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उत्तरकाशी आपदा पीड़ितों ने सुनाई खौफनाक रात की कहानी, आखों के सामने अपनों को मरते देखा

उत्तरकाशी के आराकोट बंगाण में आपदा के खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों ने ईटीवी भारत को आपबीती बताई. इस दौरान पीड़ितों ने बताया कि आपदा के दौरान कई लोग सो रहे थे. अचानक बादल फटने से लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला. ऐसे मे कई लोग उनके आखों के सामने ही बह गए. जिनका अभीतक कुछ पता नहीं चल सका है.

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Published : Aug 19, 2019, 7:32 PM IST

Updated : Aug 19, 2019, 9:15 PM IST

देहरादूनः उत्तरकाशी जिले के आराकोट बंगाण में आई आपदा में 12 लोगों की मौत हो गई है. अभी भी 5 लापता बताए जा रहे हैं. बादल फटने से ज्यादा नुकसान माकुड़ी, टिकोची और आराकोट समेत कई गावों में हुआ है. रेस्क्यू अभियान चलाने के बाद घायलों को एयरलिफ्ट कर देहरादून पहुंचाया गया है. जहां पर उनका इलाज जारी है. वहीं, इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों ने ईटीवी भारत से अपनी आपबीती बताई.

ईटीवी भारत से बातचीत कर आपबीती बताते आपदा पीड़ित.

बता दें कि बीते रविवार तड़के मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जिससे भारी तबाही मची थी. माकुड़ी में कई मकान जमींदोज गए. जिसमें कुछ लोग जिंदा दफन हो गए. वहीं, माकुड़ी नदी के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन बह गए. आपदा से माकुड़ी और आराकोट में कई लोग काल-कलवित हो गए. साथ ही अभी भी कई लोग लापता हैं.

ये भी पढे़ंः जानिए क्या है बादल फटना, आखिर पहाड़ों पर ही क्यों होती है ऐसी घटना?

सोमवार को आपदा पीड़ितों को आराकोट के अस्थायी कैंप से एयर एंबुलेंस के जरिए देहरादून पहुंचाया गया. जहां उन्हें दून मेडिकल कॉलेज में एडमिट करवाया गया है. जिनका अभी इलाज जारी है. इसके लिए बकायदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से 10 अतिरिक्त बेड रखे गए हैं. इतना ही नहीं उत्तरकाशी समेत समुचित गढ़वाल क्षेत्र में रेस्क्यू कर दून अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ितों के लिए इमरजेंसी वार्ड खाली रखा गया है. जिससे तत्काल इलाज उपलब्ध कराए जा सके.

वहीं, इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों का दर्द साफ दिखाई दे रहा है. आपदा ग्रस्त आराकोट क्षेत्र से रेस्क्यू कर लाए गए आपदा पीड़ित राजेंद्र चौहान ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए बताया कि आराकोट में करीब 5 से 5:30 बजे के आसपास अचानक बाद फट गया. उस दौरान यूनियन में 27 गाड़ियां खड़ी थी. हादसे के वक्त लोग सो रहे थे. उनकी आंखों के सामने ही तीन वाहन बह गए. जिसमें कुछ लोग भी थे जिनका कुछ पता नहीं है.

ये भी पढे़ंः उत्तरकाशी में युद्धस्तर पर रेस्क्यू जारी, 3 हेलीकॉप्टरों की मदद से सामान पहुंचा रही SDRF

उन्होंने कहा कि स्थानीय यूनियन में सिर्फ नंबर के आधार पर पता चल पा रहा है कि वहां ये वाहन खड़े हुए थे. स्थानीय लोग 9 किलोमीटर पैदल चलकर एक निजी अस्पताल पहुंचे. जिसके बाद उन्हें देहरादून लाया गया है. उनके अलावा राजेंद्र, जालम राधा, सोहनलाल भी आपदा के बाद एयर एंबुलेंस से देहरादून पहुंचाया गए हैं. जिनका इलाज जारी है. डॉक्टरों की मानें तो आपदा पीड़ितों की हालत स्थिर है.

उधर, दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एनएस खत्री के मुताबिक अस्पताल को आपदा पीड़ितों के इलाज के लिए सभी तरह की मेडिकल सुविधाओं से युक्त रखा गया है. अस्पताल में पहुंचने वाले पीड़ितों को राहत देने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है. सभी डॉक्टरों को 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए गए हैं.

