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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गंगा आरती में लिया हिस्सा, ओडिशा ट्रेन हादसे पर जताया दुख

ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गंगा आरती में हिस्सा लिया. उनकी यह गंगा आरती ओडिशा ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों को समर्पित थी. इस दौरान ट्रेन हादसे में घायल लोगों के स्वास्थ्य लाभ की कामना की गई. कोविंद ने कहा कि गंगा के बिना भारत का अस्तित्व नहीं है. ऐसे में गंगा के महत्व को समझना जरूरी है. वहीं, चिदानंद सरस्वती ने उत्तराखंड को धरती का स्विट्जरलैंड के साथ स्पिरिचुअल लैंड बताया.

Ram Nath Kovind Participated Ganga Aarti
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गंगा आरती में लिया हिस्सा
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Published : Jun 5, 2023, 5:21 PM IST

ऋषिकेशः पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सपरिवार परमार्थ निकेतन पहुंचकर गंगा आरती में लिया हिस्सा. उन्होंने ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे पर गहरा दुख जताया. साथ ही प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन रखा और उन्हें श्रद्धांजलि दी. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने मां गंगा से घायलों के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना की.

  • विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में पर्यावरण संरक्षण को समर्पित राम कथा सुनने का सौभाग्य मिला। स्वस्थ एवं समृद्ध पर्यावरण के बिना रामराज्य की स्थापना संभव नहीं है। जीवन की प्रथम आवश्यकता है - शुद्ध वायु। हम सब संकल्प लें कि पर्यावरण को बचाना है। pic.twitter.com/dcUIpLqB4I

    — Ram Nath Kovind (@ramnathkovind) June 5, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल, ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन पहुंचकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वामी चिदानंद सरस्वती समेत अन्य लोगों के साथ गंगा आरती की. परमार्थ निकेतन प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि ओडिशा ट्रेन हादसा हमें बताता है कि जीवन का कोई भरोसा नहीं है. इसलिए जब भी किसी से मिलें, दिल खोल कर मिलें. जो इस हादसे से प्रभावित हुए हैं, उनके लिए मां गंगा से प्रार्थना की गई है. उन्होंने कहा कि यह गंगा आरती हादसे के पीड़ितों को समर्पित की गई.
ये भी पढ़ेंः ओडिशा ट्रेन हादसे पर राज्यपाल गुरमीत सिंह और सीएम धामी ने जताया दुख

स्विट्जरलैंड के साथ स्पिरिचुअल लैंड है उत्तराखंडः स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पूरे विश्व में उत्तराखंड की धरती एक ऐसी धरती है, जहां पर हिमालय के साथ गंगा भी है. वास्तव में यह धरती स्विट्जरलैंड भी है और स्पिरिचुअल लैंड भी है. इस धरती पर जीवन का संगम भी होता है. यहां पर भीतर के साथ बाहर का पर्यावरण भी शुद्ध होता है. यह धरती भीतर के सौंदर्य का दर्शन भी कराती है. उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने हमें विचारों की वैक्सीन प्रदान की. साथ ही अपने घर और जीवन को मंदिर बनाने का संदेश दिया.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही ये बातः वहीं, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मां गंगा के पावन तट पर गंगा आरती की परंपरा को 25 साल पूरे हो गए हैं. इस निरंतरता को जारी रखने का श्रेय स्वामी चिदानंद सरस्वती को जाता है. देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, यह इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. मां गंगा के बिना भारत का अस्तित्व नहीं है. ऐसे में भारत और गंगा एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा कि वे गंगोत्री तक गए हैं. उन्होंने मां गंगा के उद्गम को देखा है.
ये भी पढ़ेंः संतों ने की सीएम धामी से अपील, चारधाम आ रहे श्रद्धालुओं से भरवाया जाए शपथ पत्र

पर्यावरण और जल संरक्षण का संकल्पः उन्होंने कहा कि गंगा का स्वरूप वात्सल्य से युक्त है. करोड़ों भारतीयों की आजीविका मां गंगा से जुड़ी हुई है. मां गंगा की विशेषता उनकी निरंतरता और अविरलता है. गंगा में सब नदियां मिलती चली गई, लेकिन गंगा ने अपना चरित्र नहीं बदला. वही भाव और गुण भारत को भी अपनाना होगा. हमें प्रकृति और गंगा से निरंतरता का मंत्र स्वीकारना होगा. वहीं, इस दौरान पर्यावरण और जल संरक्षण का संकल्प भी लिया गया.

ऋषिकेशः पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सपरिवार परमार्थ निकेतन पहुंचकर गंगा आरती में लिया हिस्सा. उन्होंने ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे पर गहरा दुख जताया. साथ ही प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन रखा और उन्हें श्रद्धांजलि दी. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने मां गंगा से घायलों के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना की.

  • विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में पर्यावरण संरक्षण को समर्पित राम कथा सुनने का सौभाग्य मिला। स्वस्थ एवं समृद्ध पर्यावरण के बिना रामराज्य की स्थापना संभव नहीं है। जीवन की प्रथम आवश्यकता है - शुद्ध वायु। हम सब संकल्प लें कि पर्यावरण को बचाना है। pic.twitter.com/dcUIpLqB4I

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दरअसल, ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन पहुंचकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वामी चिदानंद सरस्वती समेत अन्य लोगों के साथ गंगा आरती की. परमार्थ निकेतन प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि ओडिशा ट्रेन हादसा हमें बताता है कि जीवन का कोई भरोसा नहीं है. इसलिए जब भी किसी से मिलें, दिल खोल कर मिलें. जो इस हादसे से प्रभावित हुए हैं, उनके लिए मां गंगा से प्रार्थना की गई है. उन्होंने कहा कि यह गंगा आरती हादसे के पीड़ितों को समर्पित की गई.
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स्विट्जरलैंड के साथ स्पिरिचुअल लैंड है उत्तराखंडः स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पूरे विश्व में उत्तराखंड की धरती एक ऐसी धरती है, जहां पर हिमालय के साथ गंगा भी है. वास्तव में यह धरती स्विट्जरलैंड भी है और स्पिरिचुअल लैंड भी है. इस धरती पर जीवन का संगम भी होता है. यहां पर भीतर के साथ बाहर का पर्यावरण भी शुद्ध होता है. यह धरती भीतर के सौंदर्य का दर्शन भी कराती है. उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने हमें विचारों की वैक्सीन प्रदान की. साथ ही अपने घर और जीवन को मंदिर बनाने का संदेश दिया.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही ये बातः वहीं, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मां गंगा के पावन तट पर गंगा आरती की परंपरा को 25 साल पूरे हो गए हैं. इस निरंतरता को जारी रखने का श्रेय स्वामी चिदानंद सरस्वती को जाता है. देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, यह इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. मां गंगा के बिना भारत का अस्तित्व नहीं है. ऐसे में भारत और गंगा एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा कि वे गंगोत्री तक गए हैं. उन्होंने मां गंगा के उद्गम को देखा है.
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पर्यावरण और जल संरक्षण का संकल्पः उन्होंने कहा कि गंगा का स्वरूप वात्सल्य से युक्त है. करोड़ों भारतीयों की आजीविका मां गंगा से जुड़ी हुई है. मां गंगा की विशेषता उनकी निरंतरता और अविरलता है. गंगा में सब नदियां मिलती चली गई, लेकिन गंगा ने अपना चरित्र नहीं बदला. वही भाव और गुण भारत को भी अपनाना होगा. हमें प्रकृति और गंगा से निरंतरता का मंत्र स्वीकारना होगा. वहीं, इस दौरान पर्यावरण और जल संरक्षण का संकल्प भी लिया गया.

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