देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है. कोविड कर्फ्यू की मार सबसे ज्यादा व्यापारी वर्ग पर पड़ा है. खास तौर से ऐसे व्यवसायियों पर जो किराए का कमरा लेकर अपनी दुकान चला रहे थे. कोविड कर्फ्यू के दौरान पिछले डेढ़ महीने से ये अपनी दुकान तक नहीं खोल पाए हैं. इस कारण इन दुकानदारों के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. ईटीवी भारत ने जानने की कोशिश की है कि क्या है इन दुकानदारों की मौजूदा हालात.
बिना आमदनी देना पड़ रहा है किराया
राजधानी देहरादून की बात करें तो यहां अधिकांश लोग किराए पर कमरा लेकर दुकान संचालित कर रहे हैं. यह स्थिति ना सिर्फ देहरादून की धड़कन कही जाने वाली घंटाघर के आसपास मौजूद दुकानों की है, बल्कि, देहरादून के भीतर ही छोटे-छोटे गली मोहल्लों में भी लोग किराए का कमरा लेकर दुकान चला रहे हैं. दुकान बंद होने से इनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चौपट हो चुकी है. इनके सामने दुकान का किराया भरने और अपनी रोजी-रोटी चलाने की बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है.
हालात समान्य नहीं हुए तो जीना मुश्किल
ईटीवी भारत ने जब इन दुकानदारों का हाल जाना तो उनका दर्द छलक उठा. उन दुकानदारों का कहना है कि सरकार ने दुकानें बंद रखने का आदेश तो दे दिया, लेकिन इस पर निर्भर लोगों के बारे में कुछ नहीं सोचा कि वे अपना जीवन यापन कैसे करेंगे? यही नहीं दुकानदारों का आरोप है कि राज्य सरकार सफेद कार्ड धारकों को तो राशन दे रही है, लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई भी नहीं है.
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दुकानदारों ने बताया कि करीब दो महीने से दुकान बंद है. इस दौरान उनके द्वारा बचत के पैसे खर्च किए जा रहे थे वो भी खत्म हो चुके हैं. अब उनके सामने किराए की बड़ी समस्या है. उनकी हालत ऐसी है कि वो ना तो किसी से मदद मांग सकते हैं और ना ही किसी के सामने हाथ फैला सकते हैं. ऐसे में उन्हें अब बस स्थिति सामान्य होने का ही इंतजार है.
होटल संचालक के सामने किराया भरने की चुनौती
होटल संचालक ने बताया कि उनका होटल पिछले डेढ़ महीने से बंद है. होटल बंद होने की वजह से उनके सामने दुकान का किराया भरने की बड़ी चुनौती है. होटल संचालक ने बताया कि किराया बढ़ता जा रहा है, लेकिन अभी भी दुकान खुलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. अगर हालात कुछ महीने ऐसे ही रहे तो उनकी स्थिति भी बद से बदतर हो जाएगी. नाई का काम करने वाले एक शख्स ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति चौपट हो चुकी है. उसने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वह चंडीगढ़ के रहने वाले है, वह अकेले यहां नाई का काम कर रहा है. पूरे परिवार की जिम्मेदारी उस पर है लेकिन अब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं है. ऐसे में उसके लिए एक बड़ी समस्या है कि वह किस तरह से दुकान का किराया भरे और कैसे अपने परिवार की मदद करे.
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कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर प्रदेश में लागू कोरोना कर्फ्यू की वजह से किराए पर कमरा लेकर दुकान चलाने वाले लोगों के सामने विकट स्थिति खड़ी हो गई है. ये वो दुकानदार हैं जिनको हर महीने 6 से 10 हज़ार रुपये, कमरे का किराया देना पड़ रहा है. लिहाजा इन दुकानदारों के सामने बड़ी चुनौती घर का खर्चा चलाने के साथ ही दुकानों का किराया भरना है. ऐसे में दुकानदार राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकि इनका किराया माफ हो सके, जिससे इनको थोड़ी राहत मिले.