देहरादून: ब्रिटिश काल से ही मसूरी-देहरादून रोड अपनी हरियाली और खूबसूरती के लिए विख्यात है. आजादी के बाद राजपुर से लेकर मसूरी और सहस्रधारा की चूना खानों में खनन शुरू हुआ. जिससे देहरादून मसूरी मार्ग पर हरियाली में ग्रहण लगना शुरू हो गया था. जिसको देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने टेरिटोरियल आर्मी का गठन किया और इस क्षेत्र की हरियाली और पर्यावरण को बचाने के लिए वनीकरण करवाया गया, जिसके बाद इस क्षेत्र की खूबसूरती का आज तक पर्यटक दीदार करते हैं. लेकिन बढ़ता अतिक्रमण से मसूरी-देहरादून मार्ग की खूबसूरती पर दाग लगा रहा है.
करीब 30 किमी लंबा मसूरी-देहरादून मोटर मार्ग के आसपास की हरियाली अब अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा है. साल दर साल जंगलों में अब कंक्रीट का साम्राज्य स्थापित किया जा रहा है. हाल यह है कि मसूरी-देहरादून मार्ग पर पड़ने वाले गाड़-गदेरों की जगह पर बड़े-बड़े रेस्तरां और होटलों ने लेनी शुरू कर दी गई है. इस बढ़ते अतिक्रमण के बीच हर दिन देहरादून और मसूरी के जिम्मेदार अधिकारी गुजरते हैं, लेकिन यह अतिक्रमण को देख हर कोई धृतराष्ट्र बना हुआ है.
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बता दें कि मसूरी-देहरादून मार्ग सहित जनपद में जिला प्रशासन और मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की ओर से निर्माण के लिए नियम बनाए गए हैं, लेकिन इन नियमो की धज्जियां उड़ाकर और अधिकारियों की मिलीभगत से मसूरी-देहरादून मोटर मार्ग के पास की हरियाली अब पूरी तरह अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है.
बता दें कि 1970-80 के दशक में देहरादून के राजपुर और सहस्त्रधारा सहित मसूरी देहरादून मार्ग पर चुने की खाने खुलने के कारण यहां की खूबसूरती पर ग्रहण लग गया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी में टेरिटोरियल आर्मी का गठन कर यहां पर चुने की खाने बंद कर वनीकरण करवाया था. ताकि देहरादून-मसूरी मार्ग की खूबसूरती बनी रहे.
इसके साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा निर्माण पर नियम लागू किए गए थे, लेकिन आज देहरादून-मसूरी मार्ग के दोनों और पहाड़ों को खोदकर एक बार फिर से कंक्रीट के जंगल पैदा करने की कोशिश की जा रही है. उसके बावजूद भी जिला प्रशासन और एमडीडीए अतिक्रमण को लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. जबकि जिला प्रशासन और एमडीडीए के संयुक्त सर्वे में देहरादून-मसूरी मार्ग के दोनों और 100 से अधिक अवैध अतिक्रमण का पता चला है.