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गोरखा इंटरनेशनल समुदाय ने किया नेपाल के प्रधानमंत्री का किया विरोध, आईसीजे को भी लिखा पत्र - नेपाल के प्रधानमंत्री शर्मा का विरोध

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ने चीन के दबाव में आकर हाल ही में कुछ भारत विरोध फैसले लिए हैं. जिनका गोरखा इंटरनेशनल समुदाय ने विरोध किया है. इसको लेकर उन्होंने आईसीजे को भी पत्र लिखा है.

मसूरी
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Published : Jul 9, 2020, 9:08 PM IST

मसूरी: गोरखा इंटरनेशनल समुदाय के लोगों ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा के भारत विरोधी फैसलों का पुरजोर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि नेपाली प्रधानमंत्री शर्मा नेपाल को चीन के हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है. यही कारण है कि चीन ने नेपाल के 11 गांव पर कब्जा लिया है.

मसूरी में गोरखा इंटरनेशनल सोसायटी कल्चरल फाउंडेशन की सदस्य ज्योति प्रसाद बिष्ट ने कहा कि इस संबंध में उनकी संस्था ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय नीदरलैंड के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सरकार को भी एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री शर्मा के फैसलों को पुरजोर विरोध किया है.

mussoorie
आईसीजे को भी लिखा पत्र

पढ़ें- पहाड़ी क्षेत्रों में वर्चुअल क्लासेस बेईमानी, बिना संचार सेवाओं के कैसे होगी डिजिटल पढ़ाई?

बिष्ट ने कहा नेपाल के प्रधानमंत्री शर्मा अपने स्वार्थ के लिए नेपाल वहां के नागरिकों की आजीविका व अधिकारों का हनन कर रहे हैं. वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं. प्रधानमंत्री शर्मा नेपाली समुदाय के आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर के स्वरूपों के खिलाफ फैसला ले रहे हैं. प्रधानमंत्री शर्मा के इन फैसलों से नेपाल और भारत के संदियों पुराने संबंध खराब हुए हैं. जबकि, नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी का संबंध है. ऐसे में ये संबंध बरकरार रहने चाहिए.

बिष्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री शर्मा ने चीन की बातों में आकर नेपाल देश को खतरे में डाल रहे हैं. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसकी शिकायत उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में की है. उन्हें पूरा विश्वास है कि जन भावनाओं को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट इस दिशा में जल्द ठोस कार्रवाई करेगा. उन्होंने भारत सरकार से भी निवेदन किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में नेपाली समुदाय के लोगों की तरफ से नि:शुल्क अधिवक्ता नियुक्त करने करें और नेपाली समुदाय के लोगों का पक्ष रखने में सहयोग करें.

मसूरी: गोरखा इंटरनेशनल समुदाय के लोगों ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा के भारत विरोधी फैसलों का पुरजोर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि नेपाली प्रधानमंत्री शर्मा नेपाल को चीन के हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है. यही कारण है कि चीन ने नेपाल के 11 गांव पर कब्जा लिया है.

मसूरी में गोरखा इंटरनेशनल सोसायटी कल्चरल फाउंडेशन की सदस्य ज्योति प्रसाद बिष्ट ने कहा कि इस संबंध में उनकी संस्था ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय नीदरलैंड के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सरकार को भी एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री शर्मा के फैसलों को पुरजोर विरोध किया है.

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आईसीजे को भी लिखा पत्र

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बिष्ट ने कहा नेपाल के प्रधानमंत्री शर्मा अपने स्वार्थ के लिए नेपाल वहां के नागरिकों की आजीविका व अधिकारों का हनन कर रहे हैं. वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं. प्रधानमंत्री शर्मा नेपाली समुदाय के आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर के स्वरूपों के खिलाफ फैसला ले रहे हैं. प्रधानमंत्री शर्मा के इन फैसलों से नेपाल और भारत के संदियों पुराने संबंध खराब हुए हैं. जबकि, नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी का संबंध है. ऐसे में ये संबंध बरकरार रहने चाहिए.

बिष्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री शर्मा ने चीन की बातों में आकर नेपाल देश को खतरे में डाल रहे हैं. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसकी शिकायत उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में की है. उन्हें पूरा विश्वास है कि जन भावनाओं को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट इस दिशा में जल्द ठोस कार्रवाई करेगा. उन्होंने भारत सरकार से भी निवेदन किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में नेपाली समुदाय के लोगों की तरफ से नि:शुल्क अधिवक्ता नियुक्त करने करें और नेपाली समुदाय के लोगों का पक्ष रखने में सहयोग करें.

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