देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (Chardham Devasthanam Management Board) के गठन के बाद से ही जारी तीर्थ पुरोहितों (pilgrim priest) का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी पिछले लंबे समय से देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. गंगोत्री धाम (Gangotri Dham) के रावल शिवप्रसाद महाराज ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है.
शिवप्रसाद महाराज ने कहा अगर अभी भाजपा नहीं संभली तो फिर कांग्रेस की तरह ही उसका भी विनाश होना निश्चित है. ऐसे में समय रहते भाजपा को प्राश्चित कर लेना चाहिए. बता दें मार्च महीने में जब तीरथ सिंह रावत ने राज्य की कमान संभाली थी तो उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि देवस्थानम बोर्ड के अधीन आने वाले मंदिरों को बहाल कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
ऐसे में अब- जब राज्य के नए मुखिया के रूप में पुष्कर सिंह धामी ने कमान संभाली है तो फिर से तीर्थ पुरोहितों का विरोध तेज हो गया है. पुरोहित समाज पुष्कर सिंह धामी से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहा है.
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गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश महाराज ने कहा कि जब चुनाव आते हैं तो भाजपा सरकार कुछ भी करने को तैयार हो जाती है. जब दक्षिण में चुनाव होने थे तो भाजपा ने बोर्ड को नकार दिया था. उसके बाद भी देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं किया गया. उन्होंने कहा जब किसी का विनाश करना होता है तो हमारे भगवान पहले बुद्धि को विपरित कर देते हैं. ऐसे में ये समझने वाली बात है कि कही प्रदेश की वर्तमान सरकार के विनाश की स्तिथि तो उत्त्पन्न नहीं हो रही है.
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कांग्रेस जैसा हाल न हो, इसलिए अभी से सचेत होने की जरूरत
सनातन परंपरा में प्राश्चित का जिक्र है, ऐसे में भाजपा सरकार के पास अभी समय है कि वो प्राश्चित कर लें, नहीं तो अगर भगवान नाराज हो गए तो कोई नहीं बचा पायेगा. उन्होंने कहा कांग्रेस के साथ जो कुछ हुआ, ठीक वैसा ही बीजेपी के साथ न हो. इसके लिए भाजपा सरकार को सचेत होने की जरूरत है. लिहाजा भाजपा सरकार को चाहिए कि वह धामों में पहुंचकर भगवान के सामने नतमस्तक हो जाएं. पूरे मन से धर्म और पूजा पाठ के साथ जुड़े.
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धर्म के ऊपर एक क्लर्क हावी होने लगा है
शिवप्रकाश महाराज ने बताया विश्वभर के मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त का एक विशेष महत्व है. इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी है. यही वजह है कि सनातन धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले लग्न और शुभ घड़ी को महत्व दी जाती है. ऐसी ही एक परंपरा बदरीनाथ धाम से भी जुड़ी हुई है. यहां रोजाना बदरीनाथ मंदिर का कपाट ब्रह्म मुहूर्त में खोले जाने की व्यवस्था है. मगर इस बार सरकार के एक क्लर्क ने सदियों से चली आ रही परंपरा और व्यवस्था को बदल दिया. यानी यह कह सकते हैं कि धर्म के ऊपर अब एक क्लर्क हावी होने लगा है. ऐसे में सरकार को यह सोचना चाहिए कि क्या एक क्लर्क धार्मिक मंदिरों की व्यवस्था को अपने अनुसार चला सकता है.
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बदरीनाथ धाम के कपाट इस सीजन में 18 मई को सुबह 4:15 बजे पूरे विधि विधान से खोले गए. उसके बाद से ही इस पद्धति में बदलाव देखा गया. बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अगले दिन यानी 19 मई से 29 मई तक बदरीनाथ मंदिर के कपाट सुबह 7 बजे खोले गये. जबकि आदि गुरु शंकराचार्य के काल से चली आ रही पद्धति के अनुसार बदरीनाथ धाम के कपाट प्रातः 4 से 4:30 बजे तक ही खोले जाने की मान्यता और प्राचीन परंपरा रही है. शिव प्रकाश महाराज ने राज्य सरकार से मांग किया है कि ऐसी गलती करने वाले कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी गलती ना दोहरायी जा सके.