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'भ्रष्टाचार के अड्डों की कोई जरूरत नहीं', UKSSSC को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने दिया बयान - UKSSSC को लेकर त्रिवेंद्र सिंह का बयान

उत्तराखंड में हुए भर्ती घोटाले को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former CM Trivendra Singh Rawat) ने एक फिर बड़ा बयान दिया है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में माफिया तंत्र सम्मिलित हुआ है. उसने राज्य के युवाओं के लिए गलत काम किया है. उनका कहना कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को बनाने की मंशा सही नहीं थी. ऐसी संस्थाओं की जरूरत नहीं है, जो राज्य की साख को गिराने का काम करें.

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Published : Oct 12, 2022, 10:32 PM IST

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने UKSSSC को लेकर अपना बयान दोहराया है. उनका कहना कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को बनाने की मंशा सही नहीं थी. ऐसी संस्थाओं की जरूरत नहीं है, जो राज्य की साख को गिराने का काम करें. भ्रष्टाचार के इन अड्डों की प्रदेश को कोई जरूरत नहीं है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में माफिया तंत्र सम्मिलित हुआ है. उसने राज्य के युवाओं के लिए गलत काम किया है. इसलिए जहां उनकी जगह है, उन्हें वहां पहुंचाने का काम राज्य सरकार कर रही है.

बता दें कि UKSSSC भर्ती परीक्षाओं में नए-नए घपले सामने आ रहे हैं. इस मामले में उत्तराखंड से लेकर यूपी लखनऊ तक 44 लोगों को गिरफ्तारी हो चुकी है. इसमें लखनऊ प्रिंटिंग प्रेस के मालिक राजेश चौहान सहित उत्तराखंड सचिवालय के दो अपर निजी सचिव, नैनीताल जनपद अदालतों के न्यायिक कर्मी, उधम सिंह नगर के पुलिसकर्मी सहित सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहे उत्तरकाशी के हाकम सिंह, केंद्रपाल, मनराल, मनोज जोशी जैसे तमाम अभियुक्तों को एसटीएफ सलाखों के पीछे भेज चुकी है.

UKSSSC को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने दिया बयान.

पढ़ें-'बाबा केदार की सौगंध, भर्ती घोटाले के अंतिम दोषी को जेल पहुंचाकर ही लूंगा दम'

वहीं, हाल ही में एसटीएफ ने परीक्षाओं में घपले के आरोप में आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरबीएस रावत, पूर्व सचिव मनोहर कन्याल, परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं, पूर्व सचिव संतोष बड़ोनी को सस्पेंड किया जा चुका है. साथ ही UKSSSC पेपर लीक मामले में मास्टरमाइंड सादिक मूसा और कई मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी हो चुकी है.

गौरतलब है कि यूकेएसएसएससी ने 4 और 5 दिसंबर 2021 को स्नातक स्तर की परीक्षा तीन पालियों में आयोजित की थी. जिसमें करीब 1 लाख 60 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. जिस परीक्षा में 916 अभ्यर्थी चयनित हुए थे, लेकिन बेरोजगार संगठनों और कई छात्रों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच की मांग की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर 22 जुलाई को मुकदमा दर्ज किया गया था.

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने UKSSSC को लेकर अपना बयान दोहराया है. उनका कहना कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को बनाने की मंशा सही नहीं थी. ऐसी संस्थाओं की जरूरत नहीं है, जो राज्य की साख को गिराने का काम करें. भ्रष्टाचार के इन अड्डों की प्रदेश को कोई जरूरत नहीं है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में माफिया तंत्र सम्मिलित हुआ है. उसने राज्य के युवाओं के लिए गलत काम किया है. इसलिए जहां उनकी जगह है, उन्हें वहां पहुंचाने का काम राज्य सरकार कर रही है.

बता दें कि UKSSSC भर्ती परीक्षाओं में नए-नए घपले सामने आ रहे हैं. इस मामले में उत्तराखंड से लेकर यूपी लखनऊ तक 44 लोगों को गिरफ्तारी हो चुकी है. इसमें लखनऊ प्रिंटिंग प्रेस के मालिक राजेश चौहान सहित उत्तराखंड सचिवालय के दो अपर निजी सचिव, नैनीताल जनपद अदालतों के न्यायिक कर्मी, उधम सिंह नगर के पुलिसकर्मी सहित सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहे उत्तरकाशी के हाकम सिंह, केंद्रपाल, मनराल, मनोज जोशी जैसे तमाम अभियुक्तों को एसटीएफ सलाखों के पीछे भेज चुकी है.

UKSSSC को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने दिया बयान.

पढ़ें-'बाबा केदार की सौगंध, भर्ती घोटाले के अंतिम दोषी को जेल पहुंचाकर ही लूंगा दम'

वहीं, हाल ही में एसटीएफ ने परीक्षाओं में घपले के आरोप में आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरबीएस रावत, पूर्व सचिव मनोहर कन्याल, परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं, पूर्व सचिव संतोष बड़ोनी को सस्पेंड किया जा चुका है. साथ ही UKSSSC पेपर लीक मामले में मास्टरमाइंड सादिक मूसा और कई मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी हो चुकी है.

गौरतलब है कि यूकेएसएसएससी ने 4 और 5 दिसंबर 2021 को स्नातक स्तर की परीक्षा तीन पालियों में आयोजित की थी. जिसमें करीब 1 लाख 60 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. जिस परीक्षा में 916 अभ्यर्थी चयनित हुए थे, लेकिन बेरोजगार संगठनों और कई छात्रों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच की मांग की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर 22 जुलाई को मुकदमा दर्ज किया गया था.

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