगर मुख्यमंत्री की ड्यूटी के दौरान दुर्घटना का शिकार होने पर 15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की वह घोषणा पूरी हो जाती, तो इन कर्मियों को भी इसका लाभ मिल सकता था. ऐसे में ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में 15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता को लेकर पुरानी मांग एक बार फिर तेज हो गई है.
सहायक वन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष स्वरूपचंद रमोला ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भी कर्मचारियों की इस मांग को लेकर घोषणा की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद अब तक इस पर आदेश जारी नहीं हो पाया है. ऐसे में वन विभाग के मुख्यालय स्तर पर जल्द से जल्द इस प्रस्ताव को शासन तक पहुंचना चाहिए और इस पर कार्रवाई आगे बढ़ाई जानी चाहिए.
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वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी गाड़ी के ट्रायल में अपने अधिकारी और कर्मचारियों को खोने से आहत हैं, लेकिन इस दौरान विभाग के अधिकारियों की मानें तो अगर मुख्यमंत्री की घोषणा पर पहले ही काम कर लिया जाता तो फिर आज प्रभावित वन कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकता था, लेकिन कर्मचारियों की इस मांग को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई और इसका नुकसान अब प्रभावित कर्मचारियों को हो रहा है. घोषणा पर काम होता तो आर्थिक सहायता के रूप में मृतक और घायल वन कर्मियों को बड़ी राहत मिल सकती थी.
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