ETV Bharat / state

उत्तरकाशी की टनल में फंसे बेटे का 17वें दिन हुआ पुनर्जन्म, इंतजार में पिता की निकली जान, भक्तू की रुला देने वाली कहानी

Bhaktu Murmu trapped in Uttarkashi Tunnel his father dies in Jharkhand कई बार जीवन में ऐसे संयोग होते हैं कि सोचकर दिमाग चकरा जाता है. उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे एक मजदूर भक्तू मुर्मू के साथ भी दुखद संयोग हुआ. टनल हादसे के 17वें दिन भक्तू मुर्मू सुरक्षित रेस्क्यू होने वाले थे. उधर उनके घर झारखंड में उनके पिता ने बेटे के इंतजार में दम तोड़ दिया. बेटे के जीवन के लिए मौत से संघर्ष और पिता की बेटे के इंतजार में दम तोड़ने वाली ये खबर आपको भी रुला देगी.

Bhaktu Murmu
उत्तरकाशी टनल हादसा
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 1, 2023, 11:06 AM IST

Updated : Dec 1, 2023, 11:22 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. जहां से गुरुवार को उन्हें डिस्चार्ज करके उनके घरों को रवाना कर दिया गया. इन 41 में से 40 मजदूरों के परिवारों में खुशी का माहौल है. एक परिवार में बेटे के सुरंग से निकलने के बाद भी मातम पसर गया है. झारखंड के बांकिशोला पंचायत के बहादा गांव में रहने वाले भक्तू मुर्मू के पिता अपने बेटे का इंतजार करते करते 17 वें दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए. भगवान का लिखा देखिए कि इधर बेटा बाहर आया और उधर पिता बिना बेटे से मिले चल बसे.

Uttarkashi Tunnel
खुशी के बाद भी मातम!

बेटे के बारे में हर आने जाने वाले से पूछते थे ये सवाल: यह कहानी है टनल में फंसे भक्तू मुर्मू की जिनके पिता बेटे के सुरंग में फंसने के दिन से रोज सुबह घर के बाहर खाट डाल कर बैठ जाते थे. जिस दिन उन्हें ये मालूम हुआ कि जहां उनका बेटा काम करने के लिए गया है, वहां पर कोई दुर्घटना हो गई है और बेटा सुरंग के अंदर ही फंस गया है तो तब से आने-जाने वाले हर व्यक्ति से भक्तू के पिता बसाते मुर्मू एक ही सवाल करते कि आखिरकार वहां पर चल क्या रहा है. मेरा भक्तू आ तो जायेगा ना.

सुबह से शाम तक करते बेटे के लौटने की खबर का इंतजार: पिता की हालत देखकर आसपास के लोग लगातार उनके पास मोबाइल फोन ले जाते और वहां की पूरी खबर उनको सुनाते. जब तक शाम नहीं हो जाती पिता बाहर ही बैठकर किसी अच्छी खबर का इंतजार करते. 15 वें दिन यह खबर आई कि जल्द से जल्द मजदूर निकाले जा सकते हैं. बताया जाता है कि पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था. बसाते उर्फ बारसा मुर्मू बार-बार लोगों से यही कहते कि जल्द से जल्द उनका बेटा आ जाए तो वह राहत की सांस लेंगे. लेकिन किसी को क्या मालूम था कि बेटे का इंतजार करते-करते वह इस दुनिया से चले जाएंगे.

17वें दिन बेटे को मिला नया जीवन लेकिन चल बसे पिता: जिस खाट पर वह बैठकर अपने बेटे के आने की खबर लोगों से सुना करते थे, उसी खाट पर बैठे-बैठे वह अचानक जमीन पर गिर गए. यह घटना ठीक उसी दिन हुई जिस दिन उनका बेटा टनल से बाहर आने वाला था. 17 दिन में ही पिता गम की वजह से अपने शरीर पर काबू नहीं पा सके और 70 साल के बसाते जमीन पर गिर गए. बताया जाता है कि उनके तीन बेटे हैं, लेकिन तीनों बेटे उस वक्त उनके साथ नहीं थे. एक बेटा उत्तरकाशी तो दूसरा बेटा चेन्नई में मजदूरी करने गया हुआ था. तीसरा बेटा झारखंड के ही एक इलाके में काम कर रहा था.

