देहरादून: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने आज 27जनवरी बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी प्रदेश मुख्यालय देहरादून में किशोर उपाध्याय की ज्वाइनिंग कराई गई. उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी किशोर उपाध्याय को टिहरी विधानसभा सीट से टिकट दे सकती है. आज 27 जनवरी सुबह ही कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निष्कासित किया था.
कांग्रेस ने उन्हें क्यों निष्कासित किया इस पर किशोर उपाध्याय ने सिर्फ इतना ही कहा कि इसका जवाब वे ही दे सकते है. बीजेपी के शामिल होने के बाद किशोर उपाध्याय ने कहा कि उन्हें बड़ी खुशी है कि वे आज इस पार्टी में शामिल हुए है. वो किसी की आलोचना नहीं करना चाहते है. 45 सालों से तक वे जहां (कांग्रेस) रहे, उनका भी वे बहुत-बहुत धन्यवाद देते है. बीजेपी में मेरी भावना की रक्षा होगी.
पढ़ें- कांग्रेस से किशोर उपाध्याय की छुट्टी, पार्टी ने 6 साल के लिए किया निष्कासित
वहीं एक सवाल के जबाव में किशोर उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने कभी भी किसी विचार धारा का विरोध और पक्ष नहीं लिया है. किशोर उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने आरएसएस का जो काम देखा है, उससे वो काफी प्रभावित हुए है. इसके उनकी उम्मीद और बंध गई की यहां उनके सरोकार पूरे होगे और उनकी राह और आसान होगी.
बता दें कि सुबह ही किशोर उपाध्याय के कांग्रेस ने 6 साल के लिए निष्कासित किया था. कांग्रेस से छुट्टी होने के एक घंटे बाद ही किशोर उपाध्याय बीजेपी में शामिल हो गए. इस दौरान बीजेपी प्रदेश कार्यलाय में प्रेस वार्ता भी आयोजित की गई. उत्तराखंड में बीजेपी चुनाव प्रभारी प्रह्वाद जोशी ने किशोर उपाध्याय को पार्टी की सदस्यता दिलाई. अब उम्मीद की जा रही है कि पार्टी उन्हें टिहरी विधानसभा सीट से मैदान में उतार सकती है. इसकी घोषणा की आज ही कर दी जाएगी, क्योंकि कल 28 जनवरी को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए नामांकन का आखिरी दिन है.
वहीं कांग्रेस ने भी टिहरी विधानसभा सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले है. कहा तो ये भी जा रही है कि यदि टिहरी से बीजेपी किशोर उपाध्याय को टिकट देती है तो कांग्रेस टिहरी से बीजेपी के सिटिंग विधायक धन सिंह नेगी को पार्टी में शामिल करा कर उन्हें टिहरी से मैदान में उतार सकती है. यहीं कारण की उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में टिहरी सबसे हॉट सीट बन गई है.
किशोर उपाध्याय कभी हरीश रावत के प्रमुख सिपहसालारों थे: किशोर उपाध्याय कभी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रमुख सिपहसालारों में शुमार रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही दोनों के संबंध में खिंचाव हो चुका था. बीते साल नवंबर में इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में किशोर ने हरीश रावत को निशाने पर लेते हुए कहा था कि 2017 में सहसपुर सीट से चुनाव वह बड़ी साजिश के चलते हारे थे. इसके जवाब में हरीश रावत ने तंज भी कसा तो चेतावनी भी दी थी. हरदा ने टिहरी समेत कई विधानसभा क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा था कि सहसपुर से टिकट किशोर ने ही तय कराया था.
किशोर उपाध्याय का राजनीकि इतिहास: किशोर उपाध्याय 2002 में टिहरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इसी चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के रतन सिंह को हराया था. इसके बाद 2007 में भी किशोर उपाध्याय टिहरी से ही चुनाव लड़े थे, इस बार उन्होंने बीजेपी के खेम सिंह चौहान को हराया था. हालांकि 2012 में किशोर उपाध्याय को टिहरी सीट से हार का सामना करना पड़ा था. किशोर निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश धनै से हार गए थे. 2014 में कांग्रेस हाईकमान ने किशोर उपाध्याय उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था. 2017 के चुनाव में किशोर उपाध्याय ने सहसपुर से किस्तम अजमाई थी, लेकिन यहां उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. उत्तराखंड विधासभा चुनाव 2017 के बाद पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था. वहीं उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने उन्हें पार्टी के बाहर का रास्त दिखा दिया.