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सेना ने तालिबान के आगे टेके घुटने, अब IMA में ट्रेनिंग ले रहे अफगानी कैडेट्स का क्या होगा?

अफगानिस्तान में वहां की सेना ने बिना लड़े ही तालिबान के आगे घुटने टेक दिए. अब वहां तालिबान राज है. ऐसे में आईएमए देहरादून में ट्रेनिंग ले रहे अफगानिस्तान के 83 कैडेट्स का भविष्य भी अंधकार में है. जब सेना ने बिना लड़े ही हथियार डाल दिए तो पास आउट होने के बाद ये कैडेट्स कहां जाएंगे.

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Published : Aug 18, 2021, 5:28 PM IST

Updated : Aug 18, 2021, 10:15 PM IST

देहरादून: राजधानी काबुल समेत पूरे अफगानिस्तान पर तालिबानियों ने अपना कब्जा कर लिया है. इस समय अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत है. ऐसे में अब देहरादून में स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में प्रशिक्षण ले रहे अफगानिस्तान के 83 कैडेट्स का भविष्य अधर में लटक गया है. क्योंकि अफगानिस्तान की सेना खुद तालिबान के सामने सरेंडर कर चुकी है. इसीलिए ये कैडेट्स अब नहीं समझ पा रहे कि उन्हें आगे क्या करना होगा?

दरअसल, हर साल 18 मित्र देशों के बड़ी संख्या में कैडेट्स देहरादून आईएमए (Indian Military Academy) में ट्रेनिंग लेते हैं. यहां से पासआउट होने के बाद वे अपने देश की सेना में अधिकारी बनाकर उसका नेतृत्व करते हैं. इसमें बड़ी सख्या में अफगानिस्तान के कैडेट्स भी होते हैं. हर देश के कैडेट्स का कोटा तय होता है. लेकिन बीते कुछ सालों में अफगानिस्तान का कोटा बढ़ाया गया है.

पढ़ें- अफगानिस्तान में फंसे उत्तराखंडियों को लेकर सक्रिय धामी सरकार, CM ने NSA अजित डोभाल से की बात

अंधकार में भविष्य: वर्तमान में 83 कैडेट्स आईएमए देहरादून में ट्रेनिंग ले रहे हैं. इनमें से 40 कैडेट्स दिसंबर में होने वाली पासिंग आउट परेड (POP) में अधिकारी बनकर अपने देश की सेना का नेतृत्व करते. लेकिन उससे पहले ही अफगानिस्तान पर तालिबानियों ने कब्जा कर लिया है. अफगानिस्तान में अब तालिबानी हुकूमत है. अफगानिस्तान की सेना भी तालिबानियों के आगे सरेंडर कर चुकी है. ऐसे में आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे अफगानिस्तान के 83 कैडेट्स का भविष्य अंधकार में है.

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सेना ने तालिबान के आगे टेके घुटने.

आईएमए से पासआउट होकर कहां जाएंगे?: अफगानिस्तानी कैडेट्स के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि वे जिस सेना और देश को बचाने के लिए आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे थे, उसका खुद का वजूद खतरे में पड़ गया है. अब वे किसके लिए काम करेंगे. यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद वो कहां जाएंगे. उन्हें अभी भविष्य के सारे रास्ते बंद दिख रहे हैं.

पढ़ें- अफगानिस्तान में फंसे उत्तराखंडियों की मदद करेगी धामी सरकार, ईटीवी भारत से मांगी जानकारी

रोज की तरह चल रही ट्रेनिंग: आईएमए की जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत ने बताया कि एकेडमी में 18 मित्र राष्ट्रों के जेंटलमैन कैडेट हर साल यहां अधिकारी बनने की ट्रेनिंग लेते हैं. अफगानिस्तान के कैडेट भी ट्रेनिंग ले रहे हैं. अभी उनकी ट्रेनिंग रोज की तरह ही चल रही है. अफगानिस्तान के हालात की वजह से उनकी ट्रेनिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.

दिसंबर में 43 जेंटलमैन कैडेट होंगे पास आउट: हिमानी पंत ने बताया कि आगामी दिसंबर माह में होने वाली POP में अफगानिस्तान के 43 जेंटलमैन कैडेट पास आउट होंगे. जबकि जून 2022 की POP में 40 अफगानी जेंटलमैन कैडेट पास आउट होंगे. फिलहाल इन जेंटलमैन कैडेट को लेकर भारत सरकार या अफगानिस्तान से कोई संदेश नहीं आया है. भविष्य में रक्षा मंत्रालय जिस तरह के दिशा निर्देश जारी करेगा, IMA प्रशासन उसके हिसाब से काम करेगा.

