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आग से धधक रहे उत्तराखंड के जंगल, 10 हजार कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर विदेश गए वन विभाग के मुखिया - उत्तराखंड वन विभाग

उत्तराखंड के जंगलों में भड़कती आग पर काबू पाने के लिए CM त्रिवेंद्र ने जनता से की मदद की अपील. उधर, 10 हजार कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर विदेश दौरे पर निकले वन विभाग के मुखिया.

जंगल में भड़कती आग.
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Published : May 15, 2019, 9:43 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. इसी बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वनाग्नि को बुझाने के लिए जनसहयोग की अपील करते हुए कहा है कि अकेले सरकार आग से नहीं निपट सकती. दावानल से निपटने के लिए जनता का योगदान अहम है. वहीं, बेकाबू होती आग के मद्देनजर विभाग ने वनाग्नि नियंत्रण करने वाले 10 हजार कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दीं और खुद विभाग के मुखिया जय राज विदेश दौरे पर चले गये.

उत्तराखंड के जंगलों में बेकाबू हुई आग.

जंगलों की आग के सामने सरकार और वन विभाग दोनों बेबस लग रहे हैं. ऐसे में बारिश ही भड़कती आग पर काबू पाने का एक मात्र सहारा नजर आ रही है. लेकिन, हैरान करने वाली बात ये है कि उत्तराखंड में अबतक 1044.035 हेक्टेयर जंगल में आग लगने के बावजूद भी प्रमुख वन संरक्षक विदेश दौरे पर निकल गए हैं. अन्य कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर खुद विदेश दौरे पर जाना वनाग्नि से निपटने के लिए विभाग की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है.

पढ़ें- 'दावानल के दानव' की भूख बढ़ा रहा चीड़, हर साल होती है करोड़ों की वन संपदा खाक

70 फीसदी जंगल और इन जंगलों की बहुमुल्य हिमालयी वन संपदा का बड़ा हिस्सा जलकर राख हो रहा है. वनों से उठती आग की लपटों की वजह से धरती और आसमान दोनों इनदिनों काले धुएं से घिरे हुए हैं. वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अबतक वनाग्नि से 17 लाख का नुकसान हो चुका है. वहीं, 6 मवेशियों की मौत और 6 घायल हुए हैं.

forest fire in uttarakhand
उत्तराखंड वन विभाग.

वन विभाग से मिले आंकड़े

जिला इतने हेक्टेयर जंगल हुए धुआं नुकसान रुपये में
अल्मोड़ा 293 640377
बागेश्वर 38.91 87547.5
चमोली 17.5 34875
चम्पावत 92.9 196514.5
देहरादून 64.75 60375
हरिद्वार 12.65 8212.5
नैनिताल 201.58 180985
पौड़ी गढ़वाल 128 160300
पिथौरागढ़ 56.45 126712.5
रुद्रप्रयाग 33.25 69187.5
टिहरी गढ़वाल 96.35 134699.5
उधम सिंह नगर 03.8 1450
उत्तरकाशी 05.7 12175
कुल 1044.035 1713411

जंगलों में भड़की आग पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि उत्तराखंड वन विभाग के पास इतनी बड़ी मशीनरी नहीं है कि वनाग्नि से निपटा जा सके और न ही वनाग्नि से निपटने के लिए विशेषज्ञ हैं. ऐसे में जंगलों के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों को आग बुझाने में सरकार का सहयोग करना होगा और जंगलों में आग लगाने वाले लोगों को चिन्हित कर उन्हें रोकना होगा. जन सहभागिता से ही जंगलों की आग पर काबू पाना संभव है. बता दें कि वन विभाग ने वनाग्नि से निपटने के लिए 50 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से केवल 22 से 23 करोड़ रुपये ही विभाग को मिले हैं.

देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. इसी बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वनाग्नि को बुझाने के लिए जनसहयोग की अपील करते हुए कहा है कि अकेले सरकार आग से नहीं निपट सकती. दावानल से निपटने के लिए जनता का योगदान अहम है. वहीं, बेकाबू होती आग के मद्देनजर विभाग ने वनाग्नि नियंत्रण करने वाले 10 हजार कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दीं और खुद विभाग के मुखिया जय राज विदेश दौरे पर चले गये.

