ETV Bharat / state

दून मेडिकल कॉलेज में पहली बार फॉरेंसिक मेडिसिन कोर्स में एडमिशन, अननेचुरल डेथ के खुलेंगे राज! - कब किया जाता है पोस्टमॉर्टम

दून मेडिकल कॉलेज में पहली बार फॉरेंसिक मेडिसिन के पीजी कोर्स में छात्रों ने प्रवेश लिया है. दून मेडिकल कॉलेज में अननेचुरल डेथ के बाद पोस्टमॉर्टम को लेकर कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं. इससे सामान्य चिकित्सकों को रिपोर्ट तैयार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी एफएमटी यानी फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी की मानी जाती है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Dec 13, 2022, 5:13 PM IST

Updated : Dec 13, 2022, 5:34 PM IST

देहरादूनः दून मेडिकल कॉलेज (Doon Medical College) में फॉरेंसिक मेडिसिन में पीजी कोर्स (PG Course in Forensic Medicine) के लिए दो छात्रों ने दाखिला लिया है. इसके बाद सड़क या अन्य दुर्घटनाओं में मौत होने पर शव का पोस्टमॉर्टम करने में सहायता मिलेगी, ताकि मौत का सही कारण तथ्यों के साथ पता लगाया जा सके. साथ ही अननेचुरल डेथ के कारणों का पता लगाया जा सके.

दून मेडिकल कॉलेज में पहली बार फॉरेंसिक मेडिसिन कोर्स में एडमिशन.

दरअसल पोस्टमॉर्टम को लेकर अक्सर समस्याएं आती रहती हैं. इससे गैर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों को रिपोर्ट बनाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, अस्पताल के चिकित्सक सामान्य केस की रिपोर्ट तैयार कर लेते हैं. लेकिन पानी में डूबने से हुई मौत, क्षत-विक्षत शव, लंबे समय तक डेड बॉडी का पड़े रहना, गोली लगने से हुई मौत, सड़क दुर्घटना में हुई मौत की रिपोर्ट तैयार करना मुश्किल होता है. ऐसे में अननेचुरल डेथ के केस को सॉल्व करने के उद्देश्य से फॉरेंसिक मेडिसिन में पीजी करने वाले डॉक्टर पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी निभाएंगे.

फॉरेंसिक मेडिसिन पर प्राइवेट इंस्टिट्यूट का कम ध्यानः इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ रिजवी का कहना है कि दून मेडिकल कॉलेज 2016 में अस्तित्व में आया था. इतनी छोटी अवधि में मेडिकल कॉलेज ने प्रोग्रेस की है. क्योंकि 150 के आसपास एमबीबीएस की मान्यता प्राप्त सीटें हैं. उन्होंने बताया कि कुछ विभागों को छोड़कर हर विभाग में पीजी कोर्स की सुविधाएं मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि आमतौर पर समूचे भारतवर्ष में फॉरेंसिक की सीट प्राइवेट इंस्टिट्यूट में कम है. क्योंकि प्राइवेट इंस्टिट्यूट इस विषय का अध्ययन कम कराते हैं. इसके मानक और नियम अलग हैं. ऐसे में इस साल कुछ अभ्यर्थियों ने पीजी इन फॉरेंसिक मेडिसिन कोर्स में दाखिला लिया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बढ़ते जा रहे मानव तस्करी के आंकड़े, पिछले 3 साल में 35 मुकदमे, 94 गिरफ्तारी

मिलेगा अननेचुरल डेथ का सही कारणः दरअसल, दून मेडिकल कॉलेज में अननेचुरल डेथ के बाद पोस्टमॉर्टम को लेकर कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं. इससे सामान्य चिकित्सकों को रिपोर्ट तैयार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी एफएमटी यानी फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी की मानी जाती है. लेकिन एमडी इन फॉरेंसिक मेडिसिन में दाखिले के बाद उन अननेचुरल डेथ की सही तस्वीर सामने आ सकेंगी. उसके लिए मेडिकल कॉलेज की ओर से सभी संबंधित चिकित्सकों को भी पोस्टमॉर्टम किए जाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इसके साथ ही दून मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक लैब की स्थापना की जा रही है. ताकि एक फॉरेंसिक लैब की स्थापना की जा सके.

दो ही स्थितियों में किया जाता है पोस्टमॉर्टमः दरअसल पोस्टमॉर्टम अननेचुरल डेथ की स्थिति में किया जाता है. मेडिको लीगल केस (चोट या बीमारी से संबंधित मौत), सड़क दुर्घटनाओं को लेकर कॉज ऑफ डेथ सुनिश्चित करना पड़ता है. इसके साथ ही कभी आकस्मिक मौत हो जाती है. जिसमें मृत्यु का कारण पता नहीं लग पाता है. यह अस्पताल की जिम्मेदारी हो जाती है कि हर डेथ का कारण पता लगाए. ऐसे में एलोपैथिक सिस्टम, एविडेंस बेस्ड सिस्टम होता है, ना कि कयासों पर आधारित होता है. अस्पताल की ओर से परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट देते समय मौत का सही कारण बताया जाता है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में 7 हजार लोगों की मिसिंग 'मिस्ट्री'! 900 से ज्यादा बच्चों का कोई सुराग नहीं

कब किया जाता है पोस्टमॉर्टमः पोस्टमॉर्टम उसी अवस्था में किया जाता है. जब मौत का सही कारण पता ना हो. या फिर मौत के मेडिको लीगल इंप्लीकेशन हो. इसके साथ ही लावारिस शव का भी पोस्टमॉर्टम अनिवार्य होता है. जिससे पता चल सके कि उसकी मौत किन कारणों से हुई है. किसी भी अननेचुरल डेथ के चलते पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया अपनाई जाती है.

