ETV Bharat / state

बजट 2020 से पद्म भूषण अनिल जोशी निराश, कहा- ग्रीन बोनस का नहीं निकलना दुर्भाग्यपूर्ण

एक समारोह में शिरकत करने पहुंचे पर्यावरणविद पद्मश्री और पद्म भूषण अनिल जोशी ने राज्य और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने बजट, गंगा की स्वच्छता और रिस्पना नदी के ऋषिपर्णा बनाने के सवाल पर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने बताया कि पर्यावरण को देहरादून में जल्द ही राष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन किया जाएगा.

Mussoorie Hindi News
Mussoorie Hindi News
author img

By

Published : Feb 3, 2020, 9:58 PM IST

मसूरी: एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पर्यावरणविद पद्मश्री और पद्म भूषण डॉक्टर अनिल जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी बजट से वह काफी निराश हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पर्यावरण को लेकर हिमालयी राज्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की थी. जिसमें ग्रीन बोनस के मुद्दे पर बात की गई थी. लेकिन अभी तक उस बैठक का कोई हल नहीं निकल पाया जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल और पर्यावरण संरक्षण की बात कर रहे हैं, लेकिन पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर काम करने वाले लोग इसको लेकर नीतिगत पॉलिसी नहीं बना पा रहे हैं. तभी हाल के बजट में पर्यावरण को लेकर कोई खास प्रावधान नहीं किए गए.

जोशी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पर्यावरण को लेकर कुछ कदम उठा रही है, जिसको लेकर सकल पर्यावरण उत्पाद ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट (GEP) जो जीडीपी के साथ हो. जैसे जीडीपी देश की इकनोमिक ग्रोथ के बारे में बताती है वैसे ही ग्रॉस इन्वायरमेंट प्रोडक्ट प्रकृति से जुड़े किए जा रहे कामों के बारे में बताएगी.

पर्यावरणविद डॉ अनिल जोशी.

उन्होंने कहा कि जीडीपी तो मुट्ठी भर लोगों की होती है परंतु हवा पानी मिट्टी सबको चाहिए. आने वाले समय में इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन देहरादून में किया जाना है, जिसमें देश के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रतिभाग करेंगे.

पढ़ें- शैलेश मटियानी पुरस्कारः बजट का रोना, करना पड़ता है सालों का इंतजार

अनिल जोशी ने गंगा संरक्षण को लेकर कहा कि गंगा सबकी है. योजनाओं के माध्यम से गंगा स्वच्छ निर्मल नहीं हो पाएगी. ऐसे में गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए प्रत्येक देशवासियों को अपनी प्रतिभागीता सुनिश्चित करनी होगी. गंगा को लेकर अर्थ गंगा कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. जिसमें गंगा से जुड़े सभी लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर गंगा के प्रति सबकी आस्था बढ़ाकर योजनाओं में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाने के ड्रीम प्रोजेक्ट के सवाल पर कहा कि पिछले दिनों योजना के तहत कई वृक्ष लगाए गए, लेकिन उनमें से कुछ वृक्ष जीवित हैं. इससे बेहतर होगा कि पहले पानी को जोड़ा जाए. वहां जल संरक्षण क्षेत्र का निर्माण किया जाए. वर्षा के पानी को एकत्रित किया जाए, जिससे मिट्टी नमी होगी और वृक्ष उपज जाएंगे. वह प्रकृति अपने आप ही वृक्ष पैदा करती है. उन्होंने कहा कि रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाने के लिए प्राकृतिक तरीके और तकनीकों का ही उपयोग करना होगा.

मसूरी: एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पर्यावरणविद पद्मश्री और पद्म भूषण डॉक्टर अनिल जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी बजट से वह काफी निराश हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पर्यावरण को लेकर हिमालयी राज्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की थी. जिसमें ग्रीन बोनस के मुद्दे पर बात की गई थी. लेकिन अभी तक उस बैठक का कोई हल नहीं निकल पाया जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल और पर्यावरण संरक्षण की बात कर रहे हैं, लेकिन पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर काम करने वाले लोग इसको लेकर नीतिगत पॉलिसी नहीं बना पा रहे हैं. तभी हाल के बजट में पर्यावरण को लेकर कोई खास प्रावधान नहीं किए गए.

जोशी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पर्यावरण को लेकर कुछ कदम उठा रही है, जिसको लेकर सकल पर्यावरण उत्पाद ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट (GEP) जो जीडीपी के साथ हो. जैसे जीडीपी देश की इकनोमिक ग्रोथ के बारे में बताती है वैसे ही ग्रॉस इन्वायरमेंट प्रोडक्ट प्रकृति से जुड़े किए जा रहे कामों के बारे में बताएगी.