पढ़ें- तालिबानियों के बीच फंसे देहरादून के चार युवक, ईटीवी भारत के सामने हुए भावुक, मदद की लगाई गुहार

अफगानिस्तानी कैडेट्स के आंकड़ों पर एक नजर: साल 2018 में 49 अफगानी कैडेट्स पास आउट हुए थे. दिसंबर 2020 में 41 और जून 2021 में 43 अफगानी कैडेट्स पास आउट हुए थे. अभी भी 83 अफगानी कैडेट्स आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसमें से 40 तो इसी साल दिसंबर में पास आउट होंगे और बाकी के 43 जून 2022 POP में पास आउट होंगे.

परिजनों को लेकर चिंतित अफगान कैडेट्स: आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे अफगानिस्तान के कैडेट्स अपने परिजनों को लेकर चिंतित हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत के मुताबिक सभी कैडेट्स फोन पर अपने परिजनों का हाल चाल ले रहे हैं. सभी के परिजन सुरक्षित हैं.

पढ़ें- अफगानिस्तान की तरह वियतनाम से भी 19 साल बाद भागा था अमेरिका

शौर्य चक्र विजेता रिटायर्ड कर्नल राकेश सिंह कुकरेती ने बताया कि देहरादून IMA से पास आउट होने वाले अफगानिस्तान के सैन्य अधिकारियों को उनके देश के हालात सामान्य होने तक रोका जा सकता है. जब तक वे सैन्य ट्रेनिग ले रहे हैं, उनके जीवन सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार की है.

तालिबान के हाथों में भविष्य: रिटायर्ड कर्नल कुकरेती ने बताया कि फिलहाल तलिबान को चीन, रूस, तुर्की और पाकिस्तान ने मान्यता दी है. अगर अन्य देशों से भी तलिबान को मान्यता मिलती है तो तालिबान सरकार की डिमांड पर IMA से पास आउट हुए अफगानिस्तान के कैडेट्स को वापस भेजा जा सकता है.

इसके अलावा कुकरेती ने बताया कि यदि वे भारत में ही अपने सेवा देना चाहते हैं तो इसके लिए भारत सरकार को निर्णय लेना होगा. वैसे भारतीय सेना के नियमों के मुताबिक उन्हें यहां रखने का कोई आधिकारिक प्रावधान नहीं है.

इन देशों के जैटलमैन कैडेट लेते हैं ट्रेनिंग: IMA में अफगानिस्तान के अलावा भूटान, नेपाल, श्रीलंका, तजाकिस्तान, मालदीव और वियतनाम समेत 18 मित्र राष्ट्रों के जेंटलमैन कैडेट्स हर साल ट्रेनिंग लेते हैं.

देहरादून: राजधानी काबुल समेत पूरे अफगानिस्तान पर तालिबानियों ने अपना कब्जा कर लिया है. इस समय अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत है. ऐसे में अब देहरादून में स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में प्रशिक्षण ले रहे अफगानिस्तान के 83 कैडेट्स का भविष्य अधर में लटक गया है. क्योंकि अफगानिस्तान की सेना खुद तालिबान के सामने सरेंडर कर चुकी है. इसीलिए ये कैडेट्स अब नहीं समझ पा रहे कि उन्हें आगे क्या करना होगा?

दरअसल, हर साल 18 मित्र देशों के बड़ी संख्या में कैडेट्स देहरादून आईएमए (Indian Military Academy) में ट्रेनिंग लेते हैं. यहां से पासआउट होने के बाद वे अपने देश की सेना में अधिकारी बनाकर उसका नेतृत्व करते हैं. इसमें बड़ी सख्या में अफगानिस्तान के कैडेट्स भी होते हैं. हर देश के कैडेट्स का कोटा तय होता है. लेकिन बीते कुछ सालों में अफगानिस्तान का कोटा बढ़ाया गया है.

पढ़ें- अफगानिस्तान में फंसे उत्तराखंडियों को लेकर सक्रिय धामी सरकार, CM ने NSA अजित डोभाल से की बात

अंधकार में भविष्य: वर्तमान में 83 कैडेट्स आईएमए देहरादून में ट्रेनिंग ले रहे हैं. इनमें से 40 कैडेट्स दिसंबर में होने वाली पासिंग आउट परेड (POP) में अधिकारी बनकर अपने देश की सेना का नेतृत्व करते. लेकिन उससे पहले ही अफगानिस्तान पर तालिबानियों ने कब्जा कर लिया है. अफगानिस्तान में अब तालिबानी हुकूमत है. अफगानिस्तान की सेना भी तालिबानियों के आगे सरेंडर कर चुकी है. ऐसे में आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे अफगानिस्तान के 83 कैडेट्स का भविष्य अंधकार में है.