झारखंड सरकार ने बनाया था ये प्लान: इस घटना के बाद परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन यह खबर न केवल क्षेत्र के लिए बल्कि उस बेटे के लिए भी बेहद दुखदाई थी जो इस वक्त ऋषिकेश एम्स में अपना इलाज ले रहा था. झारखंड सरकार ने फिर श्रम विभाग की एक टीम को ऋषिकेश भेजने का प्लान बनाया. हालांकि इससे पहले ही गुरुवार 30 नवंबर को एम्स ऋषिकेश में भर्ती रेस्क्यू किए गए सभी मजदूरों को उनके घरों के लिए रवाना कर दिया गया.

अभी तक नहीं बताया था पिता नहीं रहे: भक्तू अभी मात्र 29 साल के हैं. बताया तो यह भी जा रहा है कि परिजनों ने अभी उन्हें इस बात की जानकारी नहीं दी है कि उनके पिता की मृत्यु हो गई है. टनल में फंसे रहने के दौरान कई बार उन्होंने अपने पिता से बातचीत की और सब कुछ सही और सुरक्षित होने की बात वह कहते रहे. लेकिन 26 नवंबर से उनके बेटे से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा था. गांव के आसपास के लोग और रिश्तेदार लगातार फोन पर बातचीत तो करवाते थे लेकिन बारी-बारी से सभी मजदूरों के परिजन बात करते थे. ऐसे में तीन दिन से बेटे से एक पिता की बातचीत नहीं हो पाई थी. किसी अनहोनी के डर से बसाते अंदर तक हिल गए. इसी सदमे में उनकी जान चली गई. संयोग देखिए कि ठीक 17वें दिन ही उत्तरकाशी की टनल से सभी 41 मजदूरों का सफल रेस्क्यू कर लिया गया था.
ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 श्रमिक घरों को रवाना, ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों ने किया डिस्चार्ज
ये भी पढ़ें: 400 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन 'सिलक्यारा' कंप्लीट, सभी 41 मजदूर आए बाहर, राष्ट्रपति-PM जताई खुशी, CM बोले-उनके लिए इगास
ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 7 राज्यों के 40 मजदूर, सभी अधिकारियों की छुट्टियां रद्द, रेस्क्यू जारी

देहरादून: उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. जहां से गुरुवार को उन्हें डिस्चार्ज करके उनके घरों को रवाना कर दिया गया. इन 41 में से 40 मजदूरों के परिवारों में खुशी का माहौल है. एक परिवार में बेटे के सुरंग से निकलने के बाद भी मातम पसर गया है. झारखंड के बांकिशोला पंचायत के बहादा गांव में रहने वाले भक्तू मुर्मू के पिता अपने बेटे का इंतजार करते करते 17 वें दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए. भगवान का लिखा देखिए कि इधर बेटा बाहर आया और उधर पिता बिना बेटे से मिले चल बसे.

Uttarkashi Tunnel
खुशी के बाद भी मातम!

बेटे के बारे में हर आने जाने वाले से पूछते थे ये सवाल: यह कहानी है टनल में फंसे भक्तू मुर्मू की जिनके पिता बेटे के सुरंग में फंसने के दिन से रोज सुबह घर के बाहर खाट डाल कर बैठ जाते थे. जिस दिन उन्हें ये मालूम हुआ कि जहां उनका बेटा काम करने के लिए गया है, वहां पर कोई दुर्घटना हो गई है और बेटा सुरंग के अंदर ही फंस गया है तो तब से आने-जाने वाले हर व्यक्ति से भक्तू के पिता बसाते मुर्मू एक ही सवाल करते कि आखिरकार वहां पर चल क्या रहा है. मेरा भक्तू आ तो जायेगा ना.