पर्यावरणविद डॉ अनिल जोशी.

उन्होंने कहा कि जीडीपी तो मुट्ठी भर लोगों की होती है परंतु हवा पानी मिट्टी सबको चाहिए. आने वाले समय में इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन देहरादून में किया जाना है, जिसमें देश के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रतिभाग करेंगे.

पढ़ें- शैलेश मटियानी पुरस्कारः बजट का रोना, करना पड़ता है सालों का इंतजार

अनिल जोशी ने गंगा संरक्षण को लेकर कहा कि गंगा सबकी है. योजनाओं के माध्यम से गंगा स्वच्छ निर्मल नहीं हो पाएगी. ऐसे में गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए प्रत्येक देशवासियों को अपनी प्रतिभागीता सुनिश्चित करनी होगी. गंगा को लेकर अर्थ गंगा कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. जिसमें गंगा से जुड़े सभी लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर गंगा के प्रति सबकी आस्था बढ़ाकर योजनाओं में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाने के ड्रीम प्रोजेक्ट के सवाल पर कहा कि पिछले दिनों योजना के तहत कई वृक्ष लगाए गए, लेकिन उनमें से कुछ वृक्ष जीवित हैं. इससे बेहतर होगा कि पहले पानी को जोड़ा जाए. वहां जल संरक्षण क्षेत्र का निर्माण किया जाए. वर्षा के पानी को एकत्रित किया जाए, जिससे मिट्टी नमी होगी और वृक्ष उपज जाएंगे. वह प्रकृति अपने आप ही वृक्ष पैदा करती है. उन्होंने कहा कि रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाने के लिए प्राकृतिक तरीके और तकनीकों का ही उपयोग करना होगा.

Intro:summary
मसूरी में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पर्यावरणविद पद्म भूषण डॉक्टर अनिल जोशी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी बजट से वह काफी निराशा है उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पर्यावरण को लेकर हिमालय राज्य सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण बैठक की थी जिसमे ग्रीन बोनस के मुद्दे पर बात की गई थी परंतु उस बैठक का कोई फल नहीं निकल पाया जो दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल और पर्यावरण संरक्षण की बात कर रहे हैं परंतु पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर काम करने वाले लोग इसको लेकर नीतिगत पॉलिसी नहीं बना पा रहे हैं तभी हाल के बजट में पर्यावरण को लेकर कोई खास प्रावधान नहीं किए गए


Body:अनिल जोशी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पर्यावरण को लेकर कुछ कदम उठा रही है जिसको लेकर सकल पर्यावरण उत्पाद जीईपी ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट जो जीडीपी के साथ हो जैसे जीडीपी देश की इकनोमिक ग्रोथ के बारे में बताती है वैसे ही ग्रॉस इन्वायरमेंट प्रोडक्ट प्रकृति से जुड़े किए जा रहे कामों के बारे को बताएगी उन्होंने कहा कि जीडीपी तो मुट्ठी भर लोगों की होती है परंतु हवा पानी मिट्टी सबको चाहिए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन देहरादून में किया जाना है जिसमें भारत के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रतिभाग करेंगे

अनिल जोशी ने गंगा संरक्षण को लेकर कहा कि सरकार गंगा नहीं होती और गंगा सरकार नहीं हो सकती है उन्होंने कहा कि योजनाओं के माध्यम से गंगा स्वच्छ निर्मल नहीं हो पाएगी ऐसे में गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए प्रत्येक देशवासियों को अपनी प्रतिभागीता सुनिश्चित करनी होगी उन्होंने कहा कि गंगा को लेकर अर्थ गंगा कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है जिसमें गंगा से जुड़े सभी लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर गंगा के प्रति सबकी आस्था बढ़ाकर योजनाओं में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा रिस्पना नदी को ऋषीप्राण बनाने के ड्रीम प्रोजेक्ट के सवाल पर कहा कि पिछले दिनों योजना के तहत कई वृक्ष लगाए गए परंतु उनमें से कुछ वृक्ष जीवित हैं इससे बेहतर होगा कि पहले पानी को जोड़ा जाए वहां जल संरक्षण क्षेत्र का निर्माण किया जाए वह वर्षा के पानी को एकत्रित किया जाए जिससे मिट्टी नमी होगी और वृक्ष उपज जाएंगे वह प्रकृति अपने आप ही वृक्ष पैदा करती है उन्होंने कहा कि रिस्पना नदी को ऋषिप्राण बनाने के लिए प्राकृतिक तरीके और तकनीकों का ही उपयोग करना होगा


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.