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दक्षिण भारत में ही नहीं ऋषिकेश में भी है लाल चंदन का पेड़, सता रहा 'पुष्पा' का डर !

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Published : Feb 16, 2022, 12:51 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 1:58 PM IST

ऋषिकेश की IDPL कॉलोनी में लाल चंदन के पेड़ की सुरक्षा वन विभाग के लिए चुनौती बनी हुई है. पेड़ 15 साल का बताया जा रहा है. इसकी कीमत लाखों रुपए बताई जा रही है.

Rishikesh
ऋषिकेश में लाल चंदन का पेड़.

ऋषिकेश: ऋषिकेश की IDPL कॉलोनी में हाल ही में रिलीज 'पुष्पा' फिल्म में दिखाए जाने वाले लाल चंदन का पेड़ मिला है. यह पेड़ पिछले 15 वर्षों से यहां पर है. इसकी कीमत लाखों रुपए बताई जा रही है. वन विभाग को इसकी जानकारी हाल ही में मिली है. अब इसकी सुरक्षा वन विभाग के द्वारा की जा रही है.

लाखों में लाल चंदन की कीमत: लाल चंदन ज्यादातर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर पहाड़ियों में पाए जाते हैं. वहीं उत्तराखंड की जलवायु और मिट्टी भी लाल चंदन के अनुकूल है. ऋषिकेश की IDPL कॉलोनी में लगभग 15 साल का लाल चंदन का पेड़ है. जानकारी मिलने के बाद वन विभाग को पेड़ की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी है. क्योंकि लाल चंदन के पेड़ की कीमत लाखों रुपए में है. जानकारी के अनुसार लाल चंदन के पेड़ की कीमत 60 से 90 हजार रुपए प्रति किलो है.

दक्षिण भारत में ही नहीं ऋषिकेश में भी है लाल चंदन का पेड़.

पढ़ें-हरीश रावत का सीधा ऐलान, उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनूंगा नहीं तो घर बैठूंगा

वन महकमे को नहीं लगी भनक: आईडीपीएल कॉलोनी में खड़े लाल चंदन के पेड़ की सुरक्षा पिछले 15 सालों से एक व्यक्ति कर रहा है. वन क्षेत्राधिकारी ने पेड़ की सुरक्षा को लेकर मौके पर निरीक्षण किया. मौके पर कर्मचारियों को लगातार गश्त कर पेड़ की निगरानी करने के निर्देश भी दिए. बताया जा रहा है कि तस्करों से पेड़ों को बचाने के लिए मौके पर मंदिर निर्माण कराने की बात भी कही जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि 15 सालों में लाल चंदन का पौधा पेड़ बन गया है, मगर वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी.

पढ़ें-उत्तरकाशी: बीमार बुजुर्ग को डंडी-कंडी में लादकर बर्फीले रास्ते पर 16 किमी पैदल चले ग्रामीण

बढ़ावा देने की जरूरत: अच्छी बात यह है कि तस्करों की नजर अभी तक पेड़ पर नहीं पड़ी है. इस वजह से यह अभी तक सुरक्षित खड़ा है. बता दें कि लाल चंदन को उत्तराखंड की आबोहवा रास आ गई है. ऋषिकेश के IDPL कॉलोनी में लाल चंदन का पेड़ इसकी तस्दीक कर रहा है. अगर उत्तराखंड में भी लाल चंदन को बढ़ावा दिया जाता है तो लोगों के साथ सरकार की आर्थिकी मजबूत होगी और दक्षिण भारत की तरह ही उत्तराखंड लाल चंदन के लिए जाना जाएगा.

