देहरादून: देश-दुनिया में जितनी तेजी से जीवाश्म ईंधन (तेल, प्राकृतिक गैस तथा कोयला) का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसे में आने वाले समय में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि यह जीवाश्म ईंधन ना सिर्फ अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज करते हैं, बल्कि इनके समाप्त होने के बाद इनसे चलने वाली तकनीकी पूरी तरह से ठप पड़ जाएगी. वहीं, भारी मात्रा में इस्तेमाल हो रहे जीवाश्म ईंधन से अलग वैज्ञानिक अन्य ऊर्जा के स्रोतों की खोज में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में वैज्ञानिक गैस हाइड्रेट पर जोर दे रहे हैं, जो भविष्य में एक मुख्य ईंधन की भूमिका निभा सकता है.
क्या है गैस हाइड्रेट ?
गैस हाइड्रेट पानी और मीथेन गैस का मिश्रण है. ये देखने में बर्फ की तरह होता है. यह फोम की तरह का पानी होता है, जो ठोस अवस्था में पाया जाता है. गैस हाइड्रेट एक फ्यूचर एनर्जी रिसोर्स है, जिसमें 99.9 प्रतिशत मीथेन गैस होती है. लेकिन एक पर्टिकुलर प्रेशर एंड टेंपरेचर में सॉलिड फॉर्म में पाया जाता है. मुख्य रूप से गैस हाइड्रेट, सीफ्लोर से करीब 100 मीटर तक के डेप्थ सेगमेंट में पाया जाता है.
भारत में भारी मात्रा में गैस हाइड्रेट मौजूद
भारत में गैस हाइड्रेट भारी मात्रा में मौजूद है. मात्र 10-15 परसेंट गैस हाइड्रेट से आगामी 100 से अधिक सालों तक एनर्जी रिक्वायरमेंट प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी. वर्तमान समय में साइंटिफिक स्टडी से तमाम जगहों पर अनुभव किया गया कि किन-किन जगहों पर गैस हाइड्रेट मौजूद है. साइंटिफिक स्टडी में पता चला कि बंगाल की खाड़ी, कृष्णा गोदावरी, महानदी, कावेरी समेत अंडमान में बहुत अधिक मात्रा में गैस हाइड्रेट मौजूद है. यानी वर्तमान समय में गैस हाइड्रेट नेचुरल गैस से करीब 1,500 गुना अधिक मौजूद है.
जियो साइंटिफिक स्टडी से गैस हाइड्रेट का चला पता
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एंड जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि जियोफिजिक्स, जियोलॉजिकल, जियोफिजिकल, जियोकेमिकल और माइक्रोबायोलॉजी समेत अन्य जियो साइंटिफिक स्टडी से गैस हाइड्रेट की मौजूदगी का पता लगा लिया गया है. इंडियन नेशनल गैस हाइड्रेट प्रोग्राम के जरिए, जिन-जिन जगहों पर गैस हाइड्रेट की मौजूदगी का पता लगाया गया है, उन जगहों पर ड्रिलकर गैस हाइड्रेट को बाहर निकालकर जांचा गया है. लेकिन गैस हाइड्रेट का इस्तेमाल करने के लिए फिलहाल किसी भी देश के पास इक्विपमेंट मौजूद नहीं हैं. जिसके तहत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना ऊर्जा प्राप्त की जा सके. हालांकि, फिलहाल जियो साइंटिफिक स्टडी के जरिए यह मैपिंग की जा चुकी है कि किस-किस जगह पर गैस हाइड्रेट मौजूद है.
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गैस हाइड्रेट से पर्यावरण को बहुत कम नुकसान
गैस हाइड्रेट से ऊर्जा उत्पन्न करने में बहुत कम मात्रा में कार्बन रिलीज होगी. जो कहीं ना कहीं पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. फिलहाल जो नेचुरल गैस हैं, उन्हें जलाने पर अधिक मात्रा में कार्बन रिलीज होती है. वर्तमान समय में गैस हाइड्रेट का डोमेस्टिक रूप में इस्तेमाल करने के लिए कोई टेक्नोलॉजी मौजूद नहीं है. जिससे कि गैस हाइड्रेट का इस्तेमाल ऊर्जा के रूप में किया जा सके.
मीथेन गैस जाने से पर्यावरण को नुकसान
गैस हाइड्रेट का इस्तेमाल करने में एक सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि इसमें 99.9 प्रतिशत मीथेन गैस है. मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है. अगर मीथेन गैस, पर्यावरण में चली गयी तो वह कार्बन डाईऑक्साइड से 20 गुना अधिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी. ऐसे में जब गैस हाइड्रेट का इस्तेमाल करने की टेक्नीक डेवलप होगी, तो उस दौरान इस बात की सावधानी बरतनी होगी की किसी भी मात्रा में मीथेन गैस पर्यावरण में ना जाए.
गैस हाइड्रेट के इस्तेमाल के लिए बनानी होगी टेक्नोलॉजी
डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि गैस हाइड्रेट रिजर्वर से मीथेन निकालने के लिए जापान, चाइना, यूएसए और कनाडा जैसे देशों ने कोशिश की और पूरी दुनिया को बताया कि गैस हाइड्रेट रिजर्वर से मिथेन गैस को निकाला जा सकता है. लेकिन यह अभी इकोनॉमिकली वायबल नहीं है. क्योंकि इसका प्रोडक्शन कॉस्ट बहुत अधिक है. लेकिन उम्मीद है कि भविष्य में गैस हाइड्रेट का सही ढंग से इस्तेमाल किए जाने की टेक्नोलॉजी उपलब्ध हो पाएगी, जिससे मीथेन गैस का डोमेस्टिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकेगा.