देहरादून: कोरोना और लॉकडाउन ने देश के फूल उद्योग को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है. मदद के अभाव और लॉकडाउन के चलते फूल उद्योग लगभग बर्बाद हो चुका है. कोरोना के असर से फूलों के कारोबार, मांग और उससे जुड़े लोगों पर असर पड़ रहा है. सिर्फ बड़े कारोबारी ही नहीं किसान और मंदिरों पर फूल बेचने वाले भी परेशान हैं.
कोरोना संक्रमण के भय से शहर के फूल बाजारों की रंगत उड़ गई है. वहीं, शादी घरों में सन्नाटा पसरा हुआ है. विवाह सीजन निकलने के कारण लाखों की आमदनी करने वाले फूल व्यवसायी अब अपने घरों और दुकानों का किराया भी नहीं दे पा रहे हैं. कारोबार के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण मार्च और अप्रैल के महीने में किसान हाथ पर हाथ धरे अपनी खून पसीने की कमाई को बर्बाद होता देखने को मजबूर हैं.
देहरादून में 10 करोड़ का नुकसान
राजधानी देहरादून के फूल कारोबारियों का कहना है कि पूरे जिले में करीब 150 फूल कारोबारी अपना कारोबार चलाते हैं. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते सभी मांगलिक कार्यक्रम ठप हो गए हैं. जिसकी वजह से राजधानी देहरादून में फूल कारोबारियों को करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
देहरादून के झंडेवाला बाजार में पिछले 50 सालों से फूलों का कारोबार कर रहे सुशील कुमार का कहना है कि उन्होंने अपनी जिंदगी में इससे बुरा वक्त पहले कभी नहीं देखा. कोरोना वायरस के कारण व्यापार की ऐसी कमर टूटी है कि फूल कारोबारियों की मौजूदा स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. सुशील कुमार का कहना है कि कोरोना के हालात को देखते हुए फूलों की पैदावार भी न के बराबर हो रही है. जिसकी वजह से बाजार में फूल अपने दाम से 4 गुना अधिक मूल्य पर बेचे जा रहे हैं.
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उत्तराखंड में फूलों का कारोबार
लॉकडाउन के कारण प्रदेश में फूलों के कारोबार को लगभग 250 करोड़ का नुकसान हुआ है. राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड में फूलों की खेती का विस्तार हुआ है. पहले जहां 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फूलों की खेती होती थी. वहीं, अब 1563 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पैदावार होती है. लॉकडाउन और कोरोना से पहले बाजार में फूलों की मांग को देखते हुए प्रदेश में कई युवाओं ने पॉलीहाउस लगा कर फूलों की खेती शुरू की थी. लेकिन लॉकडाउन ने कारोबार की महक गायब कर दी है.
भारत में फूलों का कारोबार
भारत, अमेरिका, नीदरलैंड, इंग्लैंड, जैसे कई देशों को फूल निर्यात करता है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अनुसार साल 2018 भारत 19726.57 मीट्रिक टन फूल निर्यात किए थे, जिनकी कीमत 571.38 करोड़ रुपए थी. जबकि अभी 2019 में 13,298.40 मीट्रिक टन 405.84 टन फूल निर्यात किया गया. यूं तो फूलों से लदे फुलवारी और पुष्पों की महक से हर किसी का मन खुश हो उठता है, लेकिन पुष्पों की खेती करने वाले इससे व्यथित हो रहे हैं. फूलों से लदे फूलवारियों को देख किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं.
देहरादून के फूल व्यवसायी भरत गुलाटी का कहना है कि लॉकडाउन से पहले हर वर्ष की तरह फूलों की बंपर पैदावार की गई. लेकिन कोरोना वायरस के कारण सभी तरह के कार्यक्रम स्थगित हो जाने से फूल खेत से लेकर कोल्ड स्टोरेज में पड़े-पड़े सड़ गए. एहतियातन कारोबारी अब सीमित मात्रा में फूलों की पैदावार कर रहे हैं. जिसकी वजह से बाजार में फूलों के दाम बढ़ गए हैं. आलम यह है कि बाजार में जो फूल पहले 100 रुपये प्रति स्टिक खरीदे जाते थे. उन फूलों को आज 400 प्रति स्टिक में बेचा जा रहा है.