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दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहाड़ी वोटरों ने दिखाई ताकत, रवि नेगी हारकर भी बने बाजीगर

पटपड़गंज से चुनाव लड़ रहे आम आदमी पार्टी के बड़े नेता मनीष सिसोदिया को कड़ी टक्कर देने वाले रवि नेगी अपने प्रदर्शन के पीछे पहाड़ी वोटों को एक बड़ी ताकत मानते हैं.

रवि नेगी
रवि नेगी
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Published : Feb 14, 2020, 12:22 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में करीब 30 लाख पहाड़ी वोटर हैं. इनमें से करीब 20 लाख उत्तराखंड के लोग हैं, वहीं लगभग 10 लाख की आबादी हिमाचल प्रदेश के लोगों की है. उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में पहाड़ी लोगों की अच्छी खासी तादाद है. इनकी अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि विभिन्न दलों ने पूर्वांचली वोटों पर पकड़ के लिए अपने राजनीतिक दल में पर्वतीय प्रकोष्ठ या पहाड़ी मोर्चा जैसे संगठनों का भी गठन किया है.

मनीष सिसोदिया व रवि नेगी में रहा कड़ा मुकाबला.


सिसोदिया के खिलाफ पहाड़ी उम्मीदवार
पूर्वी दिल्ली के एक पहाड़ी बहुल विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज से बीजेपी ने इस बार रवि नेगी को मैदान में उतारा था. यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से आम आदमी पार्टी में नंबर दो के नेता माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ते हैं. रवि नेगी ने चुनाव प्रचार में खूब पसीना बहाया. प्रचार के दौरान भी यह दिख रहा था कि उन्हें पहाड़ी लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है और यह उन्हें मिले वोटों में भी नजर आया.


मात्र 3207 से मिली मात
11 फरवरी को कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज के काउंटिंग सेंटर पर सुबह से ही रवि नेगी के चेहरे की रौनक महसूस की जा सकती थी, क्योंकि वे लगातार 10 राउंड तक मनीष सिसोदिया को मात देते रहे, लेकिन जब झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों का ईवीएम खुला, तो फिर मनीष सिसोदिया को बढ़त मिली और मात्र 3207 वोटों के मार्जिन से रवि नेगी चुनाव हार गए. लेकिन इस हार से भी न तो बीजेपी और न ही रवि नेगी उदास हैं.


'हार कर जीता हुआ बाजीगर'
चुनाव परिणाम की शाम ही पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने रवि नेगी के साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट की और लिखा, 'हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं! My Man of the Delhi elections.' बीजेपी का यह बाजीगर अपने प्रदर्शन के लिए पहाड़ी वोटों को एक बड़ा कारण मानता है.

यह भी पढ़ेंः श्रीनगर: मरीन ड्राइव का सपना होगा सच, मिलेगी सहूलियत

ईटीवी भारत से बातचीत में रवि नेगी ने कहा कि न सिर्फ बीते 5 साल, बल्कि हमेशा से ही दिल्ली में रहने वाले पहाड़ी समुदाय के लोगों के साथ छल हुआ है. उन्होंने कहा कि मैं उत्तराखंड के अल्मोड़ा से हूं, लेकिन जन्म और परवरिश पटपड़गंज में ही हुई है और यहां के लोगों का दुख दर्द समझता हूं.


हार से पहाड़ियों में भी उदासी
पटपड़गंज में रहने वाले कुछ उत्तराखंड के लोगों से भी ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने भी साफ तौर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया. वे रवि नेगी की हार को लेकर दुखी भी दिखे. लेकिन उन्हें संतोष था कि रवि नेगी ने मनीष सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी. रवि नेगी का भी कहना था कि मैं हमेशा से ही किसी पद पर नहीं रहते हुए भी लोगों और खासकर उत्तराखंड वासियों की आवाज उठाता रहा हूं और ये सिलसिला अब भी जारी रहेगा.

विधानसभा पहुंचे एक पहाड़ी
गौरतलब है कि बीजेपी ने दो पहाड़ियों को टिकट दिया था. पटपड़गंज से रवि नेगी के अलावा करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट मैदान में थे. मोहन सिंह बिष्ट विधानसभा पहुंचने में भी सफल हुए. पटपड़गंज और करावल नगर के अलावा बुराड़ी, साकेत, शालीमार बाग, मोती नगर, रोहिणी और लक्ष्मी नगर जैसे कई विधानसभा क्षेत्रों में पहाड़ी लोगों की अच्छी खासी तादाद है.