जानिए क्यों महंगा है लाल चंदन: लाल चंदन, चंदन की ही एक किस्म होती है. लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम पेरोकार्पस सैंटलिनस (Pterocarpus santalinus) है. इसके अलावा इसे रक्त चंदन, रतनजलि, रक्तचंदनम, शेन चंदनम, अत्ती, शिवप्पु चंदनम, लाल चंदन, रूबी लकड़ी नाम से भी जाना जाता है. विदेशों समेत कई देशों में लाल लाल चंदन की काफी डिमांड है. वहीं इसकी डिमांड सबसे अधिक चीन में बताई जाती है. लाल चंदन का उपयोग दवा या औषधि के रूप में कुछ शारीरिक समस्याओं के निदान के लिए किया जाता है.

ऋषिकेश: ऋषिकेश की IDPL कॉलोनी में हाल ही में रिलीज 'पुष्पा' फिल्म में दिखाए जाने वाले लाल चंदन का पेड़ मिला है. यह पेड़ पिछले 15 वर्षों से यहां पर है. इसकी कीमत लाखों रुपए बताई जा रही है. वन विभाग को इसकी जानकारी हाल ही में मिली है. अब इसकी सुरक्षा वन विभाग के द्वारा की जा रही है.

लाखों में लाल चंदन की कीमत: लाल चंदन ज्यादातर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर पहाड़ियों में पाए जाते हैं. वहीं उत्तराखंड की जलवायु और मिट्टी भी लाल चंदन के अनुकूल है. ऋषिकेश की IDPL कॉलोनी में लगभग 15 साल का लाल चंदन का पेड़ है. जानकारी मिलने के बाद वन विभाग को पेड़ की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी है. क्योंकि लाल चंदन के पेड़ की कीमत लाखों रुपए में है. जानकारी के अनुसार लाल चंदन के पेड़ की कीमत 60 से 90 हजार रुपए प्रति किलो है.

दक्षिण भारत में ही नहीं ऋषिकेश में भी है लाल चंदन का पेड़.

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वन महकमे को नहीं लगी भनक: आईडीपीएल कॉलोनी में खड़े लाल चंदन के पेड़ की सुरक्षा पिछले 15 सालों से एक व्यक्ति कर रहा है. वन क्षेत्राधिकारी ने पेड़ की सुरक्षा को लेकर मौके पर निरीक्षण किया. मौके पर कर्मचारियों को लगातार गश्त कर पेड़ की निगरानी करने के निर्देश भी दिए. बताया जा रहा है कि तस्करों से पेड़ों को बचाने के लिए मौके पर मंदिर निर्माण कराने की बात भी कही जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि 15 सालों में लाल चंदन का पौधा पेड़ बन गया है, मगर वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी.

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बढ़ावा देने की जरूरत: अच्छी बात यह है कि तस्करों की नजर अभी तक पेड़ पर नहीं पड़ी है. इस वजह से यह अभी तक सुरक्षित खड़ा है. बता दें कि लाल चंदन को उत्तराखंड की आबोहवा रास आ गई है. ऋषिकेश के IDPL कॉलोनी में लाल चंदन का पेड़ इसकी तस्दीक कर रहा है. अगर उत्तराखंड में भी लाल चंदन को बढ़ावा दिया जाता है तो लोगों के साथ सरकार की आर्थिकी मजबूत होगी और दक्षिण भारत की तरह ही उत्तराखंड लाल चंदन के लिए जाना जाएगा.

जानिए क्यों महंगा है लाल चंदन: लाल चंदन, चंदन की ही एक किस्म होती है. लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम पेरोकार्पस सैंटलिनस (Pterocarpus santalinus) है. इसके अलावा इसे रक्त चंदन, रतनजलि, रक्तचंदनम, शेन चंदनम, अत्ती, शिवप्पु चंदनम, लाल चंदन, रूबी लकड़ी नाम से भी जाना जाता है. विदेशों समेत कई देशों में लाल लाल चंदन की काफी डिमांड है. वहीं इसकी डिमांड सबसे अधिक चीन में बताई जाती है. लाल चंदन का उपयोग दवा या औषधि के रूप में कुछ शारीरिक समस्याओं के निदान के लिए किया जाता है.

Last Updated : Feb 16, 2022, 1:58 PM IST
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