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अस्पताल से निकाले गए कर्मचारियों का प्रदर्शन, उग्र आंदोलन की चेतावनी - अस्पताल से निकाले जाने से हैं नाराज

मसूरी में अस्पताल से निकाले गये कर्मचारियों ने अस्पताल के बाहर जमकर धरना-प्रदर्शन किया और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी.

Mussoorie pradarshan
मसूरी प्रदर्शन
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Published : Jul 5, 2021, 2:51 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 6:37 AM IST

मसूरी: उप जिला चिकित्सालय में कोरोना काल में रखे गए 12 कर्मचारियों को एक महीने बाद निकाले जाने पर कर्मचारियों ने अस्पताल के बाहर ही धरना-प्रदर्शन किया. बता दें कि कर्मचारियों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता पंडित मनीष गोनियाल भी प्रदर्शन में शामिल हुए और मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन और भूख हड़ताल की चेतावनी दी है.

कर्मचारियों ने अस्पताल के मुख्य गेट पर स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर नारेबाजी की. निकाले गये कर्मचारियों ने तत्काल नौकरी पर रखने की मांग की. मांग पूरी नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करने के साथ भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी.

अस्पताल से निकाले गए कर्मचारियों का प्रदर्शन.

ये भी पढ़ें: CM धामी की पहली कैबिनेट में बेरोजगारों के लिए खुला पिटारा, 22 हजार पदों पर जल्द होगी भर्ती

सामाजिक कार्यकर्ता पंडित मनीष गोनियाल का कहना है कि जब कोरोना संक्रमण पीक पर था, तब मसूरी उप जिला चिकित्सालय के अधिकारियों ने 12 लोगों को अस्पताल में नौकरी पर रख लिया. जब कोरोना संक्रमण कम हुआ तो अस्पताल प्रबंधन ने कर्मचारियों को निकाल दिया. यहां तक कि उनको उनका मानदेय भी नहीं दिया गया है. इससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है. गोनियाल ने कहा कि, अस्पताल प्रबंधन द्वारा 12 कर्मचारियों को परमानेंट रखने की शर्त पर रखा था. जैसे ही कोरोना की लहर कम होने लगी, अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें निकाल दिया. उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार रोजगार देने की बात कर रही है. वहीं कोरोना काल में अपनी जान की परवाह न करते हुए 12 कर्मचारियों द्वारा काम किया गया, परंतु उनको निकाल दिया गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

ये भी पढ़ें: सुखबीर सिंह संधू होंगे उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव, NHAI से हुए रिलीव

पंडित मनीष गोनियाल ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी क्षेत्र के विकास के साथ रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए बड़ी-बड़ी बातें कीं, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है. मात्र जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने सरकार, स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उप जिला चिकित्सालय से निकाले गए 12 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से अस्पताल में नहीं रखा गया, तो वह अपने आंदोलन को उग्र करेंगे. वहीं कर्मचारियों के हक-हकूक के लिए भूख हड़ताल पर बैठेंगे. जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी.

ये भी पढ़ें: 4 महीने में बदले तीन CM, बोले भगत- हम 10 मुख्यमंत्री बनाएं या एक, इससे जनता को क्या मतलब

कर्मचारी नज़ीर ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनको कोरोना काल में परमानेंट नौकरी देने का वादा किया था. परंतु उनको एक माह में ही निकाल दिया गया. उनको अभी तक तनख्वाह भी नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि जब उनको रखा गया था, तो कहा था कि उनको नौकरी देने के साथ प्रोत्साहित भी करेंगे. परंतु प्रोत्साहित करने की जगह उनको नौकरी से हटा दिया गया.

इस संबंध में कई बार कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी से भी मुलाकात की, परंतु उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया गया है. अब तक उनके लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. इससे लोगों में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के खिलाफ भारी आक्रोश है.

मसूरी: उप जिला चिकित्सालय में कोरोना काल में रखे गए 12 कर्मचारियों को एक महीने बाद निकाले जाने पर कर्मचारियों ने अस्पताल के बाहर ही धरना-प्रदर्शन किया. बता दें कि कर्मचारियों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता पंडित मनीष गोनियाल भी प्रदर्शन में शामिल हुए और मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन और भूख हड़ताल की चेतावनी दी है.

कर्मचारियों ने अस्पताल के मुख्य गेट पर स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर नारेबाजी की. निकाले गये कर्मचारियों ने तत्काल नौकरी पर रखने की मांग की. मांग पूरी नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करने के साथ भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी.

अस्पताल से निकाले गए कर्मचारियों का प्रदर्शन.

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सामाजिक कार्यकर्ता पंडित मनीष गोनियाल का कहना है कि जब कोरोना संक्रमण पीक पर था, तब मसूरी उप जिला चिकित्सालय के अधिकारियों ने 12 लोगों को अस्पताल में नौकरी पर रख लिया. जब कोरोना संक्रमण कम हुआ तो अस्पताल प्रबंधन ने कर्मचारियों को निकाल दिया. यहां तक कि उनको उनका मानदेय भी नहीं दिया गया है. इससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है. गोनियाल ने कहा कि, अस्पताल प्रबंधन द्वारा 12 कर्मचारियों को परमानेंट रखने की शर्त पर रखा था. जैसे ही कोरोना की लहर कम होने लगी, अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें निकाल दिया. उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार रोजगार देने की बात कर रही है. वहीं कोरोना काल में अपनी जान की परवाह न करते हुए 12 कर्मचारियों द्वारा काम किया गया, परंतु उनको निकाल दिया गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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पंडित मनीष गोनियाल ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी क्षेत्र के विकास के साथ रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए बड़ी-बड़ी बातें कीं, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है. मात्र जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने सरकार, स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उप जिला चिकित्सालय से निकाले गए 12 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से अस्पताल में नहीं रखा गया, तो वह अपने आंदोलन को उग्र करेंगे. वहीं कर्मचारियों के हक-हकूक के लिए भूख हड़ताल पर बैठेंगे. जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी.

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कर्मचारी नज़ीर ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनको कोरोना काल में परमानेंट नौकरी देने का वादा किया था. परंतु उनको एक माह में ही निकाल दिया गया. उनको अभी तक तनख्वाह भी नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि जब उनको रखा गया था, तो कहा था कि उनको नौकरी देने के साथ प्रोत्साहित भी करेंगे. परंतु प्रोत्साहित करने की जगह उनको नौकरी से हटा दिया गया.

इस संबंध में कई बार कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी से भी मुलाकात की, परंतु उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया गया है. अब तक उनके लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. इससे लोगों में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के खिलाफ भारी आक्रोश है.

Last Updated : Jul 7, 2021, 6:37 AM IST
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