देहरादूनः पंजाब की तरह उत्तराखंड भी अवैध नशे के मकड़जाल में फंसता जा रहा है. साल दर साल इस काले कारोबार की जड़ें न सिर्फ तेजी से फैल रही है, बल्कि गहरी भी होती जा रही हैं. पुलिस तंत्र की लाख कार्रवाई और धरपकड़ के बावजूद राज्य के स्कूली बच्चों से लेकर कॉलेज व उच्च शिक्षण संस्थानों के नौजवानों तक नशे की जानलेवा खेप परोसने का सिलसिला बढ़ रहा है.
उत्तराखंड में हर साल नशे की खेप बढ़ने से सप्लाई और खपत का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है. हालांकि साल 2020-21 के वर्तमान समय में उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (STF ) के नेतृत्व में एंटी ड्रग्स टास्क (Anti Drugs Task) टीम सहित पुलिस के अन्य तंत्र पहले की तुलना अधिक प्रभावी ढंग से राज्य में सक्रिय बड़े नशा तस्करों के खिलाफ शिकंजा कसने में जुटे हैं. इसी का नतीजा है कि 20 सालों में पहली बार STF सहित अन्य टीमों द्वारा पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के बरेली-फतेहगंज जैसे नशे के सबसे बड़े गढ़ में छापेमारी व धरपकड़ कर बड़े ड्रग्स माफियाओं के नेटवर्क को ध्वस्त करने का काम किया है.
3.5 साल में 38 करोड़ की नशा सामग्री
उत्तराखंड में अवैध ड्रग्स कारोबार के मामलों में पुलिस मुख्यालय के अधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो 2018 से मई-2021 तक प्रदेश में लगभग 38 करोड़ से अधिक अवैध नशा सामग्री पकड़ी जा चुकी है. इतना ही नहीं, इस दौरान 4409 मुकदमे राज्य भर में NDPS एक्ट के तहत दर्ज किए जा चुके हैं. जबकि, 4992 नशा तस्करों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है.
वहीं सबसे ज्यादा हैरानी के बाद यह है कि राज्य में नशे का धंधा 2018 के मुकाबले कोरोना काल 2020-21 में न सिर्फ तेजी से बढ़ा है. बल्कि, NDPS एक्ट के अंतर्गत दर्ज मुकदमों और धरपकड़ संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है.
राज्य में जनवरी 2018 से मई 2021 तक मादक पदार्थों की बरामदगी व गिरफ्तारी का विवरण.
2018 में कुल NDPS एक्ट में दर्ज मुकदमे
2019 में कुल NDPS एक्ट में दर्ज मुकदमे
2020 में कुल NDPS एक्ट में दर्ज मुकदमे
2021 (जनवरी से मई तक) कुल NDPS एक्ट में दर्ज मुकदमे
बड़े ड्रग पेडलर्स पर फोकस कर उनकी प्रॉपर्टी अटैच करने की तैयारी
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय प्रवक्ता डीआईजी नीलेश आनंद भरणे (DIG Nilesh Anand Bharne) का कहना है कि इस वक्त पुलिस तंत्र सबसे ज्यादा फोकस उन नशा तस्कर व बड़े माफियाओं पर कर रहा है. जो लंबे समय से भारी मात्रा में कमर्शियल क्वांटिटी के तहत लगातार राज्य में जहरीरी ड्रग्स की बड़ी खेप अपने नेटवर्क जरिए सप्लाई करने में जुटे हैं.
बड़े ड्रग पेडलर्स पर शिकंजा
ऐसे बड़े क्वांटिटी सप्लाई व माफियाओं पर माल सहित धरपकड़ का अधिक जोर है. ताकि एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत धारा 27 और 29 जैसे सख्त प्रावधान के तहत कार्रवाई हो सके. इसके तहत उनकी जमानत प्रतिबंध और अवैध ड्रग्स से कमाई प्रॉपर्टी को भी जब्त कर उसे सरकार में अटैच किया जा सके. डीआईजी भरणे के मुताबिक हाल ही में बरेली-फतेहगंज के सबसे बड़े ड्रग माफिया रिजवान नेटवर्क के खुलासे के बाद उसके नशे के कारोबार से जुटाई गई संपत्ति-बैंक एकाउंट सहित अन्य प्रॉपर्टी जब्त कर सीज होने वाली है.
इतना ही नहीं, डीआईजी भरणे ने बताया कि उत्तराखंड में नशे का नेटवर्क फैलाने वाले गिरोह से जुड़े सभी तस्करों की धरपकड़ कर उन पर प्रभावी शिकंजा कसने के लिए गैंगस्टर जैसी सख्त कानूनी कार्रवाई करने का प्रयास किया जा रहा है.
नारकोटिक्स के हाईटेक टेक्नोलॉजी की मदद से पुलिस तंत्र बड़ी कार्रवाई की ओर अग्रसर
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के अलावा मुख्यतः पड़ोसी राज्य हिमाचल, यूपी, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से आने वाली भारी मात्रा की नशे वाली खेप को रोकना पुलिस तंत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है. हालांकि, अब इसके लिए उत्तराखंड एसटीएफ और एंटी ड्रग्स टास्क फोर्स नारकोटिक्स विभाग की मदद से आने वाले दिनों में हाईटेक टेक्नोलॉजी और मॉडल सर्विस जैसे अन्य आधुनिक संसाधनों का सहारा लेकर पहाड़ी इलाके सहित बाहरी राज्यों से आने वाले नशा तस्करों पर प्रभावी अंकुश की कार्रवाई में जुटा है.
राज्य में प्रति वर्ष 250 से 300 सजा NDPS कोर्ट के तहत
देहरादून एनडीपीएस कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता मनोज शर्मा की मानें तो राज्य में निचली ट्रायल अदालत से लेकर उच्च न्यायालय तक अवैध नशा कारोबार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया हुआ है. इसी का नतीजा है कि एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिवर्ष औसतन देहरादून NDPS कोर्ट से लगभग 150 नशा तस्करों को सजा हो रही है. इसमें काफी संख्या में 20 साल तक सजा सुनाई गई है. वहीं, पूरे राज्य की बात करें तो प्रतिवर्ष एनडीपीएस कोर्ट से अनुमानित 250 से 300 नशा तस्करों को 6 माह से लेकर 20 साल तक की सजा सुनाई गई है.
नशा तस्करों की जमानत HC से नामंजूरः शासकीय अधिवक्ता
एनडीपीएस शासकीय अधिवक्ता मनोज शर्मा के मुताबिक अब नशा तस्करों को हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं मिल रही है. बल्कि उच्च न्यायालय इस विषय की गंभीरता को देखते हुए उनकी जमानत नामंजूर करने के साथ ही निचली ट्रायल अदालत को ज्यादा से ज्यादा सुनवाई कर मामलों पर निर्णय दिए जाने के सख्त आदेश दे रहा.