देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं. हरेला पर्व के मौके पर हरीश रावत मंदिर में पूर्जा अर्चना के लिए पहुंचे थे. साथ ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर हरेला पर्व की बधाई देते हुए उन्हें का रायता भेंट करने की भी बात की है. ऐसे में अब हरीश रावत ने उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार घी संक्रांति को भी अलग अंदाज में मनाने का ऐलान किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत में सोशल मीडिया के माध्यम से हरेला पर्व की महत्ता का जिक्र करते हुए कहा कि हरेले की दो धाराएं होती है. जिसमें एक धारा आध्यात्मिक-सांस्कृतिक है. जबकि, दूसरी पक्ष प्रकृति का है, जिसमें वृक्षारोपण बाह्य स्वरूप होता है. हरेले में दोनों धाराएं प्रभाव में थी, उस दिन एक तरफ घरों में हरेला बोया गया और उस हरेले का श्रृंगार करके उसको शिव और पार्वती को समर्पित करते हुए बेटियों को भेजा गया. इसके साथ ही 'जी राया जाग रया' के संबोधन के साथ बड़ों नहीं छोटों को आशीर्वाद दिया.
दूसरी तरफ लोगों ने जोश के साथ अलग-अलग पौधों का रोपण करके हमारी धरती को हरा-भरा करने का काम किया. उन्होंने दोनों ही पक्षों को मानने वाले लोगों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जो वेबनार किया था, उसमें जिस तरह की रुचि लोगों ने दिखाई, उससे वे बहुत उत्साहित हैं. इस पर्व में जो पुरस्कार प्रतियोगिताएं हमने अपनी माता जी स्वर्गीय श्रीमती दानिश देवी जी के नाम पर रखी थी. उसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है.
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हरीश रावत ने बताया कि पहली बार इस तरह की वर्चुअल प्रतियोगिताएं आयोजित की गई. जिसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की आशंका थी कि इसके लिए प्रतिभागी जुटेंगे या नहीं, लेकिन लोगों ने दोनों प्रतियोगिताओं में अपनी दिलचस्पी दिखाई. इससे उत्साहित होकर अब मैंने निर्णय लिया है कि मैं हमारे आगामी पारंपरिक त्योहार 'घी संक्रांति' को भी अपने तरीके से मनाने जा रहा हूं.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि दानी देवी हरेला प्रतियोगिता की अपार सफलता के बाद अब उन्होंने तय किया है कि मालती देवी के नाम पर एक प्रतियोगिता आयोजित करेंगे. जिसमें प्रथम द्वितीय और तृतीय श्रेणियां होंगी.
रावत ने कहा कि हमारी माताएं बहने सब अन्नपूर्णा है और आगामी 16 अगस्त को आने वाला घी संक्रांति का त्योहार अन्नपूर्ण का त्योहार है. इसलिए इस दिन वर्चुअल प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी. जिसमें वे अपनी बहनों से प्रार्थना करना चाहते हैं कि वह आगे बढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें. इसमें भी पुरस्कार राशि हरेले की तरह ही निर्धारित की जाएगी. इस पुरस्कार की शुरुआत अपनी पत्नी के बनाए हुए रायते के साथ की है, क्योंकि रायता पकवानों का अगवानी वीर है.