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उत्तराखंड: तीन सालों में पकड़ी गई 27 करोड़ की ड्रग्स, निशाने पर नौजवान - drugs worth Rs 27 crore have been seized in Uttarakhand

उत्तराखंड में साल दर साल ड्रग्स स्मगलिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं. पिछले तीन सालों में 27 करोड़ रुपए के ड्रग्स पकड़ी गई है. उत्तराखंड पुलिस ड्रग स्मगलिंग के सरगनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दावा कर रही है.

Drug in Uttarakhand
उड़ता उत्तराखंड
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Published : Sep 27, 2020, 9:47 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 9:58 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में ड्रग्स कारोबार का काला सच किसी से छिपा नहीं है. नशे का कारोबार उत्तराखंड के हर कोने तक फैला हुआ है. सुदूर पहाड़ों में चरस और शराब बड़े पैमाने पर खप रही है. इस काले कारोबार में तस्करों और सप्लायरों के हौसले इस कदर बुलंद हो रहे हैं कि वह अब स्कूल-कॉलेजों को भी निशाना बना रहे हैं.

सुशांत केस में एनसीबी की कार्रवाई के बाद बॉलीवुड और ड्रग्स के रिश्ते उजागर हुए हैं. सिर्फ माया नगरी मुंबई में ही नहीं शांत वादियों वाले उत्तराखंड से भी ड्रग्स का कनेक्शन जुड़ा है. उत्तराखंड में साल दर साल ड्रग्स स्मगलिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं. देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल के साथ कई पर्यटक स्थलों पर ड्रग स्मगलिंग का काला कारोबार चल रहा है. तस्करों के निशाने पर अब स्कूल-कॉलेज से लेकर हॉस्टल तक आ गए हैं, जहां हर रोज मादक पदार्थों की खेप बेरोक-टोक पहुंच रही है. दून में नशे के सामानों की खेप पश्चिमी यूपी और पंजाब के रास्ते यहां हर रोज पहुंच रही है.

इन चार जिलों में नशे का कारोबार

उत्तराखंड के चार जिलों में चरस के साथ अफीम, स्मैक, गोलियां और इंजेक्शन का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. ये जिले देहरादून, उधमसिंहनगर, हरिद्वार और नैनीताल हैं. उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सीमाएं उत्तराखंड के जिलों से जुड़ी हैं, जहां आसानी से नशे की खेप पहुंच जाती है. गिरोह के सदस्य बसों समेत अन्य वाहनों से नशे की सामग्री संबंधित क्षेत्रों में पहुंचा देते हैं. उधमसिंहनगर और नैनीताल के बॉर्डर बरेली से जुड़े हैं. जिसके चलते इन क्षेत्रों में चरस, स्मैक और अफीम का कारोबार बढ़ रहा है.

नशे के सौदागरों की गिरफ्त में उत्तराखंड!

ये भी पढ़ें: महेश नेगी यौन शोषण मामला: विधायक और पीड़िता के साथ होने का मिला सबूत, होटल में है एंट्री

हर साल हजारों गिरफ्तारी

प्रदेश में चरस, स्मैक,अफीम, गांजा, हीरोइन, भांग के साथ नशीली गोलियां, कैप्सूल और इंजेक्शन की स्मगलिंग होती है. पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़े के मुताबिक 2018 में पूरे प्रदेश में 1063 ड्रग स्मगलिंग के मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें 1134 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. जिसमें चरस 225.8 किलोग्राम, स्मैक 5.437 किलोग्राम, डोडा-अफीम 538.7 किलोग्राम, गांजा 839.98 किलोग्राम, हेरोइन 0.8 किलोग्राम, भांग 22 किलो, अफीम 7.07 किलोग्राम, कोकीन 0.5 किलोग्राम, नशीली गोली 1 लाख 47 हजार, नशीले कैप्सूल 1386, नशीले इंजेक्शन 27,896 बरामद हुए हैं.

2019 में पुलिस ने 1063 मुकदमे दर्ज करते हुए 1134 अपराधियों को पकड़ा है. इसके साथ ही पुलिस ने 227.4 किलो चरस, 13.257 किलोग्राम स्मैक, डोडा-अफीम 367.263 किलोग्राम, गांजा 1316.42 किलोग्राम, हेरोइन 0.055 किलोग्राम, भांग 14.78 किलो ग्राम, अफीम 19.17 किलोग्राम, कोकीन 1.55 किलोग्राम, नशीली गोली 174013, नशीले कैप्सूल 26774, नशीले इंजेक्शन 12474 बरामद किए हैं.

Drug in Uttarakhand
तीन सालों में पकड़ी गई 27 करोड़ की ड्रग्स.

वहीं, 2020 में पुलिस ने 682 मुकदमे दर्ज करते हुए 799 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पुलिस ने चरस 148.5 किलोग्राम, स्मैक 7.650 किलोग्राम, डोडा-अफीम 148.724 किलोग्राम, गांजा 618.64 किलोग्राम, हेरोइन 0.012 किलोग्राम, अफीम- 12.92 किलोग्राम, नशीली गोली 1783, नशीले कैप्सूल 437009 और नशीले इंजेक्शन 3476 बरामद किए हैं.

