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बिजली की फिजूलखर्ची कर अधिकारी ही लगा रहे ऊर्जा विभाग को चूना

बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए बिजली बचाव अभियान चलाकर विद्युत बचत का संदेश देता आ रहा है. वहीं, चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर और सेक्शन अधिकारियों के कमरे खाली होने के बावजूद कमरों में एसी, पंखे और लाइटें चालू नजर आई.

अधिकारी ही लगा रहे ऊर्जा विभाग को चूना.
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Published : Jun 16, 2019, 1:17 PM IST

देहरादून: प्रदेश में हर साल विद्युत दरों के टैरिफ में बढ़ावा कर आम लोगों की जेब पर बोझ डाला जा रहा है. बिजली की बढ़ती खपत और उत्पादन में आ रही कमी इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है. वहीं, सरकार के जिम्मेदार अधिकारी खुद फिजूल में एसी और पंखा चलाकर बिजली का दुरुपयोग कर रहे हैं. साथ ही ऊर्जा विभाग के बिजली बचाव अभियान को ठेंगा दिखाते नजर आ रहे हैं.

अधिकारी ही लगा रहे ऊर्जा विभाग को चूना.

ऊर्जा विभाग में बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए बिजली बचाव अभियान चलाकर विद्युत बचत का संदेश देता आ रहा है. देश के पीएम मोदी से लेकर प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह समेत बिजली बचत की जरूरत को बयां करते रहते हैं. चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में डिप्टी डॉयरेक्टर और सेक्शन अधिकारियों के कमरे खाली होने के बावजूद कमरों में एसी, पंखे और लाइटें चालू नजर आई. वहीं, इस मुद्दे पर जब ईटीवी भारत की टीम ने अधिकारियों से बात करनी चाही तो अधिकारी कैमरे के सामने बचते नजर आए.

ये भी पढ़ें: AN-32 का मलबा मिला- लापता लोगों की तलाश जारी, एयरड्रॉप किए गए जवान

बता दें कि उत्तराखंड में 3 महीने पहले ही बिजली के दाम बढ़ाए गए थे और उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में 2.79 फीसदी का इजाफा किया था. हालांकि उस दौरान ऊर्जा निगम ने 882 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी का अनुमान लगाकर कुल 13 फीसदी बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की मांग की थी. विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को 4.23 रुपये प्रति यूनिट भुगतान करना पड़ रहा है, वहीं, व्यवसायिक उपभोक्ताओं को 6.10 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ रहा है.

देहरादून: प्रदेश में हर साल विद्युत दरों के टैरिफ में बढ़ावा कर आम लोगों की जेब पर बोझ डाला जा रहा है. बिजली की बढ़ती खपत और उत्पादन में आ रही कमी इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है. वहीं, सरकार के जिम्मेदार अधिकारी खुद फिजूल में एसी और पंखा चलाकर बिजली का दुरुपयोग कर रहे हैं. साथ ही ऊर्जा विभाग के बिजली बचाव अभियान को ठेंगा दिखाते नजर आ रहे हैं.

अधिकारी ही लगा रहे ऊर्जा विभाग को चूना.

ऊर्जा विभाग में बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए बिजली बचाव अभियान चलाकर विद्युत बचत का संदेश देता आ रहा है. देश के पीएम मोदी से लेकर प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह समेत बिजली बचत की जरूरत को बयां करते रहते हैं. चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में डिप्टी डॉयरेक्टर और सेक्शन अधिकारियों के कमरे खाली होने के बावजूद कमरों में एसी, पंखे और लाइटें चालू नजर आई. वहीं, इस मुद्दे पर जब ईटीवी भारत की टीम ने अधिकारियों से बात करनी चाही तो अधिकारी कैमरे के सामने बचते नजर आए.

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बता दें कि उत्तराखंड में 3 महीने पहले ही बिजली के दाम बढ़ाए गए थे और उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में 2.79 फीसदी का इजाफा किया था. हालांकि उस दौरान ऊर्जा निगम ने 882 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी का अनुमान लगाकर कुल 13 फीसदी बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की मांग की थी. विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को 4.23 रुपये प्रति यूनिट भुगतान करना पड़ रहा है, वहीं, व्यवसायिक उपभोक्ताओं को 6.10 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ रहा है.

Intro:उत्तराखंड में हर साल विद्युत दरों के टैरिफ में बढ़ावा कर आम लोगों की जेब ढीली की जा रही है... इसके पीछे बिजली की बढ़ती खपत और उत्पादन में आ रही कमी को वजह बताया जाता है ...लेकिन सरकार के जिम्मेदार अधिकारी है कि बिजली का दुरुपयोग कर ऊर्जा महकमे के अभियान को ठेंगा दिखा रहे हैं।


Body:ऊर्जा महकमा उत्तराखंड में बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए अभियान चलाकर विद्युत बचत का संदेश देता आ रहा है..यही नही तमाम मंचों पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह समेत देश के पीएम मोदी तक बिजली बचत की जरूरत को बयां करते रहते हैं...लेकिन हकीकत यह है कि बिजली की बचत और विद्युत दुरुपयोग से बचने के लिए अधिकारियों का रवैया बेहद लापरवाह दिखाई दे रहा है। यानी उत्तराखंड के सरकारी विभागों में ही बिजली की बचत को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई देती है। इसी को लेकर जब चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में ईटीवी संवाददाता नवीन उनियाल ने जायजा लिया तो पाया कि यहां डिप्टी डायरेक्टर और अलग अलग सेक्शन में अधिकारियों के कमरे खाली होने के बावजूद यहां एसी और पंखों समेत लाइटें ऑन दिखीं। etv Bharat ने जब कैमरे पर निदेशालय के कार्यालयों को दिखाया तो यहां के कर्मचारी हरकत में आए ....हालाकिं यहां मौजूद कोई भी कर्मी कैमरे पर बोलने को तैयार नही हुआ। आपको बता दें कि उत्तराखंड में 3 महीने पहले ही बिजली के दाम बढ़ाए गए थे और उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में 2.79 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा किया था। हालांकि उस दौरान ऊर्जा निगम ने 882 करोड़ रुपए के राजस्व की कमी का अनुमान लगाकर कुल 13 फ़ीसदी की बिजली दरों में बढ़ोतरी की मांग की थी। विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में बढ़ोतरी के बाद फिलहाल घरेलू उपभोक्ताओं को ₹4.23 पैसे प्रति यूनिट भुगतान करना पड़ रहा है जबकि व्यवसायिक उपभोक्ताओं को ₹6.10 पैसे प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ रहा है। वॉक थ्रू नवीन उनियाल


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