देहरादून: उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में कमी आई है, लेकिन चिंता की बात यह है कि इस साल प्रदेश में अप्रैल माह तक बारिश का सिलसिला जारी था. इसके बावजूद जंगलों में आग लगने की घटना ने दोहरा शतक लगा दिया है. बारिश के बावजूद भी प्रदेश में इस साल अब तक 200 से अधिक जंगल में आग लगने की घटना सामने आ चुकी है.
उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने का सिलसिला अब तेज होने लगा है. यह स्थिति तब है, जब प्रदेश में अब भी लगातार कई क्षेत्रों में बारिश का असर बना हुआ है. हालांकि, पिछले कुछ दिनों में तापमान में बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई है, लेकिन इस दौरान बारिश के होने से तापमान घटता बढ़ता रहता है. कुल मिलाकर देखा जाए तो राज्य में इस बार लोगों को गर्मी का सितम अब तक नहीं देखने को मिला है.
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इन परिस्थितियों में भी प्रदेश में आग लगने की घटना का आंकड़ा 200 के पार जा चुका है. इतना ही नहीं फायर सीजन के शुरुआती महीनों में ही अब तक दो लोगों की मौत भी हो चुकी है. जबकि एक व्यक्ति वनाग्नि की घटना में घायल भी हुआ है. राज्य में पिछले 1 हफ्ते में 91 जंगल में आग लगने की घटना रिकॉर्ड की गई है. देखा जाए तो अप्रैल महीने में तेजी से आग लगने की घटनाएं बढ़ी है.
फायर सीजन शुरू होने के बाद पौड़ी जिले के डीएफओ सिविल सोयम रेंज में दो युवकों की झुलस कर मौत हुई थी. हालांकि, वन विभाग की तरफ से आग की घटनाओं को बुझाने के लिए 1,198 कर्मचारी जूट चुके हैं. उन्होंने 200 से ज्यादा वनाग्नि को बुझाने का प्रयास किया. उधर राजस्व विभाग के 4 और पुलिस के 5 कर्मचारियों ने भी फॉरेस्ट फायर बुझाने में मदद की है. इसी तरह वनाग्नि बुझाने में स्थानीय लोगों का भी बड़ा योगदान देखने को मिल रहा है. अब तक 528 स्थानीय आग बुझाने के लिए आगे आए हैं.
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बता दें कि राज्य में 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन माना जाता है. इस साल फायर सीजन के दौरान कुल 246 आग लगने की घटनाएं हो चुकी है. इसमें 164 आरक्षित वनों में आग लगने की घटनाएं हुई है. वही सिविल वन पंचायत क्षेत्रों में 82 घटनाएं हुई है. आग में अब तक 325.71 हेक्टेयर वन प्रभावित हुए हैं. जबकि राज्य को इस से 9,52,520 रुपए का नुकसान भी हो चुका है.
इन स्थितियों के बीच उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल आग लगने की घटनाओं पर रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कह रहे हैं. सुबोध उनियाल की मानें तो राज्य में पहली बार जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्थानीय कमेटी बनाई गई है. ताकि आग लगने की घटनाओं को कम किया जा सके.