देहरादून: उत्तराखंड में एक बार फिर संवैधानिक संकट गहराने लगा है. उत्तराखंड में सीएम तीरथ सिंह रावत के विधानसभा चुनाव लड़ने पर संशय बना हुआ है. वहीं उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट को भी हवा मिल रही है. वहीं मुख्यमंत्री के अचानक दिल्ली दौरे के बाद से चर्चाएं तेज हो गई हैं. वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत ने ट्वीट कर लिखा है कि उत्तराखंड के सम्मुख एक गंभीर वैधानिक/संवैधानिक उलझन खड़ी हो गई है और भाजपा की समझ में यह नहीं आ रहा है कि वो किस ऑप्शन का चयन करें.
हरीश रावत ने आगे लिखा कि राज्य को उलझन में नहीं डाल सकते. मुख्यमंत्री जी लगातार दिल्ली में हैं. कुछ मौसमी तोते भी दिल्ली में आ गये हैं और राज्य के अंदर शासन व्यवस्था बिल्कुल ठप पड़ी हुई है. राज्य के लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि डबल इंजन की कैसी परिभाषा है और कैसी माया है?
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हरदा ने तीसरे ट्वीट में लिखा कि कोर्ट शट डाउन कर सकता है कि क्योंकि कानून की भावना को निरस्त करने के लिए आप कोई कदम नहीं उठा सकते हैं. इसको कानून की मूल भावना को निरस्त करना माना जाएगा. तीसरा उपाय यह है कि आप विधानसभा भंग करें, लेकिन उसमें भी कोर्ट सामने आएगा. क्योंकि आप अपनी राजनैतिक उलझन से बचने के लिए ऐसा करेंगे.
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बता दें मुख्यमंत्री को 6 महीने के भीतर विधानसभा का निर्वाचित सदस्य बनना है. कांग्रेस पार्टी का दावा है कि अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. कांग्रेस दलील दे रही है कि लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151(क) के तहत जिस प्रदेश में आम चुनाव होने में 1 साल से कम का समय शेष हो, वहां पर उपचुनाव नहीं हो सकता. जबकि प्रदेश में मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव है.