देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. इसी बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वनाग्नि को बुझाने के लिए जनसहयोग की अपील करते हुए कहा है कि अकेले सरकार आग से नहीं निपट सकती. दावानल से निपटने के लिए जनता का योगदान अहम है. वहीं, बेकाबू होती आग के मद्देनजर विभाग ने वनाग्नि नियंत्रण करने वाले 10 हजार कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दीं और खुद विभाग के मुखिया जय राज विदेश दौरे पर चले गये.
जंगलों की आग के सामने सरकार और वन विभाग दोनों बेबस लग रहे हैं. ऐसे में बारिश ही भड़कती आग पर काबू पाने का एक मात्र सहारा नजर आ रही है. लेकिन, हैरान करने वाली बात ये है कि उत्तराखंड में अबतक 1044.035 हेक्टेयर जंगल में आग लगने के बावजूद भी प्रमुख वन संरक्षक विदेश दौरे पर निकल गए हैं. अन्य कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर खुद विदेश दौरे पर जाना वनाग्नि से निपटने के लिए विभाग की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है.
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70 फीसदी जंगल और इन जंगलों की बहुमुल्य हिमालयी वन संपदा का बड़ा हिस्सा जलकर राख हो रहा है. वनों से उठती आग की लपटों की वजह से धरती और आसमान दोनों इनदिनों काले धुएं से घिरे हुए हैं. वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अबतक वनाग्नि से 17 लाख का नुकसान हो चुका है. वहीं, 6 मवेशियों की मौत और 6 घायल हुए हैं.
वन विभाग से मिले आंकड़े
जिला | इतने हेक्टेयर जंगल हुए धुआं | नुकसान रुपये में |
अल्मोड़ा | 293 | 640377 |
बागेश्वर | 38.91 | 87547.5 |
चमोली | 17.5 | 34875 |
चम्पावत | 92.9 | 196514.5 |
देहरादून | 64.75 | 60375 |
हरिद्वार | 12.65 | 8212.5 |
नैनिताल | 201.58 | 180985 |
पौड़ी गढ़वाल | 128 | 160300 |
पिथौरागढ़ | 56.45 | 126712.5 |
रुद्रप्रयाग | 33.25 | 69187.5 |
टिहरी गढ़वाल | 96.35 | 134699.5 |
उधम सिंह नगर | 03.8 | 1450 |
उत्तरकाशी | 05.7 | 12175 |
कुल | 1044.035 | 1713411 |
जंगलों में भड़की आग पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि उत्तराखंड वन विभाग के पास इतनी बड़ी मशीनरी नहीं है कि वनाग्नि से निपटा जा सके और न ही वनाग्नि से निपटने के लिए विशेषज्ञ हैं. ऐसे में जंगलों के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों को आग बुझाने में सरकार का सहयोग करना होगा और जंगलों में आग लगाने वाले लोगों को चिन्हित कर उन्हें रोकना होगा. जन सहभागिता से ही जंगलों की आग पर काबू पाना संभव है. बता दें कि वन विभाग ने वनाग्नि से निपटने के लिए 50 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से केवल 22 से 23 करोड़ रुपये ही विभाग को मिले हैं.