डोईवाला: किसानों की फसल को जंगली जानवर तबाह कर रहे हैं. किसान मचानों पर रहकर फसल की देखरेख करने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि प्रशासन की गश्त सिर्फ खानापूर्ति है. इसलिए वो खुद रात दिन गश्त कर रहे हैं. वहीं किसानों ने फसल का मुआवजा लेने से साफ इनकार कर दिया है. किसानों का कहना विभाग हमारी फसलों को जंगली जानवरों से बचा ले, उन्हें ओर कुछ नहीं चाहिए.
किसान मचान पर रहकर कर रहे पहरेदारी: शिमलास ग्रांट के किसान उम्मेद सिंह बोरा ने बताया कि ज्यादातर किसानों की खेती सुसुआ नदी के नजदीक है और सामने राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क का जंगल है. जंगल से हाथी नदी पार करके खेतों में घुस जाते हैं. हाथियों ने पुरानी बनी सुरक्षा दीवार को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है. उनका कहना है कि फसल के तैयार होने से पहले ही हाथी उन्हें रौंद रहे हैं और गन्ने की फसल को भी बर्बाद कर रहे हैं. अगर हाथियों को किसान खेतों से भगा रहे हैं तो यह हाथी उन पर हमला कर रहे हैं. पूरी रात किसानों को मचान बनाकर रहना पड़ रहा है, उसके बाद भी फसल को बचाना मुश्किल हो रहा है.
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किसानों ने मुआवजा लेने से किया इनकार: किसान बहादुर सिंह का कहना है कि जब पार्क प्रशासन को सूचना दी जाती है तो उनके कर्मचारी कई घंटे के बाद मौके पर पहुंचते हैं. हाथियों को भगाने के लिए उनके पास कोई भी सामान नहीं होता है. सिर्फ लाठी के सहारे पार्क कर्मचारी खेतों में पहुंचते हैं. विभाग और सरकारी तंत्र द्वारा फसलों के भारी नुकसान का उन्हें नाममात्र का मुआवजा दिया जाता है. इस बार उन्होंने मुआवजा लेने से ही इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि अगर यही हाल रहा तो किसान अपनी पारंपरिक खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे और किसानों को अपना परिवार चलाना भी मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने विभाग से जंगली जानवरों के रोकथाम के ठोस उपाय करने की मांग की है.
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क्या कह रहे जिम्मेदार: लच्छीवाला रेंज अधिकारी घनानंद उनियाल ने बताया कि जंगली जानवरों से हुए नुकसान पर राजस्व विभाग की टीम पहले सर्वे करती है, उसके बाद मुआवजे का एलान किया जाता है. गन्ने की फसल पर 25 हजार रुपये प्रति एकड़, गेहूं की फसल पर 15 हजार रुपये व अन्य फसलों पर 8 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है. किसानों का कहना है कि जो मुआवजा दिया जा रहा है वह लागत के हिसाब से नाम मात्र का मुआवजा है. जबकि भारी भरकम लागत फसल को तैयार करने में आती है. किसानों ने इस मुआवजे को दोगुना करने की मांग की है और समय पर मुआवजा देने की भी मांग की है. किसानों ने बताया कि सैकड़ों बीघा फसल जंगली जानवरों ने तबाह कर दी है.