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प्रदेश में लागू नहीं हो रहा वनाधिकार कानून, अंदरूनी राजनीति बन रही वजह

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Published : Oct 16, 2019, 5:50 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 6:42 PM IST

राहुल गांधी के निर्देशों के बाद भी कांग्रेस के कुछ लोग ही वनाधिकार कानून का विरोध करते दिख रहे हैं. पार्टी की अंदरूनी राजनीति में इन निर्देशों को नजरअंदाज किया जा रहा है.

प्रदेश में लागू नहीं हो रहा वनाधिकार कानून.

देहरादून: यूपीए सरकार द्वारा लागू किए गए वनाधिकार कानून को उत्तराखंड कांग्रेस संगठन की तरफ से अबतक समर्थन नहीं मिला है. राहुल गांधी के निर्देशों के बाद भी कांग्रेस के ही कुछ लोग वनाधिकार कानून का विरोध करते दिख रहे हैं. पार्टी की अंदरूनी राजनीति में इन निर्देशों को नजरअंदाज किया जा रहा है.

प्रदेश में लागू नहीं हो रहा वनाधिकार कानून.

दरअसल, आदिवासियों और दूसरे परंपरागत वनवासियों के लिए वनों में रहने के अधिकार समेत उन्हें आजीविका का अधिकार देने को लेकर साल 2006 में वन अधिकार कानून संसद में पास हुआ था. केंद्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने साल 2008 में इसे नोटिफाई कर लागू भी करवाया था, लेकिन कई सालों बाद भी राज्य सरकारों ने इसे अपने-अपने राज्यों में लागू नहीं किया है. इसे लेकर राहुल गांधी भी इस कानून को लागू करवाने को लेकर पार्टी नेताओं को निर्देश जारी कर चुके हैं.

बता दें कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए वनाधिकार जन आंदोलन को समर्थन करने का भी प्रस्ताव पास किया जा चुका है. इस कानून को लेकर राहुल गांधी के निर्देश पार्टी की अंदरूनी राजनीति में नजरअंदाज कर दिए गए हैं.

वनाधिकार आंदोलन के संयोजक और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बताया कि इस आंदोलन के समर्थन के लिए राहुल गांधी ने निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में कांग्रेस नेताओं को इसका समर्थन करना चाहिए और इसके लिए आगे बढ़कर आंदोलन में भाग लेना चाहिए.

देहरादून: यूपीए सरकार द्वारा लागू किए गए वनाधिकार कानून को उत्तराखंड कांग्रेस संगठन की तरफ से अबतक समर्थन नहीं मिला है. राहुल गांधी के निर्देशों के बाद भी कांग्रेस के ही कुछ लोग वनाधिकार कानून का विरोध करते दिख रहे हैं. पार्टी की अंदरूनी राजनीति में इन निर्देशों को नजरअंदाज किया जा रहा है.

प्रदेश में लागू नहीं हो रहा वनाधिकार कानून.

दरअसल, आदिवासियों और दूसरे परंपरागत वनवासियों के लिए वनों में रहने के अधिकार समेत उन्हें आजीविका का अधिकार देने को लेकर साल 2006 में वन अधिकार कानून संसद में पास हुआ था. केंद्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने साल 2008 में इसे नोटिफाई कर लागू भी करवाया था, लेकिन कई सालों बाद भी राज्य सरकारों ने इसे अपने-अपने राज्यों में लागू नहीं किया है. इसे लेकर राहुल गांधी भी इस कानून को लागू करवाने को लेकर पार्टी नेताओं को निर्देश जारी कर चुके हैं.

बता दें कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए वनाधिकार जन आंदोलन को समर्थन करने का भी प्रस्ताव पास किया जा चुका है. इस कानून को लेकर राहुल गांधी के निर्देश पार्टी की अंदरूनी राजनीति में नजरअंदाज कर दिए गए हैं.

वनाधिकार आंदोलन के संयोजक और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बताया कि इस आंदोलन के समर्थन के लिए राहुल गांधी ने निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में कांग्रेस नेताओं को इसका समर्थन करना चाहिए और इसके लिए आगे बढ़कर आंदोलन में भाग लेना चाहिए.

Intro:summary- यूपीए सरकार में लागू किए गए वनाधिकार कानून को राहुल गांधी के निर्देशों के बाद भी उत्तराखंड कांग्रेस संगठन की तरफ से समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है... हालत यह है कि कॉन्ग्रेस के कुछ लोग ही वन अधिकार कानून पर संघर्ष करते दिख रहे हैं, जबकि संगठन में मौजूद कथित दूसरा खेमा इसके हक में आवाज उठाता नहीं दिख रहा है...


Body:आदिवासियों और दूसरे परंपरागत वनवासियों के लिए वनों में रहने के अधिकार समेत उन्हें आजीविका का अधिकार देने को लेकर साल 2006 में वन अधिकार कानून संसद में पास हुआ.. केंद्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने साल 2008 में इसे नोटिफाई कर लागू भी करवा दिया... लेकिन कई सालों बाद भी राज्य सरकारों ने इसे अपने-अपने राज्यों में लागू नहीं किया है... इसी को देखते हुए राहुल गांधी अपनी सरकार में बनाए गए इस कानून को लागू करवाने को लेकर पार्टी नेताओं को निर्देश जारी कर चुके हैं... यही नहीं उत्तराखंड में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में वन अधिकार कानून को लागू करने के लिए वन अधिकार जन आंदोलन को समर्थन करने का भी प्रस्ताव पास किया जा चुका है... इस सबके बीच चिंता की बात यह है कि इस कानून को लेकर राहुल गांधी के निर्देश पार्टी की अंदरूनी राजनीति में नज़रन्दाज कर दिए गए हैं... हालत यह है कि वन अधिकार आंदोलन पार्टी के महज नेताओं द्वारा ही चलाया जा रहा है.. जबकि संगठन पर का बीच कथित दूसरा खेमा इसके समर्थन में खुलकर नहीं दिखाई दे रहा है...यूं तो वन अधिकार आंदोलन का मकसद जनजातीय और परंपरागत वनों में रहने वाले लोगों को अधिकार दिलाना था लेकिन यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए इस कानून को लेकर चलाये जा रहे आंदोलन को उत्तराखंड में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का शिकार होना पड़ा है... वन अधिकार आंदोलन के संयोजक और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय बताते हैं कि इस आंदोलन को समर्थन के लिए राहुल गांधी द्वारा निर्देश दिए गए हैं ऐसे में कांग्रेसजनों को इसका समर्थन करना चाहिए और इसके लिए आगे बढ़ कर आंदोलन में भाग लेना चाहिए।।

बाइट किशोर उपाध्याय, संयोजक, वन अधिकार जन आंदोलन


Conclusion:
Last Updated : Oct 16, 2019, 6:42 PM IST
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