देहरादून: प्रसिद्ध पर्यटक स्थल लच्छीवाला अब सालभर पर्यटकों से गुलजार रहेगा. मुख्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को संवारने की जिम्मेदारी आईएफएस अधिकारी पीके पात्रो को दी गई है. इस पर्यटक स्थल महज चार महीने का नहीं, बल्कि सालभर पर्यटकों की आवाजाही वाला बनाने की कोशिश की जा रही है.
देहरादून के मुख्य पर्यटक स्थलों में लच्छीवाला का नाम भी शुमार है. हालांकि, महज 4 महीने ही इस पिकनिक स्पॉट पर पर्यटकों की भीड़-भाड़ रही है. यही कारण है कि साल भर में 90 प्रतिशत पर्यटक इन्हीं चार महीनों में यहां आते हैं. दरअसल, लच्छीवाला पर्यटक स्थल को गर्मियों में निर्मल पानी की धारा का आनंद लेने के लिए पसंद किया जाता है. पर्यटक स्थल के तौर पर यहां पर मौजूद नदी में लोग गर्मी से राहत लेने आते हैं. खासतौर पर गर्मियों की छुट्टियों (अप्रैल, मई, जून और जुलाई) में ही यहां पर्यटक दस्तक देते हैं.
इसके अलावा बाकी महीनों में पर्यटकों का रुख यहां पर न के बराबर ही होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि लच्छीवाला में पर्यटकों के लिए नदी का पानी ही एकमात्र आकर्षण का केंद्र हैं, लेकिन इस पर्यटक स्थल को अब 12 महीनों के लिए पर्यटकों के घूमने-फिरने के लिहाज से तैयार किया जा रहा है.
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गौरतलब है कि लच्छीवाला पिकनिक स्पॉट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा क्षेत्र में आता है. ऐसे में खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस पिकनिक स्पॉट को और बेहतर बनाना चाहते हैं. मुख्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी निदेशक पीके पात्रो पर है.
पात्रों बताते हैं कि साल भर पर्यटक इस पिकनिक स्पॉट पर आए इसके लिए एक प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के लिहाज से देखा जाए तो आने वाले समय में यह पिकनिक स्पॉट बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए बेहद खास होगा और गर्मियों से लेकर बाकी सभी सीजन में भी पर्यटक यहां आना पसंद करेंगे.
पीके पात्रो ने बताया कि इस जगह पर अब बच्चों के खेलने कूदने और बुजुर्गों के पर्यावरण का आनंद लेने समेत सभी वर्ग के लोगों के लिए जानकारी देने वाली चीजों को तैयार किया जा रहा है. यही नहीं यहां मौजूद बटरफ्लाई व हर्बल गार्डन को भी और बेहतर किया जाने का प्लान है.
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लच्छीवाला पिकनिक स्पॉट
साल 1980 के पहले से यहां पर लोग घूमने आ रहे हैं. इस जगह को और बेहतर करने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत भी हाल ही में लच्छीवाला का निरीक्षण किया था. दरअसल इस जगह को तैयार करने के लिए आईओसी से सीएसआर फंड के तहत 50 लाख रुपए मिल चुके हैं, जबकि एमडीडीए से भी विभागीय अधिकारी लोन लेने की स्वीकृति ले चुके हैं. उधर, कैंपा से भी इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग की तैयारी है. इस तरह इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए वित्तीय स्वीकृति समेत बाकी तैयारियां भी पूरी कर ली गई है.