उत्तराखंड पुलिस का दावा

उत्तराखंड में नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए सरकार ने एसटीएफ के अधीन एंटी ड्रग्स फोर्स टीम का गठन किया है. इसके साथ ही उत्तराखंड पुलिस ड्रग स्मगलिंग के सरगनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दावा कर रही है. डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का भी मानना है कि नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए एंटी ड्रग्स फोर्स टीम का तीन लेयर में गठन किया गया है. जो थाने से लेकर प्रदेश स्तर पर कार्रवाई करने में जुटी हुई हैं. डीजी लॉ एंड ऑर्डर का कहना है कि नशे के बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक संगठनों से लेकर तमाम संस्थाओं को एकजुट होकर कार्य करने की भी आवश्यकता है.

90 फीसदी मामलों में सजा

देहरादून के ADGC कोर्ट में एनडीपीएस एक्ट के शासकीय अधिवक्ता संजीव शर्मा का मानना है कि राज्य में नशा जिस तरह से तेजी से बढ़ रहा है. उससे युवा पीढ़ी लगातार खतरे की जद में फंसती जा रही है. तस्करों की धरपकड़ होने के साथ ही लगभग 90% केस में कोर्ट द्वारा अपराधियों को 10 साल से लेकर 20 साल की सजा सुनाई जा रही है. लेकिन इसके बावजूद राज्य में जिस तेजी से नशे का कारोबार बढ़ा है, उस पर अंकुश पाना बेहद जरूरी है.

आतंकवाद से खतरनाक नशे का कारोबार

वहीं, उत्तराखंड में तेजी से पनप रहे नशे के काले कारोबार को लेकर कुछ सामाजिक जानकार भी मानते हैं कि आतंकवाद से बड़ा खतरा नौजवान पीढ़ी को नशे की लत से है. नशे की गिरफ्त में आकर नौजवान पीढ़ी का भविष्य चौपट हो रहा है. उत्तराखंड में नशे की जड़े यूपी, नेपाल और हिमाचल राज्य के रास्ते तेजी से पनप रही है. ऐसे में यहां के एजुकेशन हब में छात्र-छात्राओं और नौजवानों की पीढ़ी को नशा परोसने आने वाले समय में बेहद खतरनाक साबित होने वाला है.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून किस कदर नशे के सौदागरों की गिरफ्त में आ चुकी है, ये साबित करने के लिए उत्तराखंड पुलिस के आंकड़े ही काफी हैं. महज तीन सालों में 27 करोड़ रुपए की नशे की खेप उत्तराखंड पुलिस द्वारा जब्त की गई है.

देहरादून: उत्तराखंड में ड्रग्स कारोबार का काला सच किसी से छिपा नहीं है. नशे का कारोबार उत्तराखंड के हर कोने तक फैला हुआ है. सुदूर पहाड़ों में चरस और शराब बड़े पैमाने पर खप रही है. इस काले कारोबार में तस्करों और सप्लायरों के हौसले इस कदर बुलंद हो रहे हैं कि वह अब स्कूल-कॉलेजों को भी निशाना बना रहे हैं.

सुशांत केस में एनसीबी की कार्रवाई के बाद बॉलीवुड और ड्रग्स के रिश्ते उजागर हुए हैं. सिर्फ माया नगरी मुंबई में ही नहीं शांत वादियों वाले उत्तराखंड से भी ड्रग्स का कनेक्शन जुड़ा है. उत्तराखंड में साल दर साल ड्रग्स स्मगलिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं. देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल के साथ कई पर्यटक स्थलों पर ड्रग स्मगलिंग का काला कारोबार चल रहा है. तस्करों के निशाने पर अब स्कूल-कॉलेज से लेकर हॉस्टल तक आ गए हैं, जहां हर रोज मादक पदार्थों की खेप बेरोक-टोक पहुंच रही है. दून में नशे के सामानों की खेप पश्चिमी यूपी और पंजाब के रास्ते यहां हर रोज पहुंच रही है.

इन चार जिलों में नशे का कारोबार

उत्तराखंड के चार जिलों में चरस के साथ अफीम, स्मैक, गोलियां और इंजेक्शन का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. ये जिले देहरादून, उधमसिंहनगर, हरिद्वार और नैनीताल हैं. उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सीमाएं उत्तराखंड के जिलों से जुड़ी हैं, जहां आसानी से नशे की खेप पहुंच जाती है. गिरोह के सदस्य बसों समेत अन्य वाहनों से नशे की सामग्री संबंधित क्षेत्रों में पहुंचा देते हैं. उधमसिंहनगर और नैनीताल के बॉर्डर बरेली से जुड़े हैं. जिसके चलते इन क्षेत्रों में चरस, स्मैक और अफीम का कारोबार बढ़ रहा है.

नशे के सौदागरों की गिरफ्त में उत्तराखंड!

