देहरादून: पहले ही कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की मार झेल रहे उत्तराखंड के किसानों पर अब मौसम की दोहरी मार पड़ी है. जब लॉकडाउन में छूट देकर सरकार गांव की आर्थिकी को पटरी पर लाने की तैयारी कर रही थी तभी मौसम ने अपना कहर बरपा दिया और किसानों की कमर तोड़ दी है. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में सोमवार रात और मंगलवार को हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के सपनों को एक बार फिर तोड़ दिया है.
उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से अलग-अलग हिस्सों में हो रही लगातार बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ाने के साथ ही उनके सामने आर्थिक संकट भी खड़ा कर दिया है. मंगलवार को कुमाऊं और गढ़वाल में हुई बारिश और ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है. पहाड़ों में हुई बारिश के कारण हल्द्वानी में गौला नदी उफान पर आ गई थी, इस दौरान वहां कई लोग नदी में फंस गए थे. वहीं सोमेश्वर घाटी में अतिवृष्टि से कई घरों और गौशालाओं को भारी नुकसान पहुंचा है. एक नेपाली मजदूर के लापता होने की भी खबर है, जबकि कुछ मवेशियों की मौत हो गई है.
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कनालीछीना विकासखंड के मुगरौली गांव में कई घरों में मलबे के साथ बारिश का पानी घुस गया है. दूनागिरि क्षेत्र में तीसरी बार हुई भारी ओलावृष्टि से साग-सब्जी, फल, गेहूं, जौ , धनियां और मटर समेत सभी फसलें बर्बाद हो गईं.
यही नहीं गनाई तहसील के 42 ग्राम पंचायतों में ओलावृष्टि से आम, लीची, नीबू, खीरा, अंगूर, अमरूद आदि फल सब्जी सहित अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है.
किसानों पर दोहरी मार
पहले लॉकडाउन की वजह से किसान अपनी फसल नहीं काट पा रहे थे. अब बारिश और ओलावृष्टि ने खेतों में तैयार खड़ी पूरी फसल बर्बाद कर दी है.
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सेब की पैदावार को नुकसान
मई में हुई इस बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान सेब की फसल को हुआ है. इस बारिश का सीधा असर सेब की पैदावार पर पड़ेगा, जिससे पहाड़ों में हजारों किसानों का रोजगार जुड़ा हुआ था. फल काश्तकार के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
जन-जीवन अस्तव्यस्त
मंगलवार को उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में जिस तरह की बारिश हुई है उससे वहां का सामान्य जन-जीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है. बारिश की वजह से कई इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए थे. अंधड़ से विद्युत सेवा भी बाधित हुई है.
नदियां उफान पर
पहाड़ी जिलों में हुई भारी बारिश का असर मैदानी क्षेत्रों में भी देखने के मिला है. मैदानी क्षेत्रों में नदी-नाले उफान पर आ गए थे. कुछ स्थानों पर सड़क मार्ग भी ध्वस्त हो गए थे. पहले जहां लॉकडाउन की वजह लोग घरों में रहने का मजबूर थे वहीं अब मौसम ने ऐसा कहर ढाया कि लोग दोबारा जान बचाने के लिए घरों में रहने को मजबूर हो गए.