IMA
सेना ने तालिबान के आगे टेके घुटने.

आईएमए से पासआउट होकर कहां जाएंगे?: अफगानिस्तानी कैडेट्स के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि वे जिस सेना और देश को बचाने के लिए आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे थे, उसका खुद का वजूद खतरे में पड़ गया है. अब वे किसके लिए काम करेंगे. यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद वो कहां जाएंगे. उन्हें अभी भविष्य के सारे रास्ते बंद दिख रहे हैं.

पढ़ें- अफगानिस्तान में फंसे उत्तराखंडियों की मदद करेगी धामी सरकार, ईटीवी भारत से मांगी जानकारी

रोज की तरह चल रही ट्रेनिंग: आईएमए की जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत ने बताया कि एकेडमी में 18 मित्र राष्ट्रों के जेंटलमैन कैडेट हर साल यहां अधिकारी बनने की ट्रेनिंग लेते हैं. अफगानिस्तान के कैडेट भी ट्रेनिंग ले रहे हैं. अभी उनकी ट्रेनिंग रोज की तरह ही चल रही है. अफगानिस्तान के हालात की वजह से उनकी ट्रेनिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.

दिसंबर में 43 जेंटलमैन कैडेट होंगे पास आउट: हिमानी पंत ने बताया कि आगामी दिसंबर माह में होने वाली POP में अफगानिस्तान के 43 जेंटलमैन कैडेट पास आउट होंगे. जबकि जून 2022 की POP में 40 अफगानी जेंटलमैन कैडेट पास आउट होंगे. फिलहाल इन जेंटलमैन कैडेट को लेकर भारत सरकार या अफगानिस्तान से कोई संदेश नहीं आया है. भविष्य में रक्षा मंत्रालय जिस तरह के दिशा निर्देश जारी करेगा, IMA प्रशासन उसके हिसाब से काम करेगा.

पढ़ें- तालिबानियों के बीच फंसे देहरादून के चार युवक, ईटीवी भारत के सामने हुए भावुक, मदद की लगाई गुहार

अफगानिस्तानी कैडेट्स के आंकड़ों पर एक नजर: साल 2018 में 49 अफगानी कैडेट्स पास आउट हुए थे. दिसंबर 2020 में 41 और जून 2021 में 43 अफगानी कैडेट्स पास आउट हुए थे. अभी भी 83 अफगानी कैडेट्स आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसमें से 40 तो इसी साल दिसंबर में पास आउट होंगे और बाकी के 43 जून 2022 POP में पास आउट होंगे.

परिजनों को लेकर चिंतित अफगान कैडेट्स: आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे अफगानिस्तान के कैडेट्स अपने परिजनों को लेकर चिंतित हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत के मुताबिक सभी कैडेट्स फोन पर अपने परिजनों का हाल चाल ले रहे हैं. सभी के परिजन सुरक्षित हैं.

पढ़ें- अफगानिस्तान की तरह वियतनाम से भी 19 साल बाद भागा था अमेरिका

शौर्य चक्र विजेता रिटायर्ड कर्नल राकेश सिंह कुकरेती ने बताया कि देहरादून IMA से पास आउट होने वाले अफगानिस्तान के सैन्य अधिकारियों को उनके देश के हालात सामान्य होने तक रोका जा सकता है. जब तक वे सैन्य ट्रेनिग ले रहे हैं, उनके जीवन सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार की है.

तालिबान के हाथों में भविष्य: रिटायर्ड कर्नल कुकरेती ने बताया कि फिलहाल तलिबान को चीन, रूस, तुर्की और पाकिस्तान ने मान्यता दी है. अगर अन्य देशों से भी तलिबान को मान्यता मिलती है तो तालिबान सरकार की डिमांड पर IMA से पास आउट हुए अफगानिस्तान के कैडेट्स को वापस भेजा जा सकता है.

इसके अलावा कुकरेती ने बताया कि यदि वे भारत में ही अपने सेवा देना चाहते हैं तो इसके लिए भारत सरकार को निर्णय लेना होगा. वैसे भारतीय सेना के नियमों के मुताबिक उन्हें यहां रखने का कोई आधिकारिक प्रावधान नहीं है.

इन देशों के जैटलमैन कैडेट लेते हैं ट्रेनिंग: IMA में अफगानिस्तान के अलावा भूटान, नेपाल, श्रीलंका, तजाकिस्तान, मालदीव और वियतनाम समेत 18 मित्र राष्ट्रों के जेंटलमैन कैडेट्स हर साल ट्रेनिंग लेते हैं.

Last Updated : Aug 18, 2021, 10:15 PM IST
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