देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू (Former Uttarakhand DGP BS Sidhu) की जमीन कब्जाने मामले में परेशानियां बढ़ गई हैं. उन पर साल 2013 में देहरादून के राजपुर इलाके में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपने पद का दुरुपयोग कर वन विभाग की जमीन कब्जाने और हरे पेड़ों को काटने का आरोप है. मामले में राजपुर थाना पुलिस ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है.
सीओ मसूरी को सौंपी जांच: गौर हो कि 10 अक्टूबर 2022 को शासन से अनुमति मिलने के बाद थाना राजपुर में यह मुकदमा पूर्व डीजीपी सिद्धू सहित 7 आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया गया है. यह मुकदमा मसूरी रेंज के प्रभागीय अधिकारी आशुतोष सिंह की लिखित तहरीर के आधार पर पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के अलावा महेंद्र सिंह, नत्थूराम, दीपक शर्मा, स्मिता दीक्षित, सुभाष शर्मा और कृष्ण सिंह के खिलाफ धारा 420, 419, 467, 468, 471, 120b, 166 और 168 आईपीसी और 7 भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है. शासन की अनुमति के बाद इस मुकदमे की जांच सीओ मसूरी जूही मनराल को सौंपी गई है.
जानिए क्या है मामला: जानकारी के मुताबिक साल 2012 के प्रकरण में पहले ही न सिर्फ पूर्व डीजीपी सिद्धू के खिलाफ वन विभाग द्वारा जुर्माना काटा जा चुका है. बल्कि पर्यावरण संस्थान एनजीटी ने भी 50 हजार का जुर्माना पूर्व में काटा था. इस पूरे मामले में आरोप है कि पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मसूरी रेंज के अंतर्गत आने वाले वीर गिरवाली गांव में 1.5 हेक्टेयर भूमि को न सिर्फ फर्जी कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर कब्जा किया, बल्कि उसमें हर भरे के पेड़ भी काटे.
मार्च 2013 में यह मामला काफी चर्चा में आने के बाद वन विभाग ने जब इस पूरी भूमि की जांच कराई तो पता चला कि यह प्रॉपर्टी फॉरेस्ट रिजर्व की है. जिसको जालसाजी कर खरीद-फरोख्त के चलते कब्जाने का प्रयास किया गया. अब नए सिरे से इस मामले में शासन अनुमति मिलने के बाद वन विभाग द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे की जांच शुरू की गई है.
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पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू क्या कह रहे: मामले में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के मुताबिक उनके खिलाफ पहले ही वन विभाग सहित संबंधित सरकारी संस्थान जुर्माना काट चुके हैं, जिसका कोई आधार नहीं है. इसके अलावा इस विषय मे कोर्ट में प्रार्थना पत्र के अंतर्गत भी जांच पड़ताल में कोई साक्ष्य व सबूत सामने नहीं आया है. जिसके बाद न्यायालय ने इसको खारिज कर दिया था. अब एक बार फिर उनके व्यक्तिगत छवि को धूमिल करने की मंशा से कुछ लोगों द्वारा शासन में गुमराह कर यह मामला फिर उठाया गया है. वहीं एसएसपी देहरादून से संपर्क कर पत्राचार द्वारा सारी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं.