देहरादून: उत्तराखंड में एक बार फिर से मोदी लहर देखने को मिली है. बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बार फिर उत्तराखंड में सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी ने मिथक को तोड़ते हुए प्रदेश में शानदार वापसी की है और इस चुनाव में भी गंगोत्री सीट का मिथक बरकरार रहा. गंगोत्री विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के सुरेश सिंह चौहान ने बड़ी जीत हासिल की है. गंगोत्री विधानसभा सीट प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है. कहा जाता है कि गंगोत्री सीट से जो प्रत्याशी चुनाव जीतता है, उसी की सरकार बनती है. इस बार भी यह मिथक सुरेश चौहान की जीत के साथ बरकरार रहा.
गौर हो कि गंगोत्री से भाजपा के सुरेश चौहान ने जीत दर्ज की है. वहीं, गंगोत्री से सीट जीतने वाले विधायक के दल की सरकार बनने का मिथक बरकरार रहा. इस बार आम आदमी पार्टी के सीएम चेहरा कर्नल अजय कोठियाल के गंगोत्री सीट से चुनाव मैदान में उतरने से यह वीआईपी सीट बनकर उभरी थी. इस बार गंगोत्री सीट पर आप प्रत्याशी अजय कोठियाल, बीजेपी प्रत्याशी सुरेश चौहान और कांग्रेस नेता विजयपाल सजवाण के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था, लेकिन भाजपा प्रत्याशी सुरेश सिंह चौहान ने बाजी मारी और 17527 वोटों से कोठियाल को पटखनी दी.
पढ़ें-उत्तराखंड में ढहा कई दिग्गजों का किला, जानें हॉट VIP सीटों का परिणाम
मिथक को बल: गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े मिथक को उत्तर प्रदेश में साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव की स्थिति और बल दे रही है. 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के 177, समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाजवादी पार्टी को 67 सीटें मिलीं. उस दौरान राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे घूमे की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने मिलकर सरकार बना दी. उस दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज हुई. खास बात यह रही कि उस दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी बर्फिया लाल चुनाव जीते थे. बता दें कि 1993 में गंगोत्री धाम उत्तरकाशी विधानसभा सीट के तहत आता था.
गंगोत्री विधानसभा सीट इतिहास: गंगोत्री विधानसभा सीट को पहले उत्तरकाशी विधानसभा सीट के नाम से जाना था. हालांकि बाद में इसका नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया. टिहरी रियासत का हिस्सा रहे उत्तरकाशी विधानसभा सीट को साल 1960 में अलग जिला बनाया गया. साल 2000 तक उत्तरकाशी जिला विधानसभा सीट ही रही. साल 2000 में पहाड़ी राज्य बनने के बाद उत्तरकाशी जिले को तीन विधानसभा क्षेत्र में बांट दिया गया.
पढ़ें-उत्तराखंड के रण में फिर चला मोदी 'मैजिक', फीका रहा राहुल-प्रियंका का 'जादू'
जिसमें पुरोला, गंगोत्री और यमुनोत्री विधानसभा सीट शामिल हैं. उत्तरकाशी का जिला मुख्यालय गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र में ही है. गंगोत्री विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं में 43003 पुरुष मतदाता हैं, जबकि यहां महिला मतदाताओं की संख्या 40278 है. वहीं, जातिगत आधार के अनुसार इस विधानसभा में ठाकुर 62%, ब्राह्मण 17% हैं. अनुसूचित जाति 19% और अनुसूचित जनजाति 15% है. इसके साथ ही यहां मुस्लिम आबादी 0.5 फीसदी है.
उत्तरकाशी विस सीट का इतिहास: देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब ये सीट उत्तरकाशी विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. 1952 के विधानसभा चुनाव में यहां से जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे. हालांकि बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उस दौरान उत्तर प्रदेश में पं. गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी.साल 1957 के विधानसभा चुनाव में जयेंद्र निर्विरोध निर्वाचित हुए. फिर कांग्रेस ही सत्तासीन हुई, लेकिन साल 1958 में उत्तरकाशी से विधायक जयेंद्र की मृत्यु के बाद कांग्रेस के रामचंद्र उनियाल विधायक बने.साल 1962 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.साल 1967 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता.
उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. साल 1969 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. साल 1974 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट रिजर्व कर दी गई थी. उस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.साल 1977 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी.साल 1980 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था.
उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.साल 1989 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी.साल 1991 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी.साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी.साल 1996 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी.
गंगोत्री विस सीट का इतिहास: 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद भी यह मिथक बरकरार रहा. ये बात अलग है कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट का नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया.उत्तराखंड में साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण ने चुनाव जीता. तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था. तब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी.साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण चुनाव जीता था. उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था. अभी प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं. गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद निर्वाचन आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव नहीं कराए. 2022 विधानसभा चुनाव में गंगोत्री विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के सुरेश सिंह चौहान ने बड़ी जीत हासिल की है.