देहरादून: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जोरदार हमला (Ganesh Godiyal attacks cabinet minister Dhan Singh) बोला है. दरअसल, मंदिर समिति के सदस्य की तरफ से गणेश गोदियाल पर 10 लाख रुपये का भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. जिसके बाद गणेश गोदियाल ने न केवल बिंदुवार सफाई दी, बल्कि ये भी कहा कि धन सिंह पर उनकी तरफ से जो करप्शन के आरोप लगाए गये, उसे दबाने के लिए अब उनपर ऐसे आरोप लगाए गये हैं. गणेश गोदियाल ने कहा इस मामले में उन पर लगे आरोपों की एसआईटी जांच कराई जाए. साथ ही धन सिंह रावत पर जो आरोप उन्होंने लगाए हैं उसकी भी एसआईटी जांच हो.
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि उन्होंने धन सिंह रावत पर जो आरोप लगाए हैं, उसको लेकर वह मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाले हैं. इन मामलों की एसआईटी जांच की मांग करेंगे और अगर ऐसा नहीं होता है तो वह मुख्यमंत्री के घर के आगे धरने पर बैठेंगे. उन्होंने कहा कि न केवल धन सिंह बल्कि खुद पर लगे आरोपों की भी जांच की भी वो सीएम से मांग करेंगे. गणेश गोदियाल ने हाईकोर्ट के सीटिंग जज की अध्यक्षता में एसआईटी जांच कराने की मांग की है.
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बता दें कि, मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने मंदिर समिति पर कांग्रेस शासनकाल 2012 से वर्ष 2017 के बीच भारी वित्तीय अनियमितताएं करने के आरोप लगाए हैं. बीकेटीसी के सदस्य ने आरोप लगाए गए हैं कि 2012 से वर्ष 2017 में मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल के कार्यकाल में मंदिर समिति में भारी गड़बड़ियां हुई हैं. सदस्य की शिकायत के आधार पर प्रभारी मंत्री धन सिंह ने मुख्य सचिव और धर्मस्व सचिव को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए.
मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने शिकायती पत्र में लिखा है बदरीनाथ एवं केदारनाथ में भगवान की तिजोरी पर किस तरीके से डाका डाला गया है, इसका पुख्ता प्रमाण सामने दिखाई दे रहा है. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के दो अधिकारियों ने मंदिर अधिनियम 1939 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भगवान के खजाने से लाखों रुपए लुटा दिए.
इस पत्र में तत्कालीन मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल पर वर्तमान मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने आरोप लगाते हुए लिखा है कि वर्ष 2015 में मंदिर समिति के पैसों से जनपद टिहरी में एक सड़क बना दी गई. वहीं, 2015 में पोखरी में स्थित एक शिवालय का उनके द्वारा पुनर्निर्माण करवाया गया, जो मंदिर समिति के अधीन ही नहीं था. इस मंदिर के निर्माण में बिना निविदा के काम करवाया गया जिस पर 15 लाख रुपए खर्च हुए.
इन आरोपों पर गोदियाल ने कहा कि मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने ये शिकायतें विभागीय मंत्री से नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत से कर जांच की मांग की है. मंत्री की ओर से जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं, जिसका वो स्वागत करते हैं. यदि वो जांच में दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. वो खुद राजनीति से संन्यास ले लेंगे. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान वो समिति में अकेले विपक्षी पार्टी से थे, जबकि बाकि सारे सदस्य भाजपा के थे. लेकिन इसके साथ ही मंत्री डॉ. धन सिंह रावत पर भी आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. लोकतंत्र में न्याय सभी के लिए बराबर होना चाहिए.
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गोदियाल ने कहा कि, आयुष्मान योजना के तहत मंत्री धम सिंह रावत ने ऐसे हॉस्पिटलों को पेमेंट किया है जो कई सालों से बंद हैं. रिकॉर्ड में है कि हॉस्पिटल बंद है, लेकिन उनके फर्जी बिलों पर करोड़ों रुपए के बिल जनरेट कर पेमेंट किया गया. इस प्रकरण में धन सिंह रावत शामिल हैं. मंत्री ने कॉपरेटिव डिपार्टमेंट के माध्यम से 31 करोड़ रुपये के शेयर ऐसी कंपनी से खरीदे, जिनकी कीमत शून्य है और जिनको मार्केट में कोई नहीं खरीद रहा था. इसके अलावा नर्सिंग भर्ती के प्रकरण में भी अभ्यर्थियों से 50-50 हजार रुपये लेकर कुल तीन करोड़ रुपये मंत्रालय पहुंचाए जाने का भी आरोप लगाया. गणेश गोदियाल ने कहा कि उन पर आरोप लगाने वाले बीकेटीसी के सदस्य आशुतोष डिमरी के खिलाफ वह कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराएंगे. शीघ्र ही वो अपने अधिवक्ता के माध्यम से उनको नोटिस भेजने जा रहे हैं.
वहीं, गोदियाल के बचाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि, जिस व्यक्ति ने अपने 6 साल के कार्यकाल में 60 लाख रुपये का मानदेय ठुकराया है उसके ऊपर इस तरह के आरोप मढ़े जा रहे हैं जो बहुत निंदनीय हैं. मंत्री धन सिंह रावत का हाथ सारे घटनाक्रम में है जो खुद को-ऑपरेटिव में अनेकों अनेक शिकायतों के बाद भी पद पर बने हुए हैं.