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देहरादून: किराए पर लेना हो दुकान या घर तो ये 'गूगल अंकल' करेंगे मदद

राजधानी में इन दिनों किराए के मकान और दुकान ढूंढना काफी मुश्किलों भरा है. ऐसे में सैलून में काम करने वाले ये गूगल अंकल आपका काम आसान कर देंगे.

राजधानी के गूगल अंकल.
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Published : May 14, 2019, 1:56 AM IST

देहरादून: इंटरनेट के इस युग में किसी स्थान का पता लगाना हो या किसी सवाल का जबाव जानना हो तो हम तुरंत गूगल की सहायता लेते हैं. लेकिन राजधानी दून में एक ऐसे शख्स है जो देहरादून में किसी भी व्यक्ति को किराए के मकान या दुकान की जरूरत पड़ने पर गूगल की तरह जल्द ढूंढ देते हैं. आखिर कौन हैं ये गूगल अंकल, देखिए ये रिपोर्ट

राजधानी के गूगल अंकल.

राजस्थान के रहने वाले है गूगल अंकल
राजधानी के धर्मपुर इलाके के बाबूलाल 'गूगल अंकल' राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले हैं. बाबूलाल ने साल 1977 में देहरादून आकर धर्मपुर इलाके में अपना एक छोटा सा सैलून शुरू किया. तब इस बात का एहसास खुद बाबूलाल को भी नहीं था कि वह एक दिन पूरे धर्मपुर इलाके में गूगल अंकल के नाम से पहचाने जाएंगे.

सैलून चलाकर गुजर बसर करते हैं गूगल अंकल
गूगल अंकल बाबूलाल का सैलून पूरे धर्मपुर इलाके का सबसे पुराना और लोकप्रिय सैलून है. ऐसे में इस इलाके में रहने वाला हर व्यक्ति इस सैलून को जरूर जानता है. यही कारण है कि जब कभी भी किसी व्यक्ति को किराए पर मकान या फिर दुकान लेने की जरूरत पड़ती है तो वह इलाके के गूगल अंकल बाबूलाल से जरूर संपर्क साधते हैं.

छोटी डायरी में रहता है हर दुकान या मकान का ब्यौरा
बता दें कि गूगल अंकल बाबूलाल अपने पास एक छोटी सी डायरी रखते हैं, जिसमें उन्होंने इलाके के हर उस मकान और दुकान की जानकारी लिखी हुई है, जिसे किराएदार की जरूरत है. ऐसे में जब कभी भी कोई व्यक्ति किराए के मकान या दुकान की तलाश में उनके पास पहुंचता है तो वह तुरंत उसे उसकी पसंद का मनचाहा मकान या दुकान किराए पर दिलवा देते हैं.

देहरादून: इंटरनेट के इस युग में किसी स्थान का पता लगाना हो या किसी सवाल का जबाव जानना हो तो हम तुरंत गूगल की सहायता लेते हैं. लेकिन राजधानी दून में एक ऐसे शख्स है जो देहरादून में किसी भी व्यक्ति को किराए के मकान या दुकान की जरूरत पड़ने पर गूगल की तरह जल्द ढूंढ देते हैं. आखिर कौन हैं ये गूगल अंकल, देखिए ये रिपोर्ट

राजधानी के गूगल अंकल.

राजस्थान के रहने वाले है गूगल अंकल
राजधानी के धर्मपुर इलाके के बाबूलाल 'गूगल अंकल' राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले हैं. बाबूलाल ने साल 1977 में देहरादून आकर धर्मपुर इलाके में अपना एक छोटा सा सैलून शुरू किया. तब इस बात का एहसास खुद बाबूलाल को भी नहीं था कि वह एक दिन पूरे धर्मपुर इलाके में गूगल अंकल के नाम से पहचाने जाएंगे.

सैलून चलाकर गुजर बसर करते हैं गूगल अंकल
गूगल अंकल बाबूलाल का सैलून पूरे धर्मपुर इलाके का सबसे पुराना और लोकप्रिय सैलून है. ऐसे में इस इलाके में रहने वाला हर व्यक्ति इस सैलून को जरूर जानता है. यही कारण है कि जब कभी भी किसी व्यक्ति को किराए पर मकान या फिर दुकान लेने की जरूरत पड़ती है तो वह इलाके के गूगल अंकल बाबूलाल से जरूर संपर्क साधते हैं.

छोटी डायरी में रहता है हर दुकान या मकान का ब्यौरा
बता दें कि गूगल अंकल बाबूलाल अपने पास एक छोटी सी डायरी रखते हैं, जिसमें उन्होंने इलाके के हर उस मकान और दुकान की जानकारी लिखी हुई है, जिसे किराएदार की जरूरत है. ऐसे में जब कभी भी कोई व्यक्ति किराए के मकान या दुकान की तलाश में उनके पास पहुंचता है तो वह तुरंत उसे उसकी पसंद का मनचाहा मकान या दुकान किराए पर दिलवा देते हैं.

Intro:Desk I have revised the slug . But I can't understand 'शब्दों का सही उच्चारण' . Kindly guide please. देहरादून- किसी भी स्थान का पता या किसी भी सवाल का जवाब यदि हमें न मिल पा रहा हो तो हम सभी Google की सहायता लेते हैं । ठीक इसी तरह यदि देहरादून आए किसी भी व्यक्ति को किराए के मकान या फिर दुकान की जरूरत पड़ती है तो वह गूगल अंकल से संपर्क करते हैं । तस्वीरों में जस शख्सियत को आप देख सकते हैं वह हैं देहरादून के धर्मपुर इलाके के गूगल अंकल ' बाबूलाल '। राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले बाबूलाल ने साल 1977 में देहरादून आकर धर्मपुर इलाके में अपना एक छोटासा सैलून शुरू किया था। तब इस बात का एहसास खुद बाबूलाल को भी नहीं था कि वह एक दिन पूरे धर्मपुर इलाके में गूगल अंकल के नाम से पहचाने जाएंगे।


Body:बता दें कि गूगल अंकल बाबूलाल का सेलून पूरे धर्मपुर इलाके का सबसे पुराना और लोकप्रिय सलून हैं । ऐसे में इस इलाके में रहने वाला हर व्यक्ति इस सलून को जरूर जानता है । यही कारण है कि जब कभी भी किसी व्यक्ति को किराए पर मकान ,या फिर दुकान लेने की जरूरत पड़ती है तो वह इलाके के गूगल अंकल बाबूलाल से जरूर संपर्क साधते हैं। ईटीवी भारत से बात करते हुए गूगल अंकल बाबूलाल ने बताया कि वह सालों से एक नाई का काम कर रहे और अपना सेलून चला रहे हैं । यही कारण है कि जब कभी भी अब किसी व्यक्ति को किराए पर मकान या दुकान की जरूरत होती है तो वह व्यक्ति उनसे संपर्क साधता हैं।


Conclusion:बता दें कि गूगल अंकल बाबूलाल अपने पास एक छोटी सी डायरी रखते हैं जिसमें उन्होंने इलाके के हर उस मकान और दुकान की जानकारी लिखी हुई है जिसे किराएदार की जरूरत है ऐसे में जब कभी भी कोई व्यक्ति किराए के मकान या दुकान की तलाश में उनके पास पहुंचता है तो वह तुरंत उसे उसकी पसंद का मनचाहा मकान या दुकान किराये पर दिलवा देते हैं।
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