उत्तराखंड के जंगलों में बेकाबू हुई आग.

जंगलों की आग के सामने सरकार और वन विभाग दोनों बेबस लग रहे हैं. ऐसे में बारिश ही भड़कती आग पर काबू पाने का एक मात्र सहारा नजर आ रही है. लेकिन, हैरान करने वाली बात ये है कि उत्तराखंड में अबतक 1044.035 हेक्टेयर जंगल में आग लगने के बावजूद भी प्रमुख वन संरक्षक विदेश दौरे पर निकल गए हैं. अन्य कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर खुद विदेश दौरे पर जाना वनाग्नि से निपटने के लिए विभाग की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है.

पढ़ें- 'दावानल के दानव' की भूख बढ़ा रहा चीड़, हर साल होती है करोड़ों की वन संपदा खाक

70 फीसदी जंगल और इन जंगलों की बहुमुल्य हिमालयी वन संपदा का बड़ा हिस्सा जलकर राख हो रहा है. वनों से उठती आग की लपटों की वजह से धरती और आसमान दोनों इनदिनों काले धुएं से घिरे हुए हैं. वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अबतक वनाग्नि से 17 लाख का नुकसान हो चुका है. वहीं, 6 मवेशियों की मौत और 6 घायल हुए हैं.

forest fire in uttarakhand
उत्तराखंड वन विभाग.

वन विभाग से मिले आंकड़े

जिला इतने हेक्टेयर जंगल हुए धुआं नुकसान रुपये में
अल्मोड़ा 293 640377
बागेश्वर 38.91 87547.5
चमोली 17.5 34875
चम्पावत 92.9 196514.5
देहरादून 64.75 60375
हरिद्वार 12.65 8212.5
नैनिताल 201.58 180985
पौड़ी गढ़वाल 128 160300
पिथौरागढ़ 56.45 126712.5
रुद्रप्रयाग 33.25 69187.5
टिहरी गढ़वाल 96.35 134699.5
उधम सिंह नगर 03.8 1450
उत्तरकाशी 05.7 12175
कुल 1044.035 1713411

जंगलों में भड़की आग पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि उत्तराखंड वन विभाग के पास इतनी बड़ी मशीनरी नहीं है कि वनाग्नि से निपटा जा सके और न ही वनाग्नि से निपटने के लिए विशेषज्ञ हैं. ऐसे में जंगलों के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों को आग बुझाने में सरकार का सहयोग करना होगा और जंगलों में आग लगाने वाले लोगों को चिन्हित कर उन्हें रोकना होगा. जन सहभागिता से ही जंगलों की आग पर काबू पाना संभव है. बता दें कि वन विभाग ने वनाग्नि से निपटने के लिए 50 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से केवल 22 से 23 करोड़ रुपये ही विभाग को मिले हैं.

Intro:वनाग्नि पर सरकार में किये हाथ खड़े, सीएम ने की जन सहयोग की अपील उधर 10 हजार कर्मचारियों की छुट्टी रद्द विदेश दौरे पर वन विभाग के मुखिया....
Special Story- जंगल मे आग, विदेश में अधिकारी-

एंकर- उत्तराखंड में जगलो में लगी आग दिन ब दिन और विक्राल रुप लेती जा रही है और इसी बीच मुख्यमंत्री त्रीवेंद्र रावत का बयान आया है कि सरकार के हाथ में आग से निपटना नही है और आम जन से वनाग्नी से निपटने के लिए जनसहयोग की अपील की है तो वहीं दूसरी तरफ वनाग्नी नियंत्रण की मुख्य भूमीका में मौजूद वन विभाग के प्रमुख 10 हजार क्रमियों की छुट्टियां रद्द कर विदेश दौरे पर चले गये हैं.. एसे में वनाग्नी को लेकर सरकार का ये रवैया कई सवाल खड़े कर रहा है।