सुबह से शाम तक करते बेटे के लौटने की खबर का इंतजार: पिता की हालत देखकर आसपास के लोग लगातार उनके पास मोबाइल फोन ले जाते और वहां की पूरी खबर उनको सुनाते. जब तक शाम नहीं हो जाती पिता बाहर ही बैठकर किसी अच्छी खबर का इंतजार करते. 15 वें दिन यह खबर आई कि जल्द से जल्द मजदूर निकाले जा सकते हैं. बताया जाता है कि पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था. बसाते उर्फ बारसा मुर्मू बार-बार लोगों से यही कहते कि जल्द से जल्द उनका बेटा आ जाए तो वह राहत की सांस लेंगे. लेकिन किसी को क्या मालूम था कि बेटे का इंतजार करते-करते वह इस दुनिया से चले जाएंगे.

17वें दिन बेटे को मिला नया जीवन लेकिन चल बसे पिता: जिस खाट पर वह बैठकर अपने बेटे के आने की खबर लोगों से सुना करते थे, उसी खाट पर बैठे-बैठे वह अचानक जमीन पर गिर गए. यह घटना ठीक उसी दिन हुई जिस दिन उनका बेटा टनल से बाहर आने वाला था. 17 दिन में ही पिता गम की वजह से अपने शरीर पर काबू नहीं पा सके और 70 साल के बसाते जमीन पर गिर गए. बताया जाता है कि उनके तीन बेटे हैं, लेकिन तीनों बेटे उस वक्त उनके साथ नहीं थे. एक बेटा उत्तरकाशी तो दूसरा बेटा चेन्नई में मजदूरी करने गया हुआ था. तीसरा बेटा झारखंड के ही एक इलाके में काम कर रहा था.

झारखंड सरकार ने बनाया था ये प्लान: इस घटना के बाद परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन यह खबर न केवल क्षेत्र के लिए बल्कि उस बेटे के लिए भी बेहद दुखदाई थी जो इस वक्त ऋषिकेश एम्स में अपना इलाज ले रहा था. झारखंड सरकार ने फिर श्रम विभाग की एक टीम को ऋषिकेश भेजने का प्लान बनाया. हालांकि इससे पहले ही गुरुवार 30 नवंबर को एम्स ऋषिकेश में भर्ती रेस्क्यू किए गए सभी मजदूरों को उनके घरों के लिए रवाना कर दिया गया.

अभी तक नहीं बताया था पिता नहीं रहे: भक्तू अभी मात्र 29 साल के हैं. बताया तो यह भी जा रहा है कि परिजनों ने अभी उन्हें इस बात की जानकारी नहीं दी है कि उनके पिता की मृत्यु हो गई है. टनल में फंसे रहने के दौरान कई बार उन्होंने अपने पिता से बातचीत की और सब कुछ सही और सुरक्षित होने की बात वह कहते रहे. लेकिन 26 नवंबर से उनके बेटे से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा था. गांव के आसपास के लोग और रिश्तेदार लगातार फोन पर बातचीत तो करवाते थे लेकिन बारी-बारी से सभी मजदूरों के परिजन बात करते थे. ऐसे में तीन दिन से बेटे से एक पिता की बातचीत नहीं हो पाई थी. किसी अनहोनी के डर से बसाते अंदर तक हिल गए. इसी सदमे में उनकी जान चली गई. संयोग देखिए कि ठीक 17वें दिन ही उत्तरकाशी की टनल से सभी 41 मजदूरों का सफल रेस्क्यू कर लिया गया था.
ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 श्रमिक घरों को रवाना, ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों ने किया डिस्चार्ज
ये भी पढ़ें: 400 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन 'सिलक्यारा' कंप्लीट, सभी 41 मजदूर आए बाहर, राष्ट्रपति-PM जताई खुशी, CM बोले-उनके लिए इगास
ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 7 राज्यों के 40 मजदूर, सभी अधिकारियों की छुट्टियां रद्द, रेस्क्यू जारी

Last Updated : Dec 1, 2023, 11:22 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.