देहरादूनः पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर बाबा केदार के धाम पहुंचने वाले हैं. 5 नवंबर को बाबा केदार के धाम पहुंचकर वे एक नया इतिहास रचेंगे. भाजपा ने इस दौरान देशभर के विभिन्न शिवालयों में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम रखा है. यह पहला मौका नहीं है, जब पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव से पहले बाबा केदार का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हों.
पीएम मोदी ने जब-जब केदारनाथ धाम आकर बाबा केदार का आशीर्वाद लिया है. तब-तब चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने में भी कामयाबी मिली है. इस बार पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में 2022 में वापसी और उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा को बहुमत दिलाने का आशीर्वाद लेने आ रहे हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि 2022 की इस लड़ाई को जीत कर ही वह 2024 की जंग को फतेह कर पाएंगे.
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भाजपा के इन सर्वोच्च नेताओं के दौरे और बयानों से जाहिर है कि आगामी 2022 का चुनाव उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिकता पर ही भाजपा लड़ने वाली है. हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देहरादून पहुंचकर हरीश रावत पर जोरदार हमले किए और इस दौरान उन्होंने अपने बयान में मंदिर और पाकिस्तान को ही जगह दी.
उधर इसके ठीक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ दौरा भी देशभर में हिंदुत्व का संदेश देने जा रहा है. इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी कभी रोजगार और महंगाई पर बात नहीं करती. न अमित शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन मामलों पर कभी बोलते हैं.
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वहीं, भारतीय जनता पार्टी पर सांप्रदायिकता और हिंदुत्व के बहाने लोगों को बांटने का आरोप लगा तो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने जवाब देने भी देरी नहीं की. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स कहते हैं कि भाजपा यदि मंदिर और हिंदुत्व की बात कर रही है तो बाकी पार्टियों के नेता क्यों मंदिरों के चक्कर लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने बाकी दलों के नेताओं को मंदिरों की याद दिलाई है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले केदारनाथ आए थे. उसके बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भी केदारनाथ पहुंचे थे. उधर 2019 में भी प्रधानमंत्री केदारनाथ में पहुंचकर बाबा केदार का आशीर्वाद लेकर गए थे और अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनाव से पहले वे केदारनाथ पहुंच रहे हैं.