ये भी पढ़ें: महेश नेगी यौन शोषण मामला: विधायक और पीड़िता के साथ होने का मिला सबूत, होटल में है एंट्री

हर साल हजारों गिरफ्तारी

प्रदेश में चरस, स्मैक,अफीम, गांजा, हीरोइन, भांग के साथ नशीली गोलियां, कैप्सूल और इंजेक्शन की स्मगलिंग होती है. पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़े के मुताबिक 2018 में पूरे प्रदेश में 1063 ड्रग स्मगलिंग के मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें 1134 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. जिसमें चरस 225.8 किलोग्राम, स्मैक 5.437 किलोग्राम, डोडा-अफीम 538.7 किलोग्राम, गांजा 839.98 किलोग्राम, हेरोइन 0.8 किलोग्राम, भांग 22 किलो, अफीम 7.07 किलोग्राम, कोकीन 0.5 किलोग्राम, नशीली गोली 1 लाख 47 हजार, नशीले कैप्सूल 1386, नशीले इंजेक्शन 27,896 बरामद हुए हैं.

2019 में पुलिस ने 1063 मुकदमे दर्ज करते हुए 1134 अपराधियों को पकड़ा है. इसके साथ ही पुलिस ने 227.4 किलो चरस, 13.257 किलोग्राम स्मैक, डोडा-अफीम 367.263 किलोग्राम, गांजा 1316.42 किलोग्राम, हेरोइन 0.055 किलोग्राम, भांग 14.78 किलो ग्राम, अफीम 19.17 किलोग्राम, कोकीन 1.55 किलोग्राम, नशीली गोली 174013, नशीले कैप्सूल 26774, नशीले इंजेक्शन 12474 बरामद किए हैं.

Drug in Uttarakhand
तीन सालों में पकड़ी गई 27 करोड़ की ड्रग्स.

वहीं, 2020 में पुलिस ने 682 मुकदमे दर्ज करते हुए 799 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पुलिस ने चरस 148.5 किलोग्राम, स्मैक 7.650 किलोग्राम, डोडा-अफीम 148.724 किलोग्राम, गांजा 618.64 किलोग्राम, हेरोइन 0.012 किलोग्राम, अफीम- 12.92 किलोग्राम, नशीली गोली 1783, नशीले कैप्सूल 437009 और नशीले इंजेक्शन 3476 बरामद किए हैं.

उत्तराखंड पुलिस का दावा

उत्तराखंड में नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए सरकार ने एसटीएफ के अधीन एंटी ड्रग्स फोर्स टीम का गठन किया है. इसके साथ ही उत्तराखंड पुलिस ड्रग स्मगलिंग के सरगनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दावा कर रही है. डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का भी मानना है कि नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए एंटी ड्रग्स फोर्स टीम का तीन लेयर में गठन किया गया है. जो थाने से लेकर प्रदेश स्तर पर कार्रवाई करने में जुटी हुई हैं. डीजी लॉ एंड ऑर्डर का कहना है कि नशे के बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक संगठनों से लेकर तमाम संस्थाओं को एकजुट होकर कार्य करने की भी आवश्यकता है.

90 फीसदी मामलों में सजा

देहरादून के ADGC कोर्ट में एनडीपीएस एक्ट के शासकीय अधिवक्ता संजीव शर्मा का मानना है कि राज्य में नशा जिस तरह से तेजी से बढ़ रहा है. उससे युवा पीढ़ी लगातार खतरे की जद में फंसती जा रही है. तस्करों की धरपकड़ होने के साथ ही लगभग 90% केस में कोर्ट द्वारा अपराधियों को 10 साल से लेकर 20 साल की सजा सुनाई जा रही है. लेकिन इसके बावजूद राज्य में जिस तेजी से नशे का कारोबार बढ़ा है, उस पर अंकुश पाना बेहद जरूरी है.

आतंकवाद से खतरनाक नशे का कारोबार

वहीं, उत्तराखंड में तेजी से पनप रहे नशे के काले कारोबार को लेकर कुछ सामाजिक जानकार भी मानते हैं कि आतंकवाद से बड़ा खतरा नौजवान पीढ़ी को नशे की लत से है. नशे की गिरफ्त में आकर नौजवान पीढ़ी का भविष्य चौपट हो रहा है. उत्तराखंड में नशे की जड़े यूपी, नेपाल और हिमाचल राज्य के रास्ते तेजी से पनप रही है. ऐसे में यहां के एजुकेशन हब में छात्र-छात्राओं और नौजवानों की पीढ़ी को नशा परोसने आने वाले समय में बेहद खतरनाक साबित होने वाला है.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून किस कदर नशे के सौदागरों की गिरफ्त में आ चुकी है, ये साबित करने के लिए उत्तराखंड पुलिस के आंकड़े ही काफी हैं. महज तीन सालों में 27 करोड़ रुपए की नशे की खेप उत्तराखंड पुलिस द्वारा जब्त की गई है.

Last Updated : Sep 27, 2020, 9:58 PM IST
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