देहरादूनः उत्तराखंड में निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए अरविंद पांडे का फीस एक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है. शिक्षा मंत्री बनते ही उन्होंने फीस एक्ट के जरिए निजी स्कूलों पर लगाम लगाने का दावा किया था, लेकिन मंत्री जी के दावे हवाई साबित हो रहे हैं. सरकार को बने 3 साल होने जा रहे हैं, बावजूद इसके अभी तक फीस एक्ट में कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. साथ ही मंत्री महोदय भी एक्ट में देरी की बात कबूल रहे हैं.
दरअसल, राज्य में फीस को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी अभिभावकों के लिए परेशानी बनी हुई है. ऐसे में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अभिभावकों की दिक्कतों को समझते हुए फीस एक्ट लाकर निजी स्कूलों पर नकेल कसने की कोशिश की, लेकिन निजी स्कूलों की पहुंच ने शिक्षा मंत्री के दावों की हवा निकाल दी.
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राज्य में फीस एक्ट को लेकर जिला स्तर पर कमेटियां गठित करने और जिलाधिकारियों को स्कूलों की कैटेगरी तैयार करने तक के निर्देश दिए जा चुके हैं, इतना ही नहीं लोगों से भी फीस एक्ट को लेकर सुझाव मांगे गए थे, लेकिन इतनी प्रक्रिया होने के बावजूद यह पूरा मामला अचानक शिक्षा विभाग के एजेंडे से ही गायब दिखने लगा है.
वहीं, अब मामले पर कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने निजी स्कूलों से सांठगांठ कर ली है और इसीलिए अब शिक्षा मंत्री भी इस मामले में चुप्पी साधे हैं. फीस एक्ट का जिक्र होते ही लोगों को मामले में समर्थन दिखाई देता है, लेकिन कांग्रेस के आरोपों के बाद अब फीस एक्ट पर सरकार और बीजेपी संगठन दोनों ही सवालों के घेरे में आ गए हैं.