देहरादूनः दून मेडिकल कॉलेज (Doon Medical College) में फॉरेंसिक मेडिसिन में पीजी कोर्स (PG Course in Forensic Medicine) के लिए दो छात्रों ने दाखिला लिया है. इसके बाद सड़क या अन्य दुर्घटनाओं में मौत होने पर शव का पोस्टमॉर्टम करने में सहायता मिलेगी, ताकि मौत का सही कारण तथ्यों के साथ पता लगाया जा सके. साथ ही अननेचुरल डेथ के कारणों का पता लगाया जा सके.

दून मेडिकल कॉलेज में पहली बार फॉरेंसिक मेडिसिन कोर्स में एडमिशन.

दरअसल पोस्टमॉर्टम को लेकर अक्सर समस्याएं आती रहती हैं. इससे गैर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों को रिपोर्ट बनाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, अस्पताल के चिकित्सक सामान्य केस की रिपोर्ट तैयार कर लेते हैं. लेकिन पानी में डूबने से हुई मौत, क्षत-विक्षत शव, लंबे समय तक डेड बॉडी का पड़े रहना, गोली लगने से हुई मौत, सड़क दुर्घटना में हुई मौत की रिपोर्ट तैयार करना मुश्किल होता है. ऐसे में अननेचुरल डेथ के केस को सॉल्व करने के उद्देश्य से फॉरेंसिक मेडिसिन में पीजी करने वाले डॉक्टर पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी निभाएंगे.

फॉरेंसिक मेडिसिन पर प्राइवेट इंस्टिट्यूट का कम ध्यानः इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ रिजवी का कहना है कि दून मेडिकल कॉलेज 2016 में अस्तित्व में आया था. इतनी छोटी अवधि में मेडिकल कॉलेज ने प्रोग्रेस की है. क्योंकि 150 के आसपास एमबीबीएस की मान्यता प्राप्त सीटें हैं. उन्होंने बताया कि कुछ विभागों को छोड़कर हर विभाग में पीजी कोर्स की सुविधाएं मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि आमतौर पर समूचे भारतवर्ष में फॉरेंसिक की सीट प्राइवेट इंस्टिट्यूट में कम है. क्योंकि प्राइवेट इंस्टिट्यूट इस विषय का अध्ययन कम कराते हैं. इसके मानक और नियम अलग हैं. ऐसे में इस साल कुछ अभ्यर्थियों ने पीजी इन फॉरेंसिक मेडिसिन कोर्स में दाखिला लिया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बढ़ते जा रहे मानव तस्करी के आंकड़े, पिछले 3 साल में 35 मुकदमे, 94 गिरफ्तारी

मिलेगा अननेचुरल डेथ का सही कारणः दरअसल, दून मेडिकल कॉलेज में अननेचुरल डेथ के बाद पोस्टमॉर्टम को लेकर कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं. इससे सामान्य चिकित्सकों को रिपोर्ट तैयार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी एफएमटी यानी फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी की मानी जाती है. लेकिन एमडी इन फॉरेंसिक मेडिसिन में दाखिले के बाद उन अननेचुरल डेथ की सही तस्वीर सामने आ सकेंगी. उसके लिए मेडिकल कॉलेज की ओर से सभी संबंधित चिकित्सकों को भी पोस्टमॉर्टम किए जाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इसके साथ ही दून मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक लैब की स्थापना की जा रही है. ताकि एक फॉरेंसिक लैब की स्थापना की जा सके.

दो ही स्थितियों में किया जाता है पोस्टमॉर्टमः दरअसल पोस्टमॉर्टम अननेचुरल डेथ की स्थिति में किया जाता है. मेडिको लीगल केस (चोट या बीमारी से संबंधित मौत), सड़क दुर्घटनाओं को लेकर कॉज ऑफ डेथ सुनिश्चित करना पड़ता है. इसके साथ ही कभी आकस्मिक मौत हो जाती है. जिसमें मृत्यु का कारण पता नहीं लग पाता है. यह अस्पताल की जिम्मेदारी हो जाती है कि हर डेथ का कारण पता लगाए. ऐसे में एलोपैथिक सिस्टम, एविडेंस बेस्ड सिस्टम होता है, ना कि कयासों पर आधारित होता है. अस्पताल की ओर से परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट देते समय मौत का सही कारण बताया जाता है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में 7 हजार लोगों की मिसिंग 'मिस्ट्री'! 900 से ज्यादा बच्चों का कोई सुराग नहीं

कब किया जाता है पोस्टमॉर्टमः पोस्टमॉर्टम उसी अवस्था में किया जाता है. जब मौत का सही कारण पता ना हो. या फिर मौत के मेडिको लीगल इंप्लीकेशन हो. इसके साथ ही लावारिस शव का भी पोस्टमॉर्टम अनिवार्य होता है. जिससे पता चल सके कि उसकी मौत किन कारणों से हुई है. किसी भी अननेचुरल डेथ के चलते पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया अपनाई जाती है.

Last Updated : Dec 13, 2022, 5:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.