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मसूरी का ऐतिहासिक नाग पंचमी मेला चढ़ा कोरोना की भेंट

कोरोना को लेकर इस बार नाग पंचमी का मेला नहीं मनाया जाएगा. मंदिर समिति के कुछ सदस्य 3 दिन तक होने वाले नाग देवता की पूजा मंदिर में सोशल-डिस्टेंसिंग का पालन कर पूजा करेंगे.

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Published : Jul 16, 2020, 3:47 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 8:52 PM IST

Mussoorie
मसूरी का ऐतिहासिक नाग पंचमी मेला चढ़ा कोरोना की भेंट

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में कोरोना को लेकर इस बार नाग पंचमी का मेला नहीं मनाया जाएगा. मसूरी के क्याकूली भट्टा गांव में गुरुवार को एसडीएम प्रेमलाल और कोतवाल देवेंद्र असवाल कि अध्यक्षता में नाग मंदिर समिति के सदस्यों के साथ बैठक की. जिसमें निर्णय लिया गया कि इस बार नाग पंचमी का मेला आयोजित नहीं होगा. वहीं, मंदिर समिति के कुछ सदस्य और पुजारी 3 दिन तक होने वाली नाग देवता की पूजा सोशल-डिस्टेंसिंग का पालन व मास्क पहनकर करेंगे.

मसूरी का ऐतिहासिक नाग पंचमी मेला चढ़ा कोरोना की भेंट

नाग मंदिर समिति के सदस्य जितेंद्र जदवाण ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार नाग पंचमी के दिन आयोजित होने वाला ऐतिहासिक मेले का आयोजन नहीं होगा.उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण लगातार फैल रहा है. मेले में प्रत्येक साल श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते थे. कोरोना काल को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

नाग मंदिर का इतिहास

बता दें की मसूरी हाथीपांव मार्ग पर स्थित नाग मंदिर 580 साल पुराना बताया जाता है. मान्यता है कि मसूरी के भट्टा गांव में एक गाय थी जो अक्सर सुबह के समय पिण्डी (लिंग) पर दूध चढ़ाती थी. जब लोगों ने इसकी पड़ताल की तो वे यह सब देखकर हैरान रह गए.

पढ़े- कर्मचारियों को पांच साल तक बिना वेतन के छुट्टी पर भेजेगा एअर इंडिया

वहीं, गांव वालों ने जब लोगों को यह बात बताई तो उनके बताया कि पत्थर साक्षात नाग देवता का रूप हैं और तभी से इस जगह को सिद्व पीठ के रूप में माना जाने लगा. आज भी वह पत्थर मंदिर के अंदर स्थापित है तब से लेकर आज तक भक्त लोग उस पत्थर को दूध से अभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं.

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में कोरोना को लेकर इस बार नाग पंचमी का मेला नहीं मनाया जाएगा. मसूरी के क्याकूली भट्टा गांव में गुरुवार को एसडीएम प्रेमलाल और कोतवाल देवेंद्र असवाल कि अध्यक्षता में नाग मंदिर समिति के सदस्यों के साथ बैठक की. जिसमें निर्णय लिया गया कि इस बार नाग पंचमी का मेला आयोजित नहीं होगा. वहीं, मंदिर समिति के कुछ सदस्य और पुजारी 3 दिन तक होने वाली नाग देवता की पूजा सोशल-डिस्टेंसिंग का पालन व मास्क पहनकर करेंगे.

मसूरी का ऐतिहासिक नाग पंचमी मेला चढ़ा कोरोना की भेंट

नाग मंदिर समिति के सदस्य जितेंद्र जदवाण ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार नाग पंचमी के दिन आयोजित होने वाला ऐतिहासिक मेले का आयोजन नहीं होगा.उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण लगातार फैल रहा है. मेले में प्रत्येक साल श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते थे. कोरोना काल को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

नाग मंदिर का इतिहास

बता दें की मसूरी हाथीपांव मार्ग पर स्थित नाग मंदिर 580 साल पुराना बताया जाता है. मान्यता है कि मसूरी के भट्टा गांव में एक गाय थी जो अक्सर सुबह के समय पिण्डी (लिंग) पर दूध चढ़ाती थी. जब लोगों ने इसकी पड़ताल की तो वे यह सब देखकर हैरान रह गए.

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वहीं, गांव वालों ने जब लोगों को यह बात बताई तो उनके बताया कि पत्थर साक्षात नाग देवता का रूप हैं और तभी से इस जगह को सिद्व पीठ के रूप में माना जाने लगा. आज भी वह पत्थर मंदिर के अंदर स्थापित है तब से लेकर आज तक भक्त लोग उस पत्थर को दूध से अभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं.

Last Updated : Jul 16, 2020, 8:52 PM IST
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