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पुराने ढर्रे पर चल रहा वन महकमा, मंत्री ने नए फार्मूले को तैयार करने के दिए निर्देश

वन मंत्री हरक सिंह रावत ने वन विभाग को जंगल को आग से बचाने के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने का आदेश दिया है.

Forest Minister Harak Singh Rawat
वन मंत्री हरक सिंह रावत
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Published : Jun 26, 2021, 7:18 AM IST

Updated : Jun 26, 2021, 7:30 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में वनों में आग को लेकर वन विभाग समय-समय पर चिंता जाहिर करता रहता है. साथ ही जंगलों में लग रही आग को बुझाने के लिए किए जा रहे नए-नए प्रयासों को भी बताया जाता है. लेकिन हकीकत यह है कि वन विभाग आधुनिक समय में भी ढर्रे के भरोसे चल रहा है.

बता दें कि, विभाग की ओर से आज भी पारंपरिक पुराने तरीकों से ही वनों में आग लगने की घटना के बाद होने वाले नुकसान का आकलन किया जाता है. शायद इसलिए विभाग को वनों में आग लगने की सटीक जानकारी नहीं लग पाती और न ही इसके लिए आधुनिक और वैज्ञानिक प्रबंध किए जा रहे हैं.

मंत्री ने नए फार्मूले को तैयार करने के दिए निर्देश.
उत्तराखंड में वनों में लगने वाली आग न केवल वन विभाग बल्कि लोगों के लिए भी एक बड़ी चिंता का सबब बना रहता हैं. हर साल लगने वाली आग को लेकर फायर सीजन से कुछ महीनों पहले ही तैयारियां की जाती है. उसके बाद आग की घटनाओं पर विभाग अपनी गंभीरता जाहिर करता है. जबकि विभाग की तरफ से ऐसी घटनाओं को लेकर सटीक अध्ययन और नुकसान के वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता रहा है. इस कारण आग की घटनाओं को रोकने के लिए नए और आधुनिक तरीकों पर भी काम नहीं हो पा रहा है.

वन विभाग काफी पहले से ही कुछ हेक्टेयर में लगी आग से होने वाले नुकसान के पुराने फार्मूले पर चल रहा है. परिस्थितियों को देखते हुए वन विभाग ने आग की घटनाओं से होने वाले नुकसान के लिए वैज्ञानिक और आधुनिक अध्ययन और अपनाएं जाने वाले फार्मूले को तैयार करने के लिए निर्देशित किया है.

पढ़ें: क्रश बैरियर से टकराने के बाद कार में लगी आग, बाल-बाल बची 5 लोगों की जान

वन मंत्री ने प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी को उसके मद्देनजर एक कमेटी बनाकर नए फार्मूले को तैयार करने और इस पूरी स्थिति पर अध्ययन करने के लिए निर्देश दिए हैं.

देहरादून जनपद में अग्निशमन द्वारा की गई कार्रवाई-

सालआग की घटनाएं
2018129
2019133
202036
2021*165

देहरादून: उत्तराखंड में वनों में आग को लेकर वन विभाग समय-समय पर चिंता जाहिर करता रहता है. साथ ही जंगलों में लग रही आग को बुझाने के लिए किए जा रहे नए-नए प्रयासों को भी बताया जाता है. लेकिन हकीकत यह है कि वन विभाग आधुनिक समय में भी ढर्रे के भरोसे चल रहा है.

बता दें कि, विभाग की ओर से आज भी पारंपरिक पुराने तरीकों से ही वनों में आग लगने की घटना के बाद होने वाले नुकसान का आकलन किया जाता है. शायद इसलिए विभाग को वनों में आग लगने की सटीक जानकारी नहीं लग पाती और न ही इसके लिए आधुनिक और वैज्ञानिक प्रबंध किए जा रहे हैं.

मंत्री ने नए फार्मूले को तैयार करने के दिए निर्देश.
उत्तराखंड में वनों में लगने वाली आग न केवल वन विभाग बल्कि लोगों के लिए भी एक बड़ी चिंता का सबब बना रहता हैं. हर साल लगने वाली आग को लेकर फायर सीजन से कुछ महीनों पहले ही तैयारियां की जाती है. उसके बाद आग की घटनाओं पर विभाग अपनी गंभीरता जाहिर करता है. जबकि विभाग की तरफ से ऐसी घटनाओं को लेकर सटीक अध्ययन और नुकसान के वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता रहा है. इस कारण आग की घटनाओं को रोकने के लिए नए और आधुनिक तरीकों पर भी काम नहीं हो पा रहा है.

वन विभाग काफी पहले से ही कुछ हेक्टेयर में लगी आग से होने वाले नुकसान के पुराने फार्मूले पर चल रहा है. परिस्थितियों को देखते हुए वन विभाग ने आग की घटनाओं से होने वाले नुकसान के लिए वैज्ञानिक और आधुनिक अध्ययन और अपनाएं जाने वाले फार्मूले को तैयार करने के लिए निर्देशित किया है.

पढ़ें: क्रश बैरियर से टकराने के बाद कार में लगी आग, बाल-बाल बची 5 लोगों की जान

वन मंत्री ने प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी को उसके मद्देनजर एक कमेटी बनाकर नए फार्मूले को तैयार करने और इस पूरी स्थिति पर अध्ययन करने के लिए निर्देश दिए हैं.

देहरादून जनपद में अग्निशमन द्वारा की गई कार्रवाई-

सालआग की घटनाएं
2018129
2019133
202036
2021*165
Last Updated : Jun 26, 2021, 7:30 AM IST
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