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प्राकृतिक आपदा से हारे किसान, ऋण चुकाने में नाकाम - उत्तराखंड न्यूज.

प्राकृतिक आपदा ने किसानों को इस बार भारी नुकसान पहुंचाया है. फसलें, सब्जियां और फल बारिश, आंधी-तूफान और ओलावृष्टि में नष्ट हो गए. हालात ये हैं कि किसान ऋण चुकाने की स्थिति में भी नहीं हैं.

विकासनगर
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Published : May 28, 2020, 3:23 PM IST

Updated : May 28, 2020, 4:21 PM IST

विकासनगर: किसानों पर इस बार लॉकडाउन और मौसम की डबल मार पड़ी है, जिसने किसानों की कमर तोड़ दी है. यही कारण है कि किसान अब सहकारी समितियों से लिया गया कर्ज चुकाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं. किसानों ने समिति के अध्यक्ष से कर्ज माफ करने की गुहार लगाई है.

किसान ऋण चुकाने में असमर्थ.

इस बार पहले तो किसान कोरोना की रोकथाम और बचाव के लिए लागू किए लॉकडाउन की वजह से अपनी फसल नहीं काट पाए थे. बाद में जौनसार बावर में बारिश और ओलावृष्टि ने उनकी खेतों में तैयार खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया था. जो थोड़ी बहुत फसल बची थी उसके मंडी में सही दाम नहीं मिल पाए.

ऐसे हालात में पहले से ही कर्ज के तले दबे किसान पर आर्थिक संकट का बोझ और बढ़ गया. अब उन किसानों के पास सहकारी समितियों का कर्ज उतारने के लिए रुपए भी नहीं है. किसानों ने सरकार से मांग की है कि मुश्किल की इस घड़ी में उनका साथ दे और उनका कर्ज माफ करे ताकि उन्हें थोड़ी राहत मिल सके.

पढ़ें- उत्तराखंड बीजेपी ने नियुक्त किए जिला और मोर्चा प्रभारी

किसानों की समस्याओं के लेकर जब सहकारी समिति साहिया के अध्यक्ष टीकम सिंह तोमर से बात कि गई तो उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि और अधिक बारिश से इस बार किसानों की फसल बर्बाद हुई है. किसानों के हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित की है. किसानों की सूची तैयार की जा रही है, ताकि उनको कुछ हद तक लाभ मिल सके. किसानों का ऋण माफ हो सके इसके लिए समिति ने एक प्रस्ताव भी भेजा है.

बीजेपी मंडल अध्यक्ष अमर सिंह चौहान ने कहा कि उन्होंने संगठन के माध्यम से सहकारिता मंत्री को एक पत्र भेजा है. किसानों को ऋण माफी या फिर ब्याज में छूट देने की बात कही है. ताकि किसानों को फिर से ऋण उपलब्ध करवाकर उनकी आय में इजाफा किया जाए.

विकासनगर: किसानों पर इस बार लॉकडाउन और मौसम की डबल मार पड़ी है, जिसने किसानों की कमर तोड़ दी है. यही कारण है कि किसान अब सहकारी समितियों से लिया गया कर्ज चुकाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं. किसानों ने समिति के अध्यक्ष से कर्ज माफ करने की गुहार लगाई है.

किसान ऋण चुकाने में असमर्थ.

इस बार पहले तो किसान कोरोना की रोकथाम और बचाव के लिए लागू किए लॉकडाउन की वजह से अपनी फसल नहीं काट पाए थे. बाद में जौनसार बावर में बारिश और ओलावृष्टि ने उनकी खेतों में तैयार खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया था. जो थोड़ी बहुत फसल बची थी उसके मंडी में सही दाम नहीं मिल पाए.

ऐसे हालात में पहले से ही कर्ज के तले दबे किसान पर आर्थिक संकट का बोझ और बढ़ गया. अब उन किसानों के पास सहकारी समितियों का कर्ज उतारने के लिए रुपए भी नहीं है. किसानों ने सरकार से मांग की है कि मुश्किल की इस घड़ी में उनका साथ दे और उनका कर्ज माफ करे ताकि उन्हें थोड़ी राहत मिल सके.

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किसानों की समस्याओं के लेकर जब सहकारी समिति साहिया के अध्यक्ष टीकम सिंह तोमर से बात कि गई तो उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि और अधिक बारिश से इस बार किसानों की फसल बर्बाद हुई है. किसानों के हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित की है. किसानों की सूची तैयार की जा रही है, ताकि उनको कुछ हद तक लाभ मिल सके. किसानों का ऋण माफ हो सके इसके लिए समिति ने एक प्रस्ताव भी भेजा है.

बीजेपी मंडल अध्यक्ष अमर सिंह चौहान ने कहा कि उन्होंने संगठन के माध्यम से सहकारिता मंत्री को एक पत्र भेजा है. किसानों को ऋण माफी या फिर ब्याज में छूट देने की बात कही है. ताकि किसानों को फिर से ऋण उपलब्ध करवाकर उनकी आय में इजाफा किया जाए.

Last Updated : May 28, 2020, 4:21 PM IST
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