देहरादूनः उत्तरकाशी जिले के आराकोट बंगाण में आई आपदा में 12 लोगों की मौत हो गई है. अभी भी 5 लापता बताए जा रहे हैं. बादल फटने से ज्यादा नुकसान माकुड़ी, टिकोची और आराकोट समेत कई गावों में हुआ है. रेस्क्यू अभियान चलाने के बाद घायलों को एयरलिफ्ट कर देहरादून पहुंचाया गया है. जहां पर उनका इलाज जारी है. वहीं, इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों ने ईटीवी भारत से अपनी आपबीती बताई.

ईटीवी भारत से बातचीत कर आपबीती बताते आपदा पीड़ित.

बता दें कि बीते रविवार तड़के मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जिससे भारी तबाही मची थी. माकुड़ी में कई मकान जमींदोज गए. जिसमें कुछ लोग जिंदा दफन हो गए. वहीं, माकुड़ी नदी के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन बह गए. आपदा से माकुड़ी और आराकोट में कई लोग काल-कलवित हो गए. साथ ही अभी भी कई लोग लापता हैं.

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सोमवार को आपदा पीड़ितों को आराकोट के अस्थायी कैंप से एयर एंबुलेंस के जरिए देहरादून पहुंचाया गया. जहां उन्हें दून मेडिकल कॉलेज में एडमिट करवाया गया है. जिनका अभी इलाज जारी है. इसके लिए बकायदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से 10 अतिरिक्त बेड रखे गए हैं. इतना ही नहीं उत्तरकाशी समेत समुचित गढ़वाल क्षेत्र में रेस्क्यू कर दून अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ितों के लिए इमरजेंसी वार्ड खाली रखा गया है. जिससे तत्काल इलाज उपलब्ध कराए जा सके.

वहीं, इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों का दर्द साफ दिखाई दे रहा है. आपदा ग्रस्त आराकोट क्षेत्र से रेस्क्यू कर लाए गए आपदा पीड़ित राजेंद्र चौहान ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए बताया कि आराकोट में करीब 5 से 5:30 बजे के आसपास अचानक बाद फट गया. उस दौरान यूनियन में 27 गाड़ियां खड़ी थी. हादसे के वक्त लोग सो रहे थे. उनकी आंखों के सामने ही तीन वाहन बह गए. जिसमें कुछ लोग भी थे जिनका कुछ पता नहीं है.

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उन्होंने कहा कि स्थानीय यूनियन में सिर्फ नंबर के आधार पर पता चल पा रहा है कि वहां ये वाहन खड़े हुए थे. स्थानीय लोग 9 किलोमीटर पैदल चलकर एक निजी अस्पताल पहुंचे. जिसके बाद उन्हें देहरादून लाया गया है. उनके अलावा राजेंद्र, जालम राधा, सोहनलाल भी आपदा के बाद एयर एंबुलेंस से देहरादून पहुंचाया गए हैं. जिनका इलाज जारी है. डॉक्टरों की मानें तो आपदा पीड़ितों की हालत स्थिर है.

उधर, दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एनएस खत्री के मुताबिक अस्पताल को आपदा पीड़ितों के इलाज के लिए सभी तरह की मेडिकल सुविधाओं से युक्त रखा गया है. अस्पताल में पहुंचने वाले पीड़ितों को राहत देने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है. सभी डॉक्टरों को 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए गए हैं.

Intro:उत्तरकाशी जिले के आराकोट में आई भयानक आपदा के बाद आज आपदा पीड़ितों को एयर एंबुलेंस से देहरादून लाया गया जहां उन्हें दून मेडिकल कॉलेज में एडमिट करवाया गया है जिनका अस्पताल की तरफ से समुचित उपचार किया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से 10 बेड अतिरिक्त रखे गए हैं ।संभावना व्यक्त की जा रही है कि अभी और आपदा पीड़ितों को दून मेडिकल कॉलेज उपचार के लिए लाया जा सकता है। उधर आपदा ग्रस्त क्षेत्रों से आने वाले मरीजों के लिए राज्य के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज में डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट एनएच खत्री द्वारा बाकायदा अस्पताल में अनाउंसमेंट कर सभी तरह के उपचारों से संबंधित डॉक्टरों को अलर्ट स्थिति में रहकर तत्काल रेस्क्यू कर लाए गए लोगों के उपचार के लिए निर्देशित किया जा रहे हैं। इतना ही नहीं उत्तराखंड के उत्तरकाशी सहित समुचित गढ़वाल क्षेत्र में रेस्क्यू कर के दून अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ितों के लिए इमरजेंसी वार्ड खाली रखकर तत्काल उपचार दिये जाने के दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। साथ ही ओपीडी में तैनात चिकित्सकों से कहा जा रहा है कि अनावश्यक रूप से मरीजों को इमरजेंसी की ओर रेफर ना करें और उनका इलाज ओपीडी स्तर पर ही करें।अनाउंसमेंट के माध्यम से मरीजों के तीमारदारों से इमरजेंसी खाली करने का आह्वान किया जा रहा है ताकि आपदा पीड़ितो के इलाज मैं किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े ।अस्पताल प्रबंधन द्वारा की जा रही इस पहल से दून अस्पताल में सभी हड्डी रोग विशेषज्ञों और शल्य चिकित्सकों द्वारा आधा पीड़ितों के उपचार की समुचित व्यवस्थाएं बनाई जा रही है।


Body:दून मेडिकल कॉलेज में आपदा ग्रस्त क्षेत्रों से रह चुप कर लाए गए आपदा पीड़ितों के लिए अस्पताल में विशेष तरह की मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था कर अलग से 10 बेड तैयार किए गए हैं। दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुप्रिडेन्डेन्ट डॉ एन एस खत्री के मुताबिक अस्पताल को आपदा पीड़ितों के उपचार को लेकर सभी तरह की मेडिकल सुविधाओं से युक्त रखा गया है। अस्पताल में पहुंचने वाले आधा पीड़ितों को राहत देने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है साथ ही आगे भी एहतियातन अन्य तरह की विशेष सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल आपदा पीड़ितों का इलाज करने में पूरी तरह से सक्षम है यदि अन्य आपदा पीड़ितों को भी दून मेडिकल कॉलेज लाया जाता है तो सभी चिकित्सकों 24 घंटे को अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए गए हैं।

बाईट- डॉ एन एस खत्री, डिप्टी मेडिकल, सुपरिंटेंडेंट दून मेडिकल कॉलेज।

वहीं आपदा ग्रस्त आराकोट क्षेत्र से रेस्क्यू कर लाए गए आपदा पीड़ित वाहन चालक राजेन्द्र चौहान ने अपनी कहानी बयां करते हुए कहा की आराकोट मे सवेरे 5:00 5:30 बजे की बात थी, और वो अपना पिकअप वाहन चलाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। पानी यूनियन में उस दौरान 27 गाड़ियां खड़ी हुई थी। अचानक जब बादल फटा तो कुछ वाहन चालक उठे हुए थे जबकि कुछ सो रहे थे। उनकी आंखों के सामने तीन वाहन बह गए, जिसमें कुछ लोग भी थे जिनका कुछ अता पता नहीं है। स्थानीय यूनियन में सिर्फ नंबर के आधार पर पता चल पा रहा है कि वहां ये वाहन खड़े हुए थे। इन हालातों में 9 किलोमीटर पैदल चलकर जब स्थानीय अस्पताल पहुंचे तो उन्हें देहरादून के लिए रेफर कर दिया, एयर एंबुलेंस के माध्यम से उन्हें देहरादून लाया गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल सरकार की तरफ से उन्हें कोई सहायता नहीं प्राप्त हुई है।
बाईट- राजेंद्र सिंह चौहान, आपदा पीड़ित
बाईट-सोहन लाल,आपदा पीड़ित


Conclusion: आपदा ग्रस्त आराकोट से लाए गए आपदा पीड़ितों के नाम इस प्रकार हैं।
राजेंद्र ,जालम राधा, सोहनलाल,हैं । यह सभी उत्तरकाशी के आराकोट में आई आपदा के बाद एयर एंबुलेंस से देहरादून लाए गए हैं जिन्हें दून मेडिकल कॉलेज में उपचार दिया जा रहा है डॉक्टरों के मुताबिक फिलहाल चारों आपदा पीड़ितों की स्थिति स्टेबल है, अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक आपदा पीड़ितों पर नजर बनाए हुए हैं।
Last Updated : Aug 19, 2019, 9:15 PM IST
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