देहरादून: देश का सबसे लंबा रोपवे बनाने को लेकर उत्तराखंड सरकार की तरफ से औपचारिकताओं को फिलहाल पूरा किया जा रहा है. पिछले लंबे समय से इस रूप में को तैयार करने के लिए जरूरी अनुमति लेने की प्रक्रिया चलाई जा रही है. फिलहाल, रोपवे को स्थापित करने के लिए एनवायरमेंट क्लीयरेंस के लिए फाइल अंतिम चरण में है. उधर, रोपवे के निर्माण के लिए नियमों में कुछ शिथिलता की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है. यही नहीं भारत सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर केंद्रीय औपचारिकताओं पर भी काम चल रहा है.
पहाड़ों की रानी मसूरी का सफर बेहद रोमांचक और आसान करने के लिए देहरादून से मसूरी रोपवे बनाने की तरफ उत्तराखंड आगे बढ़ रहा है. देहरादून के पुरकुल से मसूरी तक बनने वाला यह रोपवे एशिया का दूसरा सबसे लंबा रोपवे होगा. ऐसे में देश के सबसे लंबे इस रोपवे के लिए केंद्र की अनुमति से लेकर नियमों के तहत जरूरी औपचारिकताओं को भी पूरा किया जा रहा है.
वहीं, मौजूदा तैयारियों के अनुसार देहरादून से मसूरी के बीच करीब 5.5 किलोमीटर लंबे रोपवे के निर्माण की फाइलें उत्तराखंड शासन से लेकर केंद्रीय मंत्रालय तक चल रही है. दरअसल, इस प्रोजेक्ट के निर्माण में सबसे बड़ी परेशानी मसूरी आईटीबीपी की भूमि का हस्तांतरण रही है लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से इस भूमि पर रोपवे से संबंधित सभी अनुमतियां दे दी गई है.
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उधर, यह भी तय किया गया है कि इस भूमि को उत्तराखंड सरकार की तरफ से खरीदा जाएगा लिहाजा उत्तराखंड शासन में इस भूमि को खरीदे जाने से जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है. इससे पहले रोपवे के लिए जरूरी नियम के तहत जमीन का लैंड यूज चेंज करने जिसमें कृषि भूमि को कमर्शियल में तब्दील करने और पर्यटन की श्रेणी में रखने के लिए भी अनुमति ली जा रही है.
आपको बता दें कि देहरादून से मसूरी रोपवे बनने के बाद इस मार्ग पर वाहनों का भारी दबाव कम हो सकेगा. यही नहीं मसूरी में पार्किंग को लेकर सालों साल से चली आ रही बड़ी समस्या को भी कुछ हद तक कम किया जा सकेगा. इस रोपवे को काफी बड़ा बनाया जाना है जिससे जाहिर है कि काफी बड़ी संख्या में लोग रोपवे के जरिए एक ही बारी में मसूरी तक पहुंच सकेंगे.
बताया यह भी जा रहा है कि देहरादून से मसूरी का सफर रोपवे के जरिए करीब 18 से 20 मिनट का होगा. रोपवे के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों के साथ भी अधिकारियों की तरफ से जनसुनवाई की जा रही है. इसमें उन्हें इसके फायदे और उनकी आपत्तियों को भी सुना गया है.
खास बात यह है कि स्थानीय लोगों ने भी रोजगार को महत्वपूर्ण मानते हुए इस पर गंभीरता दिखाई है. इस रोपवे के बनने से न केवल यात्रियों को फायदा होगा बल्कि स्थानीय लोगों को भी इससे रोजगार मिलेगा. रोपवे निर्माण की जगह के आसपास का भी विकास किया जाएगा और यहां पर रोजगार की संभावनाएं काफी ज्यादा बढ़ जाएगी. मसूरी में जहां लाइब्रेरी चौक पर रोपवे का स्टेशन तैयार होगा तो वहीं, देहरादून में पुरकुल गांव में उसके लिए बड़ा स्टेशन बनाया जाएगा.
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इस रोपवे की ढुलाई छमता दोनों तरफ 1000 यात्री प्रति घंटे की होगी. इस प्रोजेक्ट में अभी 3 मुख्य औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है, इसमें पहला पर्यावरणीय क्लीयरेंस का पार्ट है, दूसरा हिस्सा केंद्र की अनुमति के बाद उत्तराखंड शासन की तरफ से आईटीबीपी के जमीन को खरीदे जाने से जुड़ा है. जिसमें फिलहाल शासन की तरफ से इस जमीन के स्वामित्व को लेकर औपचारिकताएं पूरी की जा रही है.
इस प्रोजेक्ट का तीसरा महत्वपूर्ण विषय रोपवे की जरूरतों को देखते हुए तय नियमों में शिथिलता से जुड़ा है. रोपवे की ऊंचाई को देखते हुए मसूरी में निर्माण कार्यों को लेकर तय नियमों में शिथिलता से जुड़े विषयों की औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है.