देहरादून: जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से शहर खतरे की जद में है. जिसको लेकर पर्यावरण एवं जलवायु वैज्ञानिकों की टीम ने जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंची है. इस दौरान वैज्ञानिकों की टीम पर्यावरण और पारिस्थितिकी की जांच करेंगे. इसके साथ ही जोशीमठ में पानी की गुणवत्ता की भी जांच करेंगे. वैज्ञानिकों की 4 से 5 टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में इस पर काम कर रही है.
जोशीमठ पहुंची वैज्ञानिकों की टीम में शामिल डॉ जेसी कुनियाल ने बताया कि जिन घरों में दरारें आई हैं, उनकी स्थिति अच्छी नहीं है. सरकार ने पहले ही उन लोगों का पुनर्वास कर दिया है. हम देख रहे हैं कि क्या भूमि के और धंसने की संभावना है या क्या भूमि को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जा सकता है. यह हमारे लिए भी चुनौतीपूर्ण है. हमारी टीम यहां पर्यावरण, पारिस्थितिक और यहां पानी की गुणवत्ता का आकलन करेंगी. हमारी टीमें इस पर जोशीमठ के अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही हैं.
ये भी पढ़ें: Joshimath Sinking: 'NTPC पर लगाया जाए 20 करोड़ का जुर्माना, पैसों को पीड़ितों में बांटा जाए'
वहीं, सीबीआरआई के मुख्य अभियंता अजय चौरसिया ने कहा जोशीमठ के 9 वॉर्डों में 4 हजार भवनों का आकलन किया जा रहा है. हम भवनों के विवरण का आकलन कर रहे हैं कि भवन का निर्माण कैसे किया गया, किस सामग्री का उपयोग किया गया और क्या यह निर्धारित मानदंडों के अनुसार था. जिन घरों में दरारें आने की सूचना मिली है, उनके बाहर मीटर से नापे गए और मूल्यांकन रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की जाएगी. ताकि उसके आधार पर एक प्रशासनिक योजना बनाया जा सके.
बता दें कि जोशीमठ में भू-धंसाव से 700 से अधिक भवनों में दरारें आई हैं. खतरे को देखते हुए सरकार और प्रशासन ने प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है. खतरे की जद में आए भवनों का चिन्हीकरण किया गया है. वहीं, वैज्ञानिकों, एक्सपर्ट और प्रशासन की टीम जोशीमठ की स्थिति पर नजर बनाए हुए है.