देहरादून: उत्तराखंड के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के कई ठिकानों पर आज 30 अगस्त को विजिलेंस ने छापेमारी की. इस दौरान विजिलेंस की टीम ने हरक सिंह रावत के बेटे के कॉलेज से एक जनरेटर भी जब्त किया है. वहीं, इस कार्रवाई के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी हरक सिंह रावत पर चुटकी ली है.
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिफ्ट ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को स्वतंत्र संज्ञान लेना चाहिए, वो इसके पक्ष में है. इसके साथ ही उन्होंने हरक सिंह रावत पर तंज सकते हुए कहा कि पाप का घड़ा एक न एक दिन भर जाता है. हर जीच की एक सीमा होती है. एक समय के बाद सबको नीचे आना ही होता है. हर एक का अंत समय आता है. इसी तरह से भ्रष्टाचारियों का भी एक क्लाइमैक्स आता है जब उनके पाप का घड़ा भर जाता है.
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Uttarakhand Vigilance team has raided an institute in Shankarpur, Dehradun and a petrol pump in Chhiddarwala. The Vigilance team is examining the documents at both places. These properties belong to Congress leader and former Forest Minister Harak Singh Rawat: State Vigilance…
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 30, 2023
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्रवाई को सही बताया: वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि कोर्ट ने सीबीआई जांच की बात कही है तो सरकार को इसे भी गंभीरता से लेना चाहिए. जांच में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, जो लोग भ्रष्टाचार में संलिप्त है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
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बेटे के कॉलेज में पहुंची टीम: बता दें कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के कई ठिकानों आज 30 अगस्त विजिलेंस ने छापेमारी की है. विजिलेंस की टीम हरक सिंह रावत के बेटे के कॉलेज में भी गई थी, जिसके बाद ही ये मामला राजनीति चर्चाओं में उठा हुआ है. गौरतलब हो कि त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहने के दौरान हरक सिंह रावत पाखरो में टाइगर सफारी बनाने पर जोर देते रहे थे.
पेड़ काटने और अवैध निर्माण का मामला: इसके लिए पाखरो और कालागढ़ क्षेत्र में कई अवैध रूप से पेड़ काटे गए और अवैध निर्माण भी किया गया. इसके बाद NTCA ने शिकायत के आधार पर पहली बार प्रकरण को लेकर मौका मुआयना कर सबसे पहले जांच की. जांच में यह स्पष्ट हो गया कि यहां अवैध रूप से पेड़ काटे गए थे और बिना अनुमति के निर्माण भी किए गए थे.
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हरक सिंह रावत की भूमिका भी संदिग्ध: इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबे समय तक चलता रहा, जबकि हाईकोर्ट ने भी इसका स्वत संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट की CEC इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दे चुकी है. इसमें तमाम अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई गई. वहीं, पहली बार किसी रिपोर्ट में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की भूमिका को भी संदिग्ध बताया गया. इस मामले में विजिलेंस को जांच सौंप गई और तभी से विजिलेंस की हल्द्वानी विंग ने मामले पर एक मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी.
जांच के दौरान विजिलेंस ने कॉर्बेट के विभिन्न विभागों में हुई खरीद को लेकर भी अधिकारियों से रिपोर्ट ली. रिपोर्ट में यह पाया गया कि कई सामान खरीदे गए थे, लेकिन वह वन प्रभाग क्षेत्र में मौजूद नहीं थे. इसके बाद पूछताछ के आधार पर खरीदे गए सामान को लेकर जांच की जा रही है. इसी में खरीदे गए जनरेटर के बिलों की मौजूदगी मिली, लेकिन जनरेटर प्राप्त नहीं हुए.
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लिहाजा सूचना मिलने के बाद विजिलेंस की टीम ने कोर्ट की अनुमति के आधार पर जनरेटर बरामदगी के लिए जानकारी के आधार पर हरक सिंह के विभिन्न कार्यालयों में छापेमारी की, जिसमें हरक सिंह रावत के बेटे के कॉलेज और उनके पेट्रोल पंप पर छापेमारी की गई थी और यहां से जनरेटर बरामद किए गए.
सरकारी सामान हरक सिंह रावत के कार्यालय में बरामद होने के बाद उन पर शिकंजा कसता हुआ नजर आ रहा है. बताया गया है कि हरक सिंह रावत के बेटे के नाम कॉलेज संचालित हो रहा है लिहाजा उनके बेटे पर भी जांच की आंच पहुंच गई है.
कहा जा रहा है कि विजिलेंस की टीम जल्द ही हरक सिंह रावत के बेटे को पूछताछ के लिए बुला सकती है. साथ ही हरक सिंह रावत से भी पूछताछ हो सकती है. इस तरह कॉर्बेट नेशनल पार्क में विभिन्न मामलों को लेकर चल रही जांच में अब सीधे तौर पर तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत भी शिकंजे में फंसते नजर आ रहे हैं.