देहरादून: उत्तराखंड वन विकास निगम कभी लाखों के तोहफे बांट देता है तो कभी खाने पीने में ही पानी की तरह पैसा बहा देता है. हैरत की बात ये है कि इन सब मामलों की जांच रिपोर्ट को भी निगम हजम करने में माहिर हैं. पढ़िए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.
वन विकास निगम में ईमानदार अधिकारी की एंट्री ने यहां की भ्रष्ट व्यवस्था को हिला कर रख दिया है. तभी तो करीब एक साल से वित्तीय अनियमितता की दबी हुई फाइल बाहर निकल आई है.
उत्तराखंड के वन विकास निगम में लाखों रुपए खाने-पीने और तोहफे बांटने में खर्च किए जा रहे है. निगम में बैठे अधिकारी कभी दीपावली के मौके पर चार लाख से ज्यादा के तोहफे बांट देते हैं तो कभी अलग-अलग मौकों पर लाखों रुपए का खाना अधिकारियों को खिला दिया जाता है. मामला इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि निगम में खुले हाथ से किया जा रहा खर्च नियमों के खिलाफ है, बावजूद इसके इस रकम को बेरोकटोक तरीके से पास कर दिया जाता है.
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वित्तीय अनियमितता की पूरी कहानी साल 2015 से 2017 की है. यानी की 2 साल में करीब 65 लाख से ज्यादा की रकम खर्च कर दी गयी.
- साल 2015-16 में 20.14 लाख रुपए खाने पीने में नियम विरुद्ध खर्च किये गए.
- इसी साल 30.17 लाख रुपए का खाने पीने का बिल पास किया गया.
- इसके अलावा 8.83 लाख रुपए का भी बिल खाने पीने को लेकर खर्च में लगाया गया.
- दीपावली में 4.44 लाख रुपए के उपहार बांटने पर भी खर्च किये गए.
वन विकास निगम में फिजूलखर्ची का मामला इसलिए गंभीर है, क्योंकि इसको लेकर न केवल ऑडिट रिपोर्ट बल्कि अलग से भी एक जांच कराई गई. जिसके बाद ये साफ हो गया कि निगम में भारी वित्तीय अनियमितता की गई है. सबसे बड़ी चौकाने वाली बात ये है कि इस रिपोर्ट को करीब 1 साल तक दबाए रखा गया. हालांकि, प्रबंध निदेशक के रूप में मोनिष मल्लिक के चार्ज लेने के बाद इस मामले में कार्रवाई शुरू हुई और एक अधिकारी को आरोप पत्र सौंपा गया.
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वन विकास निगम में जहां घाटे से उबरने के तरीकों पर काम किया जाना चाहिए था. वहीं निगम में अधिकारी वित्तीय अनियमितता कर व्यवस्थाओं को और बिगाड़ने में जुटे हुए हैं. ऐसे में जरुरत है कि निगम के ऐसे सभी अधिकारियों को चिन्हित कर उनपर कार्रवाई की जाए.