देहरादून: राजधानी देहरादून के खुशबूदार बासमती चावल की विश्वभर में भारी डिमांड रहती है. इसके अलावा देहरादून के आम और लीची की मांग सीजन में लगातार रहती है. लेकिन इसके बावजूद काश्तकार खासे परेशान और चिंतित हैं. काश्तकारों को बारिश की कमी से आम और लीची खराब होने का डर सता रहा है.
काश्तकार सुरेंद्र राठी का कहना है कि उनके बगीचे में आम और लीची की पैदावार तो काफी है. लेकिन बारिश कम होने और अप्रैल में ओलावृष्टि से लीची को खासा नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा गर्मी बढ़ने से लीची सूखकर नीचे गिर रही है या फिर पेड़ में ही खराब हो रही है. काश्तकारों का कहना है कि ऐसे में यदि अगले 10 दिनों में भी बारिश नहीं होती तो, इससे लीची को खासा नुकसान पहुंचेगा.
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कोविड कर्फ्यू का असर
इसके साथ ही काश्तकारों के सामने एक दूसरी समस्या कोविड कर्फ्यू की भी बनी हुई है. दरअसल, अन्य राज्य से प्रदेश में प्रवेश करने के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य है. ऐसे में काश्तकार यूपी से कीटनाशक दवाएं नहीं ला पा रहे हैं. जसकी वजह से भी आम और लीची की पैदावार को नुकसान पहुंच रहा है.
15% पैदावार नष्ट
वहीं देहरादून में आम और लीची की फसल पर जिला उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी का कहना है कि अप्रैल महीने में प्रदेश के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि हुई. जिसकी वजह से आम और लीची को खासा नुकसान पहुंचा है. पूरे प्रदेश से मिली जानकारी के मुताबिक अप्रैल महीने में हुई ओलावृष्टि से आम और लीची की 15% पैदावार नष्ट हुई है. इसके अलावा आगे भी यदि ठीक-ठाक बारिश नहीं होती तो, इससे भी आम और लीची की मिठास पर असर पड़ेगा और पैदावार नष्ट भी हो सकती है.