Body:वीओ-  70 फीसदी जंगल और इन जंगलों में बहुमुल्य हिमालयी वन संपदा, जैव विधिधता रखने वाली उत्तराखंड सरकार का गूरुर ना जाने तब कहां जाता है जब इसी वन संपदा बड़ा हिस्सा धुआं हो जाता है। येसा ही कुछ तस्वीर उत्तराखंड में इन दिनो आसानी से देखी जा सकती है। जमीन से लेकर आसमान तक देवभूमी इन दिनो काले धूंए से घिरी हुई है। वन विभाग के आंकड़ो के अनुसार अब तक 1 हजार हैक्टियर से ज्यादा जंगल जल कर राख हो गया है जिसमें अब तक 17 लाख का नुकसान हो चुका है तो वहीं 6 मवेशियों के नुकसान सही 6 लोग वनाग्नी की वजह से घायल हुए हैं।

उत्तराखंड में वनाग्नी का हाल-

जिला                 जंगल हो गया राख                 नुकसान

अल्मोड़ा              293 हैक्टियर                 640377 रुपये
बागेश्वर              38.91 हैक्टियर              87547.5 रुपये  
चमौली                 17.5 हैक्टियर            34875 रुपये  
चम्पावत                    92.9 हैक्टियर        196514.5 रुपये
देहरादून                    64.75 हैक्टियर           60375 रुपये
हरिद्वार                    12.65 हैक्टियर             8212.5 रुपये
नैनिताल                  201.58 हैक्टियर          180985 रुपये
पौड़ी गढ़वाल             128 हैक्टियर              160300 रुपये
पिथौरागढ़                56.45 हैक्टियर         126712.5 रुपये
रुद्रप्रयाग                  33.25 हैक्टियर           69187.5 रुपये  
टीहरी गढ़वाल           96.35 हैक्टियर        134699.5 रुपये
उधमसिंह नगर              3.8 हैक्टियर               1450 रुपये
उत्तरकाशी                    5.7 हैक्टियर              12175 रुपये
पूरा उत्तराखंड       1044.035 हैक्टियर     1713411 रुपये  

वीओ- मुख्यमंत्री त्रीवेंद्र रावत ने उत्तराखंड के जंगलो में लगी आग पर कहा कि उत्तराखंड वन विभाग के पास इतनी बड़ी मशीनरी नही है वनाग्नी से निपटा जा सकें और ना ही उत्तराखंड के पास वनाग्नी से निपटने के लिए विशेषज्ञ हैं। एसे में मुख्यमंत्री त्रीवेंद्र रावत ने आम जन से सहयोग की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जंगलो के आस पास वाले ग्रामीणों को आग को बुझाने में सहयोग करना होगा और जंगलो में आग लगाने वाले लोगों को चिन्हित कर उन्हे रोकना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराकंड के जंगलो में भड़की आग को नियंत्रिण करना केवल और केवल आम लोगों जन सहभागिता से ही संभव है और इसके लिए वन विभाग संक्षम नही है।

बाइट- त्रीवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखड

वीओ- एक तरफ जहां मुख्यमंत्री त्रीवेंद्र रावत ने वनाग्नी को लेकर हाथ खड़े कर दिये हैं तो वहीं वन विभाग में हालात हेरान करने वाले हैं। एक तरफ प्रमुख वन संरक्षक ने सूबे के जंगलों में दिन दूनी और रात चौगुनी भड़क रही आग को लेकर पिछले महीने से ही 10 हजार लोगों को वनाग्नी नियंत्रण में लगाकर उनकी छुट्टी रद्द कर दी है तो वहीं खुद प्रमुख वन संरक्षक आज से विदेश दौरे पर हैं। तब जब उत्तराखंड राज्य का 1044.035 हैक्टियर जंगल जल कर राख हो गया है और इससे कई ज्यादा खाक होने की कगार पर खड़ा है एसे में विभाग के मुखिया का विदेश दौरे पर जाना समझ से परे हैं। वहीं इसके अलावा वनाग्नी से जुड़े अन्य पहलुओं पर गौर करें तो वनाग्नी को लेकर विभाग द्वारा 50 करोड़ की मांग की गई थी जिसमें से केवल 22 से 23 कोरड़ ही वनाग्नी के लिए सेंस्कशन हो पाये हैं एसे में साफ अदांजा लगाया जा सकता है कि निसंदेह वनाग्नी विक्राल रुप में है और नियंत्रण का काम चौनौती भरा है लेकिन विभाग इस विक्राल समस्या पर कितना गंभीर है इस पर सवालिए निशान खड़े हैं। देहरादून से धीरज सजवाण की रिपोर्ट




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