नई दिल्ली: दिल्ली में करीब 30 लाख पहाड़ी वोटर हैं. इनमें से करीब 20 लाख उत्तराखंड के लोग हैं, वहीं लगभग 10 लाख की आबादी हिमाचल प्रदेश के लोगों की है. उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में पहाड़ी लोगों की अच्छी खासी तादाद है. इनकी अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि विभिन्न दलों ने पूर्वांचली वोटों पर पकड़ के लिए अपने राजनीतिक दल में पर्वतीय प्रकोष्ठ या पहाड़ी मोर्चा जैसे संगठनों का भी गठन किया है.

मनीष सिसोदिया व रवि नेगी में रहा कड़ा मुकाबला.


सिसोदिया के खिलाफ पहाड़ी उम्मीदवार
पूर्वी दिल्ली के एक पहाड़ी बहुल विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज से बीजेपी ने इस बार रवि नेगी को मैदान में उतारा था. यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से आम आदमी पार्टी में नंबर दो के नेता माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ते हैं. रवि नेगी ने चुनाव प्रचार में खूब पसीना बहाया. प्रचार के दौरान भी यह दिख रहा था कि उन्हें पहाड़ी लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है और यह उन्हें मिले वोटों में भी नजर आया.


मात्र 3207 से मिली मात
11 फरवरी को कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज के काउंटिंग सेंटर पर सुबह से ही रवि नेगी के चेहरे की रौनक महसूस की जा सकती थी, क्योंकि वे लगातार 10 राउंड तक मनीष सिसोदिया को मात देते रहे, लेकिन जब झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों का ईवीएम खुला, तो फिर मनीष सिसोदिया को बढ़त मिली और मात्र 3207 वोटों के मार्जिन से रवि नेगी चुनाव हार गए. लेकिन इस हार से भी न तो बीजेपी और न ही रवि नेगी उदास हैं.


'हार कर जीता हुआ बाजीगर'
चुनाव परिणाम की शाम ही पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने रवि नेगी के साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट की और लिखा, 'हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं! My Man of the Delhi elections.' बीजेपी का यह बाजीगर अपने प्रदर्शन के लिए पहाड़ी वोटों को एक बड़ा कारण मानता है.

यह भी पढ़ेंः श्रीनगर: मरीन ड्राइव का सपना होगा सच, मिलेगी सहूलियत

ईटीवी भारत से बातचीत में रवि नेगी ने कहा कि न सिर्फ बीते 5 साल, बल्कि हमेशा से ही दिल्ली में रहने वाले पहाड़ी समुदाय के लोगों के साथ छल हुआ है. उन्होंने कहा कि मैं उत्तराखंड के अल्मोड़ा से हूं, लेकिन जन्म और परवरिश पटपड़गंज में ही हुई है और यहां के लोगों का दुख दर्द समझता हूं.


हार से पहाड़ियों में भी उदासी
पटपड़गंज में रहने वाले कुछ उत्तराखंड के लोगों से भी ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने भी साफ तौर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया. वे रवि नेगी की हार को लेकर दुखी भी दिखे. लेकिन उन्हें संतोष था कि रवि नेगी ने मनीष सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी. रवि नेगी का भी कहना था कि मैं हमेशा से ही किसी पद पर नहीं रहते हुए भी लोगों और खासकर उत्तराखंड वासियों की आवाज उठाता रहा हूं और ये सिलसिला अब भी जारी रहेगा.

विधानसभा पहुंचे एक पहाड़ी
गौरतलब है कि बीजेपी ने दो पहाड़ियों को टिकट दिया था. पटपड़गंज से रवि नेगी के अलावा करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट मैदान में थे. मोहन सिंह बिष्ट विधानसभा पहुंचने में भी सफल हुए. पटपड़गंज और करावल नगर के अलावा बुराड़ी, साकेत, शालीमार बाग, मोती नगर, रोहिणी और लक्ष्मी नगर जैसे कई विधानसभा क्षेत्रों में पहाड़ी लोगों की अच्छी खासी तादाद है.

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