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स्कूलों की मनमानी पर लगेगी लगाम, जल्द कैबिनेट में आएगा फीस एक्ट का प्रस्ताव

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि जल्द ही फीस एक्ट का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा. अगले विधानसभा सत्र तक इस एक्ट को प्रदेशवासियों के हित में लागू करने का प्रयास किया जाएगा.

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जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा फीस एक्ट का प्रस्ताव
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Published : Aug 5, 2021, 4:25 PM IST

देहरादून: प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर लगााम लगाने के लिए बीते कई सालों से फीस एक्ट लाने की कवायद चल रही है. मगर राज्य को अब तक अपना फीस एक्ट नहीं मिल सका है. वहीं, जब इस संबंध में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा फीस एक्ट के ड्राफ्ट में मौजूद सभी खामियों को दूर कर लिया गया है. जल्द ही इस एक्ट के प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा. अगले विधानसभा सत्र तक इस एक्ट को प्रदेशवासियों के हित में लागू करने का प्रयास किया जाएगा.

फीस एक्ट की प्रमुख बातें: सूत्रों के मुताबिक फीस एक्ट लागू होने के बाद स्कूल छात्रों को क्या सुविधाएं दे रहे हैं, इसके अनुसार ही स्कूल अपनी फीस तय करेंगे. किसी भी स्कूल के खिलाफ शिकायत मिलने की स्थिति में राज्य स्तरीय कमेटी तब ही जांच करेगी जब संबंधित स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के वास्तविक अभिभावक शिकायत करेंगे.

जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा फीस एक्ट का प्रस्ताव

पढ़ें- महिला हॉकी टीम की हार पर वंदना कटारिया के घर के बाहर पटाखे फोड़ने वाले 3 युवक गिरफ्तार, केस दर्ज

गौरतलब है कि राज्य स्तरीय कमेटी में विभिन्न विभागों लोक निर्माण विभाग, वित्त सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल रहेंगे. वहीं, जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी होगी. ऐसे में किसी स्कूलों के खिलाफ शिकायत आने पर राज्य स्तरीय कमेटी सीए से ऑडिट कराएगी. यदि जांच में फीस वसूली के मामले में स्कूल की मनमर्जी सामने आती है, तो ऐसी स्थिति में ऑडिट का खर्च स्कूल को वहन करना होगा. यदि जांच में स्कूल के खिलाफ गड़बड़ी नहीं मिली तो ऑडिट पर आने वाले खर्च को राज्य सरकार वहन करेगी.

पढ़ें- Forest fire: HC ने वन विभाग के खाली 65% पद भरने के दिए आदेश, 6 माह की डेडलाइन

बता दें प्रदेश में फीस एक्ट लागू करने का मामला कई सालों पुराना है. पूर्ववर्ती कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में तत्कालीन शिक्षा सचिव एमसी जोशी ने सबसे पहले इसका ड्राफ्ट तैयार किया था. वहीं इसके बाद बीजेपी की वर्तमान सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में भी इस एक्ट का प्रस्ताव कैबिनेट में आते-आते रह गया. ऐसे में अब जब प्रदेश को नए मुख्यमंत्री के तौर पर एक युवा चेहरा मिल चुका है तो प्रदेशवासियों में एक बार फिर उम्मीद जग चुकी है कि राज्य को जल्द ही अपना फीस एक्ट मिल सकेगा.

पढ़ें- जागेश्वर मंदिर में MP धर्मेंद्र कश्यप की अभद्रता को मदन कौशिक ने बताया अमर्यादित

बहरहाल, फीस एक्ट को लेकर अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक शिक्षा मंत्री के आश्वासन के तहत फीस एक्ट के प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाता है. कब तक यह एक्ट धरातल पर प्रदेश में लागू हो पाता है.

देहरादून: प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर लगााम लगाने के लिए बीते कई सालों से फीस एक्ट लाने की कवायद चल रही है. मगर राज्य को अब तक अपना फीस एक्ट नहीं मिल सका है. वहीं, जब इस संबंध में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा फीस एक्ट के ड्राफ्ट में मौजूद सभी खामियों को दूर कर लिया गया है. जल्द ही इस एक्ट के प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा. अगले विधानसभा सत्र तक इस एक्ट को प्रदेशवासियों के हित में लागू करने का प्रयास किया जाएगा.

फीस एक्ट की प्रमुख बातें: सूत्रों के मुताबिक फीस एक्ट लागू होने के बाद स्कूल छात्रों को क्या सुविधाएं दे रहे हैं, इसके अनुसार ही स्कूल अपनी फीस तय करेंगे. किसी भी स्कूल के खिलाफ शिकायत मिलने की स्थिति में राज्य स्तरीय कमेटी तब ही जांच करेगी जब संबंधित स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के वास्तविक अभिभावक शिकायत करेंगे.

जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा फीस एक्ट का प्रस्ताव

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गौरतलब है कि राज्य स्तरीय कमेटी में विभिन्न विभागों लोक निर्माण विभाग, वित्त सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल रहेंगे. वहीं, जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी होगी. ऐसे में किसी स्कूलों के खिलाफ शिकायत आने पर राज्य स्तरीय कमेटी सीए से ऑडिट कराएगी. यदि जांच में फीस वसूली के मामले में स्कूल की मनमर्जी सामने आती है, तो ऐसी स्थिति में ऑडिट का खर्च स्कूल को वहन करना होगा. यदि जांच में स्कूल के खिलाफ गड़बड़ी नहीं मिली तो ऑडिट पर आने वाले खर्च को राज्य सरकार वहन करेगी.

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बता दें प्रदेश में फीस एक्ट लागू करने का मामला कई सालों पुराना है. पूर्ववर्ती कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में तत्कालीन शिक्षा सचिव एमसी जोशी ने सबसे पहले इसका ड्राफ्ट तैयार किया था. वहीं इसके बाद बीजेपी की वर्तमान सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में भी इस एक्ट का प्रस्ताव कैबिनेट में आते-आते रह गया. ऐसे में अब जब प्रदेश को नए मुख्यमंत्री के तौर पर एक युवा चेहरा मिल चुका है तो प्रदेशवासियों में एक बार फिर उम्मीद जग चुकी है कि राज्य को जल्द ही अपना फीस एक्ट मिल सकेगा.

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बहरहाल, फीस एक्ट को लेकर अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक शिक्षा मंत्री के आश्वासन के तहत फीस एक्ट के प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाता है. कब तक यह एक्ट धरातल पर प्रदेश में लागू हो पाता है.

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