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Ekdant Sankashti Chaturthi: व्रत करने से दूर होंगे सारे कष्ट-क्लेश, जानिए पूजा विधि - भगवान गणेश की पूजा

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर एकदन्त संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. आइए जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री की पूरी जानकारी.

Ekdant Sankashti Chaturthi 2022
Ekdant Sankashti Chaturthi 2022
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Published : May 18, 2022, 5:40 PM IST

Updated : May 18, 2022, 6:49 PM IST

देहरादून: हिंदू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास का प्रारंभ हो चुका है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022 Date) कहते हैं. ज्येष्ठ माह की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. विघ्नहर्ता भगवान गणेश की उपासना का खास दिन संकष्टी चतुर्थी इस बार 19 मई को है. हर साल ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है.

मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा की जाती है. पंचांग के मुताबिक इस बार की चतुर्थी एकदंत गणेश चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi 2022) है. कहा जाता है कि विधि-विधान से एकदंत चतुर्थी की पूजा (Ekdant Sankashti Chaturthi Puja) करने से भगवान गणेश भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं.
पढ़ें- यहां से शुरू होती है चारधाम यात्रा, जानिए 600 साल पुराने सत्यनारायण मंदिर का इतिहास

कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी: पंचांग के मुताबिक एकदंत चतुर्थी तिथि का आरंभ 18 मई बुधवार को रात 11 बजकर 36 मिनट से हो रहा है. वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 19 मई गुरुवार को रात 8 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है. उदया तिथि होने के कारण एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि का व्रत 19 मई गुरुवार को रखा जाएगा. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है.

मोदक और दूर्वा हैं भगवान गणेश को प्रिय: संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान गणेश के मस्तक पर दूर्वा अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि दूर्वा की 21 गांठों को 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र को बोलते हुए गणेशजी को अर्पित करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन भगवान गणेश को मोदक भी अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक दोनों ही प्रिय हैं.
पढ़ें- Char Dham Yatra: श्रद्धालुओं में अभूतपूर्व उत्साह, 13 दिनों में यात्रियों की संख्या साढ़े 5 लाख पार

  • पूजा-विधि : सबसे पहले नहा कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • भगवान गणेश का गंगा जल से जलाभिषेक करें. इसके बाद पुष्प अर्पित करें.
  • भगवान गणेश को दूर्वा भी अर्पित करें और सिंदूर लगाएं. भगवान गणेश का ध्यान करें.
  • इसके बाद भगवान गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग लगाएं.
  • चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें और भगवान गणेश की आरती जरूर करें.

देहरादून: हिंदू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास का प्रारंभ हो चुका है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022 Date) कहते हैं. ज्येष्ठ माह की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. विघ्नहर्ता भगवान गणेश की उपासना का खास दिन संकष्टी चतुर्थी इस बार 19 मई को है. हर साल ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है.

मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा की जाती है. पंचांग के मुताबिक इस बार की चतुर्थी एकदंत गणेश चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi 2022) है. कहा जाता है कि विधि-विधान से एकदंत चतुर्थी की पूजा (Ekdant Sankashti Chaturthi Puja) करने से भगवान गणेश भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं.
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कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी: पंचांग के मुताबिक एकदंत चतुर्थी तिथि का आरंभ 18 मई बुधवार को रात 11 बजकर 36 मिनट से हो रहा है. वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 19 मई गुरुवार को रात 8 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है. उदया तिथि होने के कारण एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि का व्रत 19 मई गुरुवार को रखा जाएगा. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है.

मोदक और दूर्वा हैं भगवान गणेश को प्रिय: संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान गणेश के मस्तक पर दूर्वा अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि दूर्वा की 21 गांठों को 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र को बोलते हुए गणेशजी को अर्पित करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन भगवान गणेश को मोदक भी अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक दोनों ही प्रिय हैं.
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  • पूजा-विधि : सबसे पहले नहा कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • भगवान गणेश का गंगा जल से जलाभिषेक करें. इसके बाद पुष्प अर्पित करें.
  • भगवान गणेश को दूर्वा भी अर्पित करें और सिंदूर लगाएं. भगवान गणेश का ध्यान करें.
  • इसके बाद भगवान गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग लगाएं.
  • चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें और भगवान गणेश की आरती जरूर करें.
Last Updated : May 18, 2022, 6:49 PM IST
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