देहरादूनः सेवा विस्तार की मांग को लेकर दून अस्पताल से हटाए गए फ्रंटलाइन हेल्थ वर्करों ने सचिवालय कूच किया, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. जिससे नाराज प्रदर्शनकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपना आक्रोश व्यक्त किया. उनका कहना है कि कोरोना काल में उनसे काम लिया गया, लेकिन कोरोना कम होते ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. उन्हें रिक्त पदों पर समायोजित करने का आश्वासन भी दिया गया, उस पर कोई कार्रवाई नहीं की हो पाई.
स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स यूनियन उत्तराखंड के अध्यक्ष संजय कोरंगा का कहना है कि बीते कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. सरकार और शासन स्तर पर उनकी मांगों की सुध नहीं ली जा रही है. उन्होंने कहा कि मौखिक तौर पर उन्हें रिक्त पदों पर समायोजित किए जाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन इस मामले में शासन स्तर और कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिससे फ्रंटलाइन हेल्थ वर्करों में सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त है.
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संजय का कहना है कि कोरोना काल में स्टाफ की कमी दूर करने के लिए उन्हें राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नौकरी के लिए रखा गया था, लेकिन कोरोना के मामले कम होने के बाद उनकी सेवाएं 15 मार्च को समाप्त कर दी गई. जिसके बाद से ही कर्मचारी सेवा विस्तार की मांग उठा रहे हैं. ऐसे में सरकार की बेरुखी के चलते उन्हें आज सचिवालय कूच करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार की ओर से लगातार उन्हें सेवा बहाली को लेकर आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर उनकी मांगों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है. उनका ये भी कहना है कि कोरोना काल में उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर ड्यूटी निभाई, लेकिन सरकार रिक्त पदों के सापेक्ष उन्हें समायोजित नहीं कर रही है.