देहरादून: उत्तराखंड के मैदानी और पर्वतीय जिलों में आज भी कई सरकारी प्राथमिक सहित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं. जहां पर छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर और पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है. इन सब असुविधाओं को देखते हुए शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि सरकारी विद्यालयों में चरणबद्ध तरीके से सभी मूलभूत सुविधाओं को पूरा किया जाए. निदेशालय की तरफ से सभी जिले के विभागीय अधिकारियों से स्कूलों की सूची उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं, जहां पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.
उत्तराखंड शिक्षा विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि सभी जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की गई है कि जिलों में कितने स्कूल ऐसे हैं, जहां पर छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर सहित पानी, बिजली और इंटरनेट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. साथ ही प्रारम्भिक सहित माध्यमिक शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया गया है कि सभी जिलों से ऐसे स्कूलों को सूची जल्द उपलब्ध करवाई जाए, जहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है.
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शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि शिक्षा मंत्री के निर्देशानुसार प्रथम चरण में प्रदेश में 1000 स्कूलों में सभी व्यवस्थाओं को दुरस्त किया जाएगा. उन्हें एक मॉडल के तौर पर विकसित किया जाएगा. जिससे कि सरकारी विद्यालयों के प्रति लोगों का नजरिया बदले और छात्र-छात्राएं भी अच्छे परिवेश में शिक्षा ग्रहण कर सकें. बंशीधर तिवारी के कहा कि इस सत्र में सरकारी शिक्षा में कई अच्छे बदलाव देखने को मिलेगा.
बता दें कि प्रदेश के करीब 139 माध्यमिक विद्यालयों में अभी भी पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है, तो करीब 80 हजार छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है. उत्तराखंड में कक्षा 1 से लेकर 12 वीं तक कुल 16,741 सरकारी स्कूल हैं. जिनमें बुनियादी सुविधाओं की बात करें, तो 20 प्रतिशत से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जिनमे सुचारू रूप से बिजली कनेक्शन नहीं है. इसके साथ ही 10 प्रतिशत से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है. 6.4 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा सुचारू नहीं है.