देहरादूनः उत्तरकाशी जिले के आराकोट बंगाण में आई आपदा में 12 लोगों की मौत हो गई है. अभी भी 5 लापता बताए जा रहे हैं. बादल फटने से ज्यादा नुकसान माकुड़ी, टिकोची और आराकोट समेत कई गावों में हुआ है. रेस्क्यू अभियान चलाने के बाद घायलों को एयरलिफ्ट कर देहरादून पहुंचाया गया है. जहां पर उनका इलाज जारी है. वहीं, इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों ने ईटीवी भारत से अपनी आपबीती बताई.
बता दें कि बीते रविवार तड़के मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जिससे भारी तबाही मची थी. माकुड़ी में कई मकान जमींदोज गए. जिसमें कुछ लोग जिंदा दफन हो गए. वहीं, माकुड़ी नदी के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन बह गए. आपदा से माकुड़ी और आराकोट में कई लोग काल-कलवित हो गए. साथ ही अभी भी कई लोग लापता हैं.
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सोमवार को आपदा पीड़ितों को आराकोट के अस्थायी कैंप से एयर एंबुलेंस के जरिए देहरादून पहुंचाया गया. जहां उन्हें दून मेडिकल कॉलेज में एडमिट करवाया गया है. जिनका अभी इलाज जारी है. इसके लिए बकायदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से 10 अतिरिक्त बेड रखे गए हैं. इतना ही नहीं उत्तरकाशी समेत समुचित गढ़वाल क्षेत्र में रेस्क्यू कर दून अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ितों के लिए इमरजेंसी वार्ड खाली रखा गया है. जिससे तत्काल इलाज उपलब्ध कराए जा सके.
वहीं, इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों का दर्द साफ दिखाई दे रहा है. आपदा ग्रस्त आराकोट क्षेत्र से रेस्क्यू कर लाए गए आपदा पीड़ित राजेंद्र चौहान ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए बताया कि आराकोट में करीब 5 से 5:30 बजे के आसपास अचानक बाद फट गया. उस दौरान यूनियन में 27 गाड़ियां खड़ी थी. हादसे के वक्त लोग सो रहे थे. उनकी आंखों के सामने ही तीन वाहन बह गए. जिसमें कुछ लोग भी थे जिनका कुछ पता नहीं है.
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उन्होंने कहा कि स्थानीय यूनियन में सिर्फ नंबर के आधार पर पता चल पा रहा है कि वहां ये वाहन खड़े हुए थे. स्थानीय लोग 9 किलोमीटर पैदल चलकर एक निजी अस्पताल पहुंचे. जिसके बाद उन्हें देहरादून लाया गया है. उनके अलावा राजेंद्र, जालम राधा, सोहनलाल भी आपदा के बाद एयर एंबुलेंस से देहरादून पहुंचाया गए हैं. जिनका इलाज जारी है. डॉक्टरों की मानें तो आपदा पीड़ितों की हालत स्थिर है.
उधर, दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एनएस खत्री के मुताबिक अस्पताल को आपदा पीड़ितों के इलाज के लिए सभी तरह की मेडिकल सुविधाओं से युक्त रखा गया है. अस्पताल में पहुंचने वाले पीड़ितों को राहत देने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है. सभी डॉक्टरों को 